रविवार, 24 दिसंबर 2017

Income Tax Rebate on House Rent

*मकान किराया भत्‍ते (एचआरए) पर कर-छूट का प्रावधान,*
*Income Tax Rebate on House Rent*

बड़ी संख्‍या में नौकरीपेशा लोग अपने सैलरी पैकेज के एक हिस्से के रूप में हर माह ही मकान किराया भत्‍ता (एचआरए) हासिल करते हैं। यहां तक कि बड़े-बड़े पदों पर रहने वाले कंपनियों के डायरेक्टर्स भी एचआरए प्राप्त करते हैं, जिससे उन्हें इनकम टैक्स बचाने में मदद मिलती है। आयकर अधिनियम की धारा 10(13ए) और नियम 2ए में मकान किराया भत्‍ते (एचआरए) पर कर-छूट का प्रावधान किया गया है।

*व्याख्या-1*

इसके तहत नियोक्ता द्वारा दिए गए एचआरए पर वह कोई भी आयकरदाता कर-छूट का लाभ हासिल कर सकता है, जो किराये के मकान में रह रहा है। हालांकि इसकी अपनी कुछ सीमाएं भी हैं। अगर कोई कर्मचारी अपने स्वयं के मकान में रह रहा हो तो उसे एचआरए में इनकम टैक्स का लाभ नहीं मिलेगा।

कर-छूट का लाभ प्राप्त करने के लिए रसीद कब जरूरी है।? 
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस के अनुसार कर-छूट का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने नियोक्ता को किराये की रसीद प्रस्तुत करना तभी अनिवार्य होता है, जब कर्मचारी को प्रति माह तीन हजार रुपए से अधिक का एचआरए मिल रहा हो।

*यह एक बड़ी भ्रांति है कि कर्मचारियों को जितना मकान किराया भत्‍ता (एचआरए) मिलता है, उतना पूरा का पूरा ही इनकम टैक्स में डिडक्ट हो जाता है। ऐसा नहीं है। इसके भी कुछ नियम हैं, जिन्हें समझना जरूरी है।*
क्या हैं नियम ? 

एचआरए पर छूट का लाभ लेने के कुछ नियम हैं। यह छूट उतनी ही राशि पर मिलेगी, जो निम्‍न में से न्यूनतम होगी :

असल मकान किराया भत्‍ता, कुल वेतन की 10 फीसदी राशि को वास्तविक किराये में से घटाने के बाद शेष राशि।

मुंबई, दिल्ली, चैन्नई और कोलकाता में रहने वाले व्यक्ति के वेतन की 50 फीसदी और अन्य शहरों में रहने वाले व्यक्ति के वेतन की 40 फीसदी राशि। (वेतन में बेसिक और डीए भी शामिल रहता है।)

इसे ऐसे समझें 
भोपाल निवासी XYZ का मासिक वेतन 30 हजार रु. है। मासिक एचआरए 6 हजार, मकान का किराया 5 हजार रु.।
वास्तविक एचआरए : 6000 रुपए।
मकान किराये के रूप में संजय 5000 रु. चुका रहा है। कुल वेतन (30,000) की 10 फीसदी राशि यानी 3000 को वास्तविक किराये में से घटाने के बाद शेष राशि आएगी 2000 रुपए।

चूंकि संजय भोपाल में रह रहा है तो उसके कुल वेतन (30,000) का 40 फीसदी 12,000 रुपए होगा।

नियमानुसार इन तीनों में से जो न्यूनतम होगा, उतनी ही राशि की कर में छूट मिलेगी। न्यूनतम राशि 2000 रु. है, यानी XYZ को कर योग्य आय में से 24 हजार रुपए की ही वार्षिक छूट मिलेगी। उसे प्रति माह एचआरए के रूप में 6 हजार रुपए मिलते हैं, अर्थात प्रति माह 4 हजार रुपए या वार्षिक 48 हजार रु. कर योग्य आय में जुड़ जाएंगे।
*पैन नंबर कब जरूरी ?* 

अगर कोई कर्मचारी साल में एक लाख रुपए या उससे अधिक राशि किराये के रूप में दे रहा है तो उसे अपने मकान मालिक के पैन नंबर की जानकारी भी अपने नियोक्ता को देनी होगी। मकान मालिक के पास पैन नंबर नहीं होने पर उसे मकान मालिक से एक डिक्लेरेशन लेकर उसे नियोक्ता को देना होगा। 10 (13 ए) इनकम टैक्स की इस धारा में एचआरए से संबंधित प्रावधान दिए गए हैं।

व्याख्या-2

 मकान किराया भत्ते (HRA) के सम्बन्ध में अक्सर भ्रम की स्थिति रहती है कि इसकी छूट आयकर में मिलेगी या नहीं यदि हाँ तो कितनी? किराये की रसीद प्रस्तुत करनी होगी या नहीं? क्या इसके साथ मकान स्वामी के PAN no. को भी प्रस्तुत करना होगा? इन बिंदुओं का क्रमशः स्पष्टीकरण —

*किसको मिलेगी HRA की कटौती?* —-

यदि कोई व्यक्ति किराये के मकान मेँ रहता है तो उसे HRA की कटौती मिलेगी।

किस सीमा तक मिलेगी HRA की कटौती?
  
निम्न तीन बिंदुओं में से जो राशि सबसे कम होगी वह आयकर मुक्त (income tax free) होगी —-

1- HRA की वास्तविक प्राप्त राशि
2- भुगतान किराया – वेतन का 10%
3- वेतन का 40%
      यहाँ वेतन से आशय — basic salary + D.A. से है।
       उपर्युक्त सभी गणना वार्षिक आधार पर होगी।

*किराये की रसीद  व मकान स्वामी के PAN no. को उपलब्ध कराना कब आवश्यक?* —-

1- यदि प्राप्त HRA की राशि 3000 ₹ से कम व् आपके द्वारा भुगतान की गयी किराए की राशि 8333₹ मासिक से कम है तो न किराये की रसीद और न मकान स्वामी के पैन नं को उपलब्ध करना आवश्यक होता है।( सभी अध्यापक बन्धु सामान्यतः इसी श्रेणी में आते है।)

2- यदि HRA की प्राप्त राशि 3000 ₹ या इससे ज्यादा और भुगतान किये किराये की राशि 8333₹ से कम है तो सिर्फ किराये की रसीद(revenue स्टाम्प सहित) प्रस्तुत करनी होगी पैन नं. नहीं ।

3- यदि प्राप्त HRA और भुगतान किराए की राशि दोनोँ ही क्रमशः 3000₹ व् 8333₹ से अधिक है तो किराये की रसीद व मकान स्वामी के PAN no. दोनोँ को ही उपलब्ध करना होगा।

 नोट— किराया भुगतान की राशि में बिजली या मरम्मत व्यय को सम्मलित नहीं किया जाता है।

उदाहरण द्वारा स्पष्टीकरण——

माना mr. X  ब्लाक के किसी स्कूल में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत  है और ललितपुर शहर में 4000 ₹ मासिक किराए के मकान में रहते है। उनका अन्य विवरण निम्न है—

(वार्षिक आधार पर ) 
Basic salary              201720 ₹
D. A.               229162 ₹
HRA (920×12)     11040 ₹

Solution—-निम्न बिंदुओं में जो सबसे कम राशि होगी वह आयकर से मुक्त होगी–
1- HRA की वास्तविक प्राप्त राशि= 11040 ₹

2- किराए की रकम – वेतन का 10%
    4000×12 – (201720+229162)×10%
  48000 – 43088 = 4912 ₹

3- वेतन का 40% 
    430882×10% = 172353 ₹
     
    उपर्युक्त तीनों में सबसे कम राशि 4912 ₹ है जो कि आयकर से मुक्त होगी। अतः प्राप्त HRA की 11040 ₹ की राशि में से 4912 टैक्स से फ्री होंगे व 11040 – 4912 = 6128₹ पर टैक्स लगेगा।
   हाँ, यदि Mr. X को संपूर्ण HRA की राशि आयकर से बचानी है तो उन्हें और अधिक महँगे किराये के मकान में रहना होगा। अर्थात उपरोक्त द्वतीय बिंदु की गणना का अंतर 4912 ₹ की जगह 11040 ₹ न्यूनतम करना होगा।
उपरोक्त केस में Mr. X को न तो किराए की रसीद और न तो मकान स्वामी के PAN no. को उपलब्ध कराना आवश्यक है।

बुधवार, 6 दिसंबर 2017

ग्रेच्युटी क्या है, कैसे की जाती है कैलकुलेट

ग्रेच्युटी क्या है, कैसे की जाती है कैलकुलेट – सब कुछ जानें
ग्रेच्युटी ऐसी रकम है, जिसके बारे में बहुत नौकरीपेशा लोग बहुत कुछ नहीं जानते, सो आइए, आज हम ग्रेच्युटी से जुड़े आपके सभी सवालों का जवाब लेकर आए
नई दिल्ली: ग्रेच्युटी क्या है...? ग्रेच्युटी कैसे कैलकुलेट की जाती है...? मैं कब ग्रेच्युटी का हकदार बनूंगा...? ग्रेच्युटी के तौर पर मिली कितनी रकम टैक्स-फ्री होगी, और कितनी ग्रेच्युटी पर इनकम टैक्स देना होगा...? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जो लगभग हर नौकरीपेशा इंसान के दिमाग में घूमते रहते हैं... रिटायरमेंट (या नौकरी बदलने पर) पर मिलने वाली इस रकम का इंतज़ार आमतौर पर इसलिए किया जाता है, ताकि तब तक पूरे न हो पाए सपनें पूरे किए जा सकें, या उस रकम के ज़रिये अपने खर्चे चलाने का इंतज़ाम किया जा सके. ग्रेच्युटी ऐसी रकम है, जिसके बारे में बहुत ज़्यादा नौकरीपेशा लोग बहुत कुछ नहीं जानते, और अक्सर अपने साथियों, अपने ऑफिस के एकाउंट्स डिपार्टमेंट या कभी-कभी चार्टर्ड एकाउंटेंटों से भी सवाल करते देखे जाते हैं, सो आइए, आज हम ग्रेच्युटी से जुड़े आपके सभी सवालों का जवाब लेकर आए हैं.
*क्या है ग्रेच्युटी...?
ग्रेच्युटी आपके वेतन, यानी आपकी सैलरी का वह हिस्सा है, जो कंपनी या आपका नियोक्ता, यानी एम्प्लॉयर आपकी सालों की सेवाओं के बदले देता है. ग्रेच्युटी वह लाभकारी योजना है, जो रिटायरमेंट लाभों का हिस्सा है, और नौकरी छोड़ने या खत्म हो जाने पर कर्मचारी को नियोक्ता द्वारा दिया जाता है.
*कब मैं ग्रेच्युटी का हकदार बनूंगा...?
ग्रेच्युटी किसी भी ऐसे कर्मचारी को दी जानी होती है, जो नौकरी में लगातार 4 साल, 10 महीने, 11 दिन तक काम कर चुका हो. ऐसे कर्मचारी की सेवा को पांच साल की अनवरत सेवा माना जाता है, और आमतौर पर पांच साल की सेवाओं के बाद ही कोई भी कर्मचारी ग्रेच्युटी का हकदार बनता है. यानी अगर आप जल्दी-जल्दी, यानी साल-दो-साल में नौकरी बदलने का शौक या आदत रखते हैं, तो ग्रेच्युटी आपके हिस्से कभी नहीं आएगी.
*ग्रेच्युटी कैसे कैलकुलेट की जाती है...?
ग्रेच्युटी कैलकुलेट करने का फॉर्मूला ज़्यादा मुश्किल नहीं है. पांच साल की सेवा के बाद सेवा में पूरे किए गए हर साल के बदले अंतिम महीने के बेसिक वेतन और महंगाई भत्ते को जोड़कर उसे पहले 15 से गुणा किया जाता है, फिर सेवा में दिए गए सालों की संख्या से, और इसके बाद हासिल होने वाली रकम को 26 से भाग दे दिया जाता है, और वही आपकी ग्रेच्युटी है. यानी फॉर्मूला हुआ...
[(अंतिम माह का बेसिक वेतन + महंगाई भत्ता) x 15 x सेवा में दिए गए साल] / 26
मान लीजिए, आपने किसी संस्थान में 21 साल 11 महीने नौकरी की है, और आपकी अंतिम बेसिक सैलरी 22,000 रुपये थी, जिस पर आपको 24,000 रुपये महंगाई भत्ता मिलता था... सबसे पहले यह समझिए, यहां आपकी नौकरी 22 साल की मानी जाएगी... इसके बाद आप 22,000 और 24,000 की रकमों को जोड़ेंगे, जिनसे आपके पास 46,000 की रकम आएगी. इस रकम को 15 से गुणा करने पर 6,90,000 मिलेगा. फिर इस रकम को आपको अपनी सेवा के साल, यानी 22 से गुणा करना होगा, और अब आपको 1,51,80,000 की रकम हासिल होगी. अब अंत में इस रकम को आप 26 से भाग देंगे, तो आपको मिलेगा 5,83,846, और बस, यही आपकी ग्रेच्युटी है.
*ग्रेच्युटी का कितना हिस्सा टैक्स-फ्री है...?
अगर आपकी ग्रेच्युटी ऊपर बताए गए फॉर्मूले से ही कैलकुलेट की गई है, और आपके एम्प्लॉयर ने आपको अपनी तरफ से कोई रकम उपहार में नहीं दी है, तो 20,00,000 रुपये, यानी 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी के तौर पर मिलने वाली पूरी रकम टैक्स-फ्री होगी, यानी उस पर आपको किसी भी तरह का कोई टैक्स नहीं देना होगा.