सोमवार, 31 अगस्त 2015

तुलसी का पौधा बता देगा, आप पर कोई मुसीबत आने वाली है


  तुलसी का पौधा बता देगा, आप पर कोई मुसीबत आने वाली है
क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया कि आपके घर, परिवार या आप पर कोई मुसीबत आने वाली होती है तो उसका असर सबसे पहले आपके घर में स्थित तुलसी के पौधे पर होता है। आप उस पौधे का कितना भी ध्यान रखें धीरे-धीरे वो पौधा सूखने लगता है। तुलसी का पौधा ऐसा है जो आपको पहले ही बता देगा कि आप पर या आपके घर परिवार को किसी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।
पुराणों और शास्त्रों के अनुसार माना जाए तो ऐसा इसलिए होता है कि जिस घर पर मुसीबत आने वाली होती है उस घर से सबसे पहले लक्ष्मी यानी तुलसी चली जाती है। क्योंकि दरिद्रता, अशांति या क्लेश जहां होता है वहां लक्ष्मी जी का निवास नही होता। अगर ज्योतिष की माने तो ऐसा बुध के कारण होता है। बुध का प्रभाव हरे रंग पर होता है और बुध को पेड़ पौधों का कारक ग्रह माना जाता है।
बुध ऐसा ग्रह है जो अन्य ग्रहों के अच्छे और बुरे प्रभाव जातक तक पहुंचाता है। अगर कोई ग्रह अशुभ फल देगा तो उसका अशुभ प्रभाव बुध के कारक वस्तुओं पर भी होता है। अगर कोई ग्रह शुभ फल देता है तो उसके शुभ प्रभाव से तुलसी का पौधा उत्तरोत्तर बढ़ता रहता है। बुध के प्रभाव से पौधे में फल फूल लगने लगते हैं।प्रतिदिन चार पत्तियां तुलसी की सुबह खाली पेट ग्रहण करने से मधुमेह, रक्त विकार, वात, पित्त आदि दोष दूर होने लगते है मां तुलसी के समीप आसन लगा कर यदि कुछ समय हेतु प्रतिदिन बैठा जाये तो श्वास के रोग अस्थमा आदि से जल्दी छुटकारा मिलता है.
घर में तुलसी के पौधे की उपस्थिति एक वैद्य समान तो है ही यह वास्तु के दोष भी दूर करने में सक्षम है हमारें शास्त्र इस के गुणों से भरे पड़े है जन्म से लेकर मृत्यु तक काम आती है यह तुलसी.... कभी सोचा है कि मामूली सी दिखने वाली यह तुलसी हमारे घर या भवन के समस्त दोष को दूर कर हमारे जीवन को निरोग एवम सुखमय बनाने में सक्षम है माता के समान सुख प्रदान करने वाली तुलसी का वास्तु शास्त्र में विशेष स्थान है हम ऐसे समाज में निवास करते है कि सस्ती वस्तुएं एवम सुलभ सामग्री को शान के विपरीत समझने लगे है महंगी चीजों को हम अपनी प्रतिष्ठा मानते है कुछ भी हो तुलसी का स्थान हमारे शास्त्रों में पूज्यनीय देवी के रूप में है तुलसी को मां शब्द से अलंकृत कर हम नित्य इसकी पूजा आराधना भी करते है इसके गुणों को आधुनिक रसायन शास्त्र भी मानता है इसकी हवा तथा स्पर्श एवम इसका भोग दीर्घ आयु तथा स्वास्थ्य विशेष रूप से वातावरण को शुद्ध करने में सक्षम होता है शास्त्रानुसार तुलसी के विभिन्न प्रकार के पौधे मिलते है उनमें श्रीकृष्ण तुलसी, लक्ष्मी तुलसी, राम तुलसी, भू तुलसी, नील तुलसी, श्वेत तुलसी, रक्त तुलसी, वन तुलसी, ज्ञान तुलसी मुख्य रूप से विद्यमान है सबके गुण अलग अलग है शरीर में नाक कान वायु कफ ज्वर खांसी और दिल की बिमारिओं पर खास प्रभाव डालती है.
वास्तु दोष को दूर करने के लिए तुलसी के पौधे अग्नि कोण अर्थात दक्षिण-पूर्व से लेकर वायव्य उत्तर-पश्चिम तक के खाली स्थान में लगा सकते है यदि खाली जमीन ना हो तो गमलों में भी तुलसी को स्थान दे कर सम्मानित किया जा सकता है.
तुलसी का गमला रसोई के पास रखने से पारिवारिक कलह समाप्त होती है पूर्व दिशा की खिडकी के पास रखने से पुत्र यदि जिद्दी हो तो उसका हठ दूर होता है यदि घर की कोई सन्तान अपनी मर्यादा से बाहर है अर्थात नियंत्रण में नहीं है तो पूर्व दिशा में रखे तुलसी के पौधे में से तीन पत्ते किसी ना किसी रूप में सन्तान को खिलाने से सन्तान आज्ञानुसार व्यवहार करने लगती है.
कन्या के विवाह में विलम्ब हो रहा हो तो अग्नि कोण में तुलसी के पौधे को कन्या नित्य जल अर्पण कर एक प्रदक्षिणा करने से विवाह जल्दी और अनुकूल स्थान में होता है सारी बाधाए दूर होती है.
यदि कारोबार ठीक नहीं चल रहा तो दक्षिण-पश्चिम में रखे तुलसी कि गमले पर प्रति शुक्रवार को सुबह कच्चा दूध अर्पण करे व मिठाई का भोग रख कर किसी सुहागिन स्त्री को मीठी वस्तु देने से व्यवसाय में सफलता मिलती है
नौकरी में यदि उच्चाधिकारी की वजह से परेशानी हो तो ऑफिस में खाली जमीन या किसी गमले आदि जहाँ पर भी मिटटी हो वहां पर सोमवार को तुलसी के सोलह बीज किसी सफेद कपडे में बाँध कर सुबह दबा दे सम्मन की वृद्धि होगी. नित्य पंचामृत बना कर यदि घर कि महिला शालिग्राम जी का अभिषेक करती है तो घर में वास्तु दोष हो ही नहीं सकता...

जयश्रीकृष्ण

नेकी तेरी कही तुला पर तुले ना तुले.....

एक बार एक व्यक्ति ने..
एक..नया मकान...खरीदा..
उसमे.फलों का बगीचा भी था..
...
...मगर पडौस के मकान पुराने थे..और उनमे कई लोग रहते थे.
...
..कुछ दिन बाद उसने देखा कि पडौस के मकान से किसी ने बाल्टी भर कूडा उसके घर ...दरवाजे पर डाल दिया है..
.....
..शाम को उस व्यक्ति ने एक बाल्टी ली उसमे ताजे फल रखे ..
और उस घर के दरवाजे पर घंटी बजायी....
..उस घर के लोग बेचैन हो गये.
और वो सोचने लगे कि वह उनसे सुबह की घटना के लिये लडने आया है..
..अत वे पहले ही तैयार हो गये और बुरा भला बोलने लगे..
.मगर जैसे ही उन्होने दरवाजा खोला....
.....वे हैरान हो गये...रसीले ताजे फलों की भरी बाल्टी के साथ...
...मुस्कान चेहरे पर लिये नया पडोसी सामने खडा था...
.........सब हैरान थे....
....उसने कहा....जो मेरे पास था वही मैं आपके लिये ला सका...

.....
.....
...........सच है जिसके पास जो है वही वह दूसरे को .....दे सकता है...
..जरा सोचिये..
.कि मेरे पास दूसरो
के लिये क्या है..
.....
...........दाग तेरे दामन के धुले ना धुले
नेकी तेरी कही तुला पर तुले ना तुले.....
मांग ले अपनी गलतियो की माफी खुद से.
क्या पता आँख कल ये खुले ना खुले.......
प्यार बांटो प्यार मिलेगा

तुलसी का पौधा बता देगा, आप पर कोई मुसीबत आने वाली है


  तुलसी का पौधा बता देगा, आप पर कोई मुसीबत आने वाली है
क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया कि आपके घर, परिवार या आप पर कोई मुसीबत आने वाली होती है तो उसका असर सबसे पहले आपके घर में स्थित तुलसी के पौधे पर होता है। आप उस पौधे का कितना भी ध्यान रखें धीरे-धीरे वो पौधा सूखने लगता है। तुलसी का पौधा ऐसा है जो आपको पहले ही बता देगा कि आप पर या आपके घर परिवार को किसी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।
पुराणों और शास्त्रों के अनुसार माना जाए तो ऐसा इसलिए होता है कि जिस घर पर मुसीबत आने वाली होती है उस घर से सबसे पहले लक्ष्मी यानी तुलसी चली जाती है। क्योंकि दरिद्रता, अशांति या क्लेश जहां होता है वहां लक्ष्मी जी का निवास नही होता। अगर ज्योतिष की माने तो ऐसा बुध के कारण होता है। बुध का प्रभाव हरे रंग पर होता है और बुध को पेड़ पौधों का कारक ग्रह माना जाता है।
बुध ऐसा ग्रह है जो अन्य ग्रहों के अच्छे और बुरे प्रभाव जातक तक पहुंचाता है। अगर कोई ग्रह अशुभ फल देगा तो उसका अशुभ प्रभाव बुध के कारक वस्तुओं पर भी होता है। अगर कोई ग्रह शुभ फल देता है तो उसके शुभ प्रभाव से तुलसी का पौधा उत्तरोत्तर बढ़ता रहता है। बुध के प्रभाव से पौधे में फल फूल लगने लगते हैं।प्रतिदिन चार पत्तियां तुलसी की सुबह खाली पेट ग्रहण करने से मधुमेह, रक्त विकार, वात, पित्त आदि दोष दूर होने लगते है मां तुलसी के समीप आसन लगा कर यदि कुछ समय हेतु प्रतिदिन बैठा जाये तो श्वास के रोग अस्थमा आदि से जल्दी छुटकारा मिलता है.
घर में तुलसी के पौधे की उपस्थिति एक वैद्य समान तो है ही यह वास्तु के दोष भी दूर करने में सक्षम है हमारें शास्त्र इस के गुणों से भरे पड़े है जन्म से लेकर मृत्यु तक काम आती है यह तुलसी.... कभी सोचा है कि मामूली सी दिखने वाली यह तुलसी हमारे घर या भवन के समस्त दोष को दूर कर हमारे जीवन को निरोग एवम सुखमय बनाने में सक्षम है माता के समान सुख प्रदान करने वाली तुलसी का वास्तु शास्त्र में विशेष स्थान है हम ऐसे समाज में निवास करते है कि सस्ती वस्तुएं एवम सुलभ सामग्री को शान के विपरीत समझने लगे है महंगी चीजों को हम अपनी प्रतिष्ठा मानते है कुछ भी हो तुलसी का स्थान हमारे शास्त्रों में पूज्यनीय देवी के रूप में है तुलसी को मां शब्द से अलंकृत कर हम नित्य इसकी पूजा आराधना भी करते है इसके गुणों को आधुनिक रसायन शास्त्र भी मानता है इसकी हवा तथा स्पर्श एवम इसका भोग दीर्घ आयु तथा स्वास्थ्य विशेष रूप से वातावरण को शुद्ध करने में सक्षम होता है शास्त्रानुसार तुलसी के विभिन्न प्रकार के पौधे मिलते है उनमें श्रीकृष्ण तुलसी, लक्ष्मी तुलसी, राम तुलसी, भू तुलसी, नील तुलसी, श्वेत तुलसी, रक्त तुलसी, वन तुलसी, ज्ञान तुलसी मुख्य रूप से विद्यमान है सबके गुण अलग अलग है शरीर में नाक कान वायु कफ ज्वर खांसी और दिल की बिमारिओं पर खास प्रभाव डालती है.
वास्तु दोष को दूर करने के लिए तुलसी के पौधे अग्नि कोण अर्थात दक्षिण-पूर्व से लेकर वायव्य उत्तर-पश्चिम तक के खाली स्थान में लगा सकते है यदि खाली जमीन ना हो तो गमलों में भी तुलसी को स्थान दे कर सम्मानित किया जा सकता है.
तुलसी का गमला रसोई के पास रखने से पारिवारिक कलह समाप्त होती है पूर्व दिशा की खिडकी के पास रखने से पुत्र यदि जिद्दी हो तो उसका हठ दूर होता है यदि घर की कोई सन्तान अपनी मर्यादा से बाहर है अर्थात नियंत्रण में नहीं है तो पूर्व दिशा में रखे तुलसी के पौधे में से तीन पत्ते किसी ना किसी रूप में सन्तान को खिलाने से सन्तान आज्ञानुसार व्यवहार करने लगती है.
कन्या के विवाह में विलम्ब हो रहा हो तो अग्नि कोण में तुलसी के पौधे को कन्या नित्य जल अर्पण कर एक प्रदक्षिणा करने से विवाह जल्दी और अनुकूल स्थान में होता है सारी बाधाए दूर होती है.
यदि कारोबार ठीक नहीं चल रहा तो दक्षिण-पश्चिम में रखे तुलसी कि गमले पर प्रति शुक्रवार को सुबह कच्चा दूध अर्पण करे व मिठाई का भोग रख कर किसी सुहागिन स्त्री को मीठी वस्तु देने से व्यवसाय में सफलता मिलती है
नौकरी में यदि उच्चाधिकारी की वजह से परेशानी हो तो ऑफिस में खाली जमीन या किसी गमले आदि जहाँ पर भी मिटटी हो वहां पर सोमवार को तुलसी के सोलह बीज किसी सफेद कपडे में बाँध कर सुबह दबा दे सम्मन की वृद्धि होगी. नित्य पंचामृत बना कर यदि घर कि महिला शालिग्राम जी का अभिषेक करती है तो घर में वास्तु दोष हो ही नहीं सकता...

जयश्रीकृष्ण

अभिलाष!  अभिलाष! 

रात में एक चोर घर में घुसl । कमरे का दरवाजा खोला तो बरामदे पर एक बूढ़ी औरत सो रही थी।

खटपट से उसकी आंख खुल गई। चोर ने घबरा कर देखा
तो वह लेटे लेटे बोली

'' बेटा, तुम देखने से किसी अच्छे घर के लगते हो, लगता है किसी परेशानी से मजबूर होकर इस रास्ते पर लग गए हो। चलो कोई बात नहीं। अलमारी के तीसरे बक्से में एक तिजोरी
है ।

इसमें का सारा माल तुम चुपचाप ले जाना। मगर
पहले मेरे पास आकर बैठो, मैंने अभी-अभी एक ख्वाब
देखा है । वह सुनकर जरा मुझे इसका मतलब तो बता
दो।"

चोर उस बूढ़ी औरत की रहमदिली से बड़ा अभिभूत हुआ और चुपचाप उसके पास जाकर बैठ गया।

बुढ़िया ने अपना सपना सुनाना शुरु किया

''बेटा, मैंने देखा कि मैं एक रेगिस्तान में खो गइ हूँ। ऐसे
में एक चील मेरे पास आई और उसने 3 बार जोर जोर
से बोला अभिलाष!  अभिलाष!  अभिलाष !!!

बस फिर ख्वाब खत्म हो गया और मेरी आंख खुल गई। जरा बताओ तो इसका क्या मतलब हुई? ''

चोर सोच में पड़ गया। इतने में बराबर वाले कमरे से
बुढ़िया का नौजवान बेटा अभिलाष अपना नाम
ज़ोर ज़ोर से सुनकर उठ गया और अंदर आकर चोर की
जमकर धुनाई कर दी।

बुढ़िया बोली ''बस करो अब
यह अपने किए की सजा भुगत चुका।"

चोर बोला, "नहीं- नहीं ! मुझे और कूटो , सालों!....

ताकि मुझे आगे याद रहे कि मैं चोर हूँ , सपनों का सौदागर  नहीं। ''

Moral - Be Professional in  your work..

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तुलसी का पौधा बता देगा, आप पर कोई मुसीबत आने वाली है


  तुलसी का पौधा बता देगा, आप पर कोई मुसीबत आने वाली है
क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया कि आपके घर, परिवार या आप पर कोई मुसीबत आने वाली होती है तो उसका असर सबसे पहले आपके घर में स्थित तुलसी के पौधे पर होता है। आप उस पौधे का कितना भी ध्यान रखें धीरे-धीरे वो पौधा सूखने लगता है। तुलसी का पौधा ऐसा है जो आपको पहले ही बता देगा कि आप पर या आपके घर परिवार को किसी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।
पुराणों और शास्त्रों के अनुसार माना जाए तो ऐसा इसलिए होता है कि जिस घर पर मुसीबत आने वाली होती है उस घर से सबसे पहले लक्ष्मी यानी तुलसी चली जाती है। क्योंकि दरिद्रता, अशांति या क्लेश जहां होता है वहां लक्ष्मी जी का निवास नही होता। अगर ज्योतिष की माने तो ऐसा बुध के कारण होता है। बुध का प्रभाव हरे रंग पर होता है और बुध को पेड़ पौधों का कारक ग्रह माना जाता है।
बुध ऐसा ग्रह है जो अन्य ग्रहों के अच्छे और बुरे प्रभाव जातक तक पहुंचाता है। अगर कोई ग्रह अशुभ फल देगा तो उसका अशुभ प्रभाव बुध के कारक वस्तुओं पर भी होता है। अगर कोई ग्रह शुभ फल देता है तो उसके शुभ प्रभाव से तुलसी का पौधा उत्तरोत्तर बढ़ता रहता है। बुध के प्रभाव से पौधे में फल फूल लगने लगते हैं।प्रतिदिन चार पत्तियां तुलसी की सुबह खाली पेट ग्रहण करने से मधुमेह, रक्त विकार, वात, पित्त आदि दोष दूर होने लगते है मां तुलसी के समीप आसन लगा कर यदि कुछ समय हेतु प्रतिदिन बैठा जाये तो श्वास के रोग अस्थमा आदि से जल्दी छुटकारा मिलता है.
घर में तुलसी के पौधे की उपस्थिति एक वैद्य समान तो है ही यह वास्तु के दोष भी दूर करने में सक्षम है हमारें शास्त्र इस के गुणों से भरे पड़े है जन्म से लेकर मृत्यु तक काम आती है यह तुलसी.... कभी सोचा है कि मामूली सी दिखने वाली यह तुलसी हमारे घर या भवन के समस्त दोष को दूर कर हमारे जीवन को निरोग एवम सुखमय बनाने में सक्षम है माता के समान सुख प्रदान करने वाली तुलसी का वास्तु शास्त्र में विशेष स्थान है हम ऐसे समाज में निवास करते है कि सस्ती वस्तुएं एवम सुलभ सामग्री को शान के विपरीत समझने लगे है महंगी चीजों को हम अपनी प्रतिष्ठा मानते है कुछ भी हो तुलसी का स्थान हमारे शास्त्रों में पूज्यनीय देवी के रूप में है तुलसी को मां शब्द से अलंकृत कर हम नित्य इसकी पूजा आराधना भी करते है इसके गुणों को आधुनिक रसायन शास्त्र भी मानता है इसकी हवा तथा स्पर्श एवम इसका भोग दीर्घ आयु तथा स्वास्थ्य विशेष रूप से वातावरण को शुद्ध करने में सक्षम होता है शास्त्रानुसार तुलसी के विभिन्न प्रकार के पौधे मिलते है उनमें श्रीकृष्ण तुलसी, लक्ष्मी तुलसी, राम तुलसी, भू तुलसी, नील तुलसी, श्वेत तुलसी, रक्त तुलसी, वन तुलसी, ज्ञान तुलसी मुख्य रूप से विद्यमान है सबके गुण अलग अलग है शरीर में नाक कान वायु कफ ज्वर खांसी और दिल की बिमारिओं पर खास प्रभाव डालती है.
वास्तु दोष को दूर करने के लिए तुलसी के पौधे अग्नि कोण अर्थात दक्षिण-पूर्व से लेकर वायव्य उत्तर-पश्चिम तक के खाली स्थान में लगा सकते है यदि खाली जमीन ना हो तो गमलों में भी तुलसी को स्थान दे कर सम्मानित किया जा सकता है.
तुलसी का गमला रसोई के पास रखने से पारिवारिक कलह समाप्त होती है पूर्व दिशा की खिडकी के पास रखने से पुत्र यदि जिद्दी हो तो उसका हठ दूर होता है यदि घर की कोई सन्तान अपनी मर्यादा से बाहर है अर्थात नियंत्रण में नहीं है तो पूर्व दिशा में रखे तुलसी के पौधे में से तीन पत्ते किसी ना किसी रूप में सन्तान को खिलाने से सन्तान आज्ञानुसार व्यवहार करने लगती है.
कन्या के विवाह में विलम्ब हो रहा हो तो अग्नि कोण में तुलसी के पौधे को कन्या नित्य जल अर्पण कर एक प्रदक्षिणा करने से विवाह जल्दी और अनुकूल स्थान में होता है सारी बाधाए दूर होती है.
यदि कारोबार ठीक नहीं चल रहा तो दक्षिण-पश्चिम में रखे तुलसी कि गमले पर प्रति शुक्रवार को सुबह कच्चा दूध अर्पण करे व मिठाई का भोग रख कर किसी सुहागिन स्त्री को मीठी वस्तु देने से व्यवसाय में सफलता मिलती है
नौकरी में यदि उच्चाधिकारी की वजह से परेशानी हो तो ऑफिस में खाली जमीन या किसी गमले आदि जहाँ पर भी मिटटी हो वहां पर सोमवार को तुलसी के सोलह बीज किसी सफेद कपडे में बाँध कर सुबह दबा दे सम्मन की वृद्धि होगी. नित्य पंचामृत बना कर यदि घर कि महिला शालिग्राम जी का अभिषेक करती है तो घर में वास्तु दोष हो ही नहीं सकता...

जयश्रीकृष्ण

इसीलिए शायद भारत आज भी विकासशील देश है

एक समय की बात है एक चींटी और एक टिड्डा था . गर्मियों के दिन थे,
चींटी दिन भर मेहनत करती और अपने रहने के लिए घर को बनाती, खाने के लिए
भोजन भी इकठ्ठा करती जिस से की सर्दियों में उसे खाने पीने की
दिक्कत न हो और वो आराम से अपने घर में रह सके, जबकि टिड्डा दिन
भर मस्ती करता गाना गाता और चींटी को बेवकूफ समझता.
मौसम बदला और सर्दियां आ गयीं, चींटी अपने बनाए मकान में आराम से रहने
लगी उसे खाने पीने की कोई दिक्कत नहीं थी परन्तु टिड्डे के पास
रहने के लिए न घर था और न खाने के लिए खाना, वो बहुत परेशान रहने लगा .
दिन तो उसका जैसे तैसे कट जाता परन्तु ठण्ड में रात काटे नहीं कटती.
एक दिन टिड्डे को उपाय सूझा और उसने एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई. सभी
न्यूज़ चैनल वहां पहुँच गए . तब टिड्डे ने कहा
कि ये कहाँ का इन्साफ है की एक देश में एक समाज में रहते हुए चींटियाँ तो आराम से रहें
और भर पेट खाना खाएं और और हम टिड्डे ठण्ड में भूखे पेट ठिठुरते रहें ..........?
मिडिया ने मुद्दे को जोर - शोर से उछाला, और जिस से पूरी विश्व बिरादरी के कान खड़े हो गए........ ! बेचारा
टिड्डा सिर्फ इसलिए अच्छे खाने और घर से महरूम रहे की वो गरीब है और जनसँख्या में कम है बल्कि
चीटियाँ बहुसंख्या में हैं और अमीर हैं तो क्या आराम से जीवन जीने का अधिकार
उन्हें मिल गया बिलकुल नहीं ये टिड्डे के साथ अन्याय है
इस बात पर कुछ समाजसेवी, चींटी के घर के सामने धरने पर बैठ गए तो कुछ भूख हड़ताल पर,
कुछ ने टिड्डे के लिए घर की मांग की. कुछ राजनीतिज्ञों ने इसे पिछड़ों के प्रति अन्याय बताया.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने टिड्डे के वैधानिक अधिकारों को याद दिलाते हुए भारत सरकार की निंदा की.
सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर टिड्डे के समर्थन में बाड़ सी आ गयी, विपक्ष के नेताओं ने भारत बंद का एलान
कर दिया. कमुनिस्ट पार्टियों ने समानता के अधिकार के तहत चींटी पर "कर" लगाने और टिड्डे को अनुदान
की मांग की, एक नया क़ानून लाया गया "पोटागा" (प्रेवेंशन ऑफ़ टेरेरिज़म अगेंस्ट ग्रासहोपर एक्ट). टिड्डे के
लिए आरक्षण की व्यवस्था कर दी गयी.
अंत में पोटागा के अंतर्गत चींटी पर फाइन लगाया गया उसका घर सरकार ने अधिग्रहीत कर टिड्डे
को दे दिया .......! इस प्रकरण को मीडिया ने पूरा कवर किया टिड्डे को इन्साफ दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की .
समाजसेवकों ने इसे समाजवाद की स्थापना कहा तो किसी ने न्याय की जीत, कुछ
राजनीतिज्ञों ने उक्त शहर का नाम बदलकर "टिड्डा नगर" कर दिया, रेल मंत्री ने "टिड्डा रथ" के नाम से
नयी रेल चलवा दी.........! और कुछ नेताओं ने इसे समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन
की संज्ञा दी.
चींटी भारत छोड़कर अमेरिका चली गयी ......... ! वहां उसने फिर से मेहनत
की और एक कंपनी की स्थापना की जिसकी दिन रात
तरक्की होने लगी........! तथा अमेरिका के विकास में सहायक सिद्ध हुई
चींटियाँ मेहनत करतीं रहीं टिड्डे खाते रहे ........! फलस्वरूप धीरे
धीरे चींटियाँ भारत छोड़कर जाने लगीं....... और टिड्डे झगड़ते रहे ........! एक दिन खबर आई
की अतिरिक्त आरक्षण की मांग को लेकर सैंकड़ों टिड्डे मारे गए.................!
ये सब देखकर अमेरिका में बैठी चींटी ने कहा " इसीलिए शायद भारत आज
भी विकासशील देश है"

इसीलिए शायद भारत आज भी विकासशील देश है

एक समय की बात है एक चींटी और एक टिड्डा था . गर्मियों के दिन थे,
चींटी दिन भर मेहनत करती और अपने रहने के लिए घर को बनाती, खाने के लिए
भोजन भी इकठ्ठा करती जिस से की सर्दियों में उसे खाने पीने की
दिक्कत न हो और वो आराम से अपने घर में रह सके, जबकि टिड्डा दिन
भर मस्ती करता गाना गाता और चींटी को बेवकूफ समझता.
मौसम बदला और सर्दियां आ गयीं, चींटी अपने बनाए मकान में आराम से रहने
लगी उसे खाने पीने की कोई दिक्कत नहीं थी परन्तु टिड्डे के पास
रहने के लिए न घर था और न खाने के लिए खाना, वो बहुत परेशान रहने लगा .
दिन तो उसका जैसे तैसे कट जाता परन्तु ठण्ड में रात काटे नहीं कटती.
एक दिन टिड्डे को उपाय सूझा और उसने एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई. सभी
न्यूज़ चैनल वहां पहुँच गए . तब टिड्डे ने कहा
कि ये कहाँ का इन्साफ है की एक देश में एक समाज में रहते हुए चींटियाँ तो आराम से रहें
और भर पेट खाना खाएं और और हम टिड्डे ठण्ड में भूखे पेट ठिठुरते रहें ..........?
मिडिया ने मुद्दे को जोर - शोर से उछाला, और जिस से पूरी विश्व बिरादरी के कान खड़े हो गए........ ! बेचारा
टिड्डा सिर्फ इसलिए अच्छे खाने और घर से महरूम रहे की वो गरीब है और जनसँख्या में कम है बल्कि
चीटियाँ बहुसंख्या में हैं और अमीर हैं तो क्या आराम से जीवन जीने का अधिकार
उन्हें मिल गया बिलकुल नहीं ये टिड्डे के साथ अन्याय है
इस बात पर कुछ समाजसेवी, चींटी के घर के सामने धरने पर बैठ गए तो कुछ भूख हड़ताल पर,
कुछ ने टिड्डे के लिए घर की मांग की. कुछ राजनीतिज्ञों ने इसे पिछड़ों के प्रति अन्याय बताया.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने टिड्डे के वैधानिक अधिकारों को याद दिलाते हुए भारत सरकार की निंदा की.
सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर टिड्डे के समर्थन में बाड़ सी आ गयी, विपक्ष के नेताओं ने भारत बंद का एलान
कर दिया. कमुनिस्ट पार्टियों ने समानता के अधिकार के तहत चींटी पर "कर" लगाने और टिड्डे को अनुदान
की मांग की, एक नया क़ानून लाया गया "पोटागा" (प्रेवेंशन ऑफ़ टेरेरिज़म अगेंस्ट ग्रासहोपर एक्ट). टिड्डे के
लिए आरक्षण की व्यवस्था कर दी गयी.
अंत में पोटागा के अंतर्गत चींटी पर फाइन लगाया गया उसका घर सरकार ने अधिग्रहीत कर टिड्डे
को दे दिया .......! इस प्रकरण को मीडिया ने पूरा कवर किया टिड्डे को इन्साफ दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की .
समाजसेवकों ने इसे समाजवाद की स्थापना कहा तो किसी ने न्याय की जीत, कुछ
राजनीतिज्ञों ने उक्त शहर का नाम बदलकर "टिड्डा नगर" कर दिया, रेल मंत्री ने "टिड्डा रथ" के नाम से
नयी रेल चलवा दी.........! और कुछ नेताओं ने इसे समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन
की संज्ञा दी.
चींटी भारत छोड़कर अमेरिका चली गयी ......... ! वहां उसने फिर से मेहनत
की और एक कंपनी की स्थापना की जिसकी दिन रात
तरक्की होने लगी........! तथा अमेरिका के विकास में सहायक सिद्ध हुई
चींटियाँ मेहनत करतीं रहीं टिड्डे खाते रहे ........! फलस्वरूप धीरे
धीरे चींटियाँ भारत छोड़कर जाने लगीं....... और टिड्डे झगड़ते रहे ........! एक दिन खबर आई
की अतिरिक्त आरक्षण की मांग को लेकर सैंकड़ों टिड्डे मारे गए.................!
ये सब देखकर अमेरिका में बैठी चींटी ने कहा " इसीलिए शायद भारत आज
भी विकासशील देश है"