सोमवार, 7 सितंबर 2015

भगवान की प्लानिंग

एक बार भगवान से उनका सेवक कहता है, भगवान आप एक
जगह खड़े-
खड़े थक गये होंगे. एक दिन के लिए मैं आपकी
जगह मूर्ति बन कर
खड़ा हो जाता हूं, आप मेरा रूप धारण कर घूम आओ. भगवान मान
जाते हैं, लेकिन शर्त रखते हैं कि जो भी लोग प्रार्थना
करने आयें,
तुम बस उनकी प्रार्थना सुन लेना. कुछ बोलना
नहीं. मैंने उन सभी के
लिए प्लानिंग कर रखी है. सेवक मान जाता है.
सबसे पहले मंदिर में बिजनेसमैन आता है और कहता है, भगवान
मैंने
नयी फैक्ट्री डाली है, उसे
खूब सफल करना. वह माथा टेकता है, तो
उसका पर्स नीचे गिर जाता है. वह बिना पर्स लिये
ही चला
जाता है. सेवक बेचैन हो जाता है. वह सोचता है कि रोक कर उसे
बताये कि पर्स गिर गया, लेकिन शर्त की वजह से वह
नहीं कह
पाता. इसके बाद एक गरीब आदमी आता
है और भगवान को कहता
है कि घर में खाने को कुछ नहीं. भगवान मदद कर.
तभी उसकी नजर
पर्स पर पड़ती है. वह भगवान का शुक्रिया अदा करता
है और चला
जाता है.
अब तीसरा व्यक्ति आता है. वह नाविक होता है. वह
भगवान से
कहता है कि मैं 15 दिनों के लिए जहाज लेकर समुद्र
की यात्रा पर
जा रहा हूं. यात्रा में कोई अड़चन न आये भगवान. तभी
पीछे से
बिजनेसमैन पुलिस के साथ आता है और कहता है कि मेरे बाद ये
नाविक आया है. इसी ने मेरा पर्स चुरा लिया है. पुलिस
नाविक
को ले जा रही होती है कि सेवक बोल
पड़ता है. अब पुलिस उस
गरीब आदमी को पकड़ कर जेल में बंद
कर देती है.
रात को भगवान आते हैं, तो सेवक खुशी-
खुशी पूरा किस्सा
बताता है. भगवान कहते हैं, तुमने किसी का काम बनाया
नहीं,
बल्कि बिगाड़ा है. वह व्यापारी गलत धंधे करता है.
अगर उसका
पर्स गिर भी गया, तो उसे फर्क नहीं पड़ता
था. इससे उसके पाप ही
कम होते, क्योंकि वह पर्स गरीब इनसान को मिला था.
पर्स
मिलने पर उसके बच्चे भूखों नहीं मरते.
रही बात नाविक की, तो वह
जिस यात्रा पर जा रहा था, वहां तूफान आनेवाला था. अगर
वह
जेल में रहता, तो जान बच जाती. उसकी
पत्नी विधवा होने से बच
जाती. तुमने सब गड़बड़ कर दी.
बात पते की...
कई बार हमारी लाइफ में भी
ऐसी प्रॉब्लम आती है, जब हमें लगता
है कि ये मेरा साथ ही क्यों हुआ. लेकिन इसके
पीछे भगवान की
प्लानिंग होती है.
जब भी कोई प्रॉब्लमन आये. उदास मत होना. इस
स्टोरी को याद
करना और सोचना कि जो भी होता है, अच्छे के लिए
होता है....!!!

रविवार, 6 सितंबर 2015

A confirmed railway ticket can be transferred in your blood relations.

Good News For Railway Reservation Passengers
A confirmed railway ticket can be transferred in your blood relations.
If a person is holding a confirmed ticket and is unable to travel, then the ticket can be transferred to his/her family members including father, mother, brother, sister, son, daughter, husband or wife.
For transfer of ticket, an application must be submitted at least 24 hours in advance of the scheduled departure of the train to chief reservation supervisor with ID proof.
Government officials can transfer to other govt official, students can transfer ticket to other students.
Share this. It may help someone.
Details : See the below link:

                                                                                             
Http:/www.indianrail.gov.in/change_Name.html..

Inform & Forward all Groups and friends...

A slap on face on our media

Teacher:- who is your 'role model'?

Girl: Ma'am, Indrani Mukharjee!

Teacher : (Shocked)  Why?

Girl:- See Ma'am,  Abdul Kalam passed away - no debate.
Sania won Wimbledon - 10 minutes coverage.
4/5 toppers in IAS are women - do we even know?
Indian women hockey team got entry in Olympics after 20 years - have we ever heard?
Have we ever seen any interview from  Indra Nooyi ...Chanda Kochchar...???

Look at Indrani Mukharjee, inch by inch they are covering, how much struggle she had , how ambitious she is, how beautiful she looks....how many husbands she had...what companies she had...I am inspired by what  I see in TV...
Ma'am I want to become full cover story like Indrani Mukharjee ..!

This is not joke, this is a slap on face on our media

शनिवार, 5 सितंबर 2015

मानव धर्म - मुशीं फैज अली और स्वामी विवेकानन्द

एक संवाद......

मुशीं फैज अली ने स्वामी विवेकानन्द से पूछा :
"स्वामी जी हमें बताया गया है कि अल्लहा एक ही है। 
यदि वह एक ही है, तो फिर संसार उसी ने बनाया होगा ?

"स्वामी जी बोले, "सत्य है।".

मुशी जी बोले ,"तो फिर इतने प्रकार के मनुष्य क्यों बनाये। 
जैसे कि हिन्दु, मुसलमान, सिख्ख, ईसाइ और सभी को अलग-अलग धार्मिक ग्रंथ भी दिये।
एक ही जैसे इंसान बनाने में उसे यानि की अल्लाह को क्या एतराज था।
सब एक होते तो न कोई लङाई और न कोई झगङा होता।

".स्वामी हँसते हुए बोले, "मुंशी जी वो सृष्टी कैसी होती जिसमें एक ही प्रकार के फूल होते।

केवल गुलाब होता, कमल या रंजनिगंधा या गेंदा जैसे फूल न होते!".

फैज अली ने कहा सच कहा आपने
यदि
एक ही दाल होती
तो
खाने का स्वाद भी
एक ही होता। 

दुनिया तो
बङी फीकी सी हो जाती!

स्वामी जी ने कहा, मुंशीजी! इसीलिये तो ऊपर वाले ने अनेक प्रकार के जीव-जंतु और इंसान बनाए
ताकि हम
पिंजरे का भेद भूलकर
जीव की एकता को पहचाने।

मुशी जी ने पूछा,
इतने मजहब क्यों ?

स्वामी जी ने कहा, " मजहब तो मनुष्य ने बनाए हैं,
प्रभु ने तो केवल धर्म बनाया है।

"मुशी जी ने कहा कि, " ऐसा क्यों है कि
एक मजहब में कहा गया है कि गाय और सुअर खाओ
और
दूसरे में कहा गया है कि
गाय मत खाओ, सुअर खाओ एवं तीसरे में कहा गया कि
गाय खाओ सुअर न खाओ;

इतना ही नही कुछ लोग तो ये भी कहते हैं कि मना करने पर जो इसे खाये उसे अपना दुश्मन समझो।"

स्वामी जी जोर से हँसते हुए मुंशी जी से पूछे कि ,"क्या ये सब प्रभु ने कहा है ?"

मुंशी जी बोले नही,"मजहबी लोग यही कहते हैं।"

स्वामी जी बोले,
"मित्र!
किसी भी देश या प्रदेश का भोजन
वहाँ की जलवायु की देन है। 

सागरतट पर बसने वाला व्यक्ति वहाँ खेती नही कर सकता,
वह
सागर से पकङ कर
मछलियां ही खायेगा।

उपजाऊ भूमि के प्रदेश में
खेती हो सकती है।
वहाँ
अन्न फल एवं शाक-भाजी उगाई जा सकती है। 

उन्हे अपनी खेती के लिए गाय और बैल बहुत उपयोगी लगे। 

उन्होने
गाय को अपनी माता माना, धरती को अपनी माता माना और नदी को माता माना ।
क्योंकि
ये सब
उनका पालन पोषण
माता के समान ही करती हैं।"

"अब जहाँ मरुभूमि है वहाँ खेती कैसे होगी?

खेती नही होगी तो वे
गाय और बैल का क्या करेंगे?

अन्न है नही
तो खाद्य के रूप में
पशु को ही खायेंगे।

तिब्बत में कोई शाकाहारी कैसे हो सकता है?
वही स्थिति अरब देशों में है। जापान में भी इतनी भूमि नही है कि कृषि पर निर्भर रह सकें।

"स्वामी जी फैज अलि की तरफ मुखातिब होते हुए बोले,
" हिन्दु कहते हैं कि
मंदिर में जाने से पहले या
पूजा करने से पहले
स्नान करो। 

मुसलमान नमाज पढने से पहले वाजु करते हैं। 
क्या अल्लहा ने कहा है कि नहाओ मत,
केवल लोटे भर पानी से
हांथ-मुँह धो लो?

"फैज अलि बोला,
क्या पता कहा ही होगा!

स्वामी जी ने आगे कहा,
नहीं,
अल्लहा ने नही कहा!

अरब देश में इतना पानी कहाँ है कि वहाँ पाँच समय नहाया जाए। 
जहाँ पीने के लिए पानी बङी मुश्किल से मिलता हो वहाँ कोई पाँच समय कैसे नहा सकता है।

यह तो
भारत में ही संभव है,
जहाँ नदियां बहती हैं,
झरने बहते हैं, कुएँ जल देते हैं।

तिब्बत में
यदि
पानी हो
तो वहाँ पाँच बार व्यक्ति यदि नहाता है तो ठंड के कारण ही मर जायेगा।
यह सब
प्रकृति ने
सबको समझाने के लिये किया है।

"स्वामी विवेका नंद जी ने आगे समझाते हुए कहा कि," मनुष्य की मृत्यु होती है।

उसके शव का अंतिम संस्कार करना होता है।

अरब देशों में वृक्ष नही होते थे, केवल रेत थी।
अतः
वहाँ मृतिका समाधी का प्रचलन हुआ,
जिसे आप दफनाना कहते हैं। 

भारत में वृक्ष बहुत बङी संख्या में थे,
लकडी.पर्याप्त उपलब्ध थी
अतः
भारत में
अग्नि संस्कार का प्रचलन हुआ। 

जिस देश में जो सुविधा थी
वहाँ उसी का प्रचलन बढा। 

वहाँ जो मजहब पनपा
उसने उसे अपने दर्शन से जोङ लिया।

"फैज अलि विस्मित होते हुए बोला! 
"स्वामी जी इसका मतलब है कि हमें
शव का अंतिम संस्कार
प्रदेश और देश के अनुसार करना चाहिये।
मजहब के अनुसार नही।

"स्वामी जी बोले , "हाँ! यही उचित है।

" किन्तु अब लोगों ने उसके साथ धर्म को जोङ दिया।

मुसलमान ये मानता है कि उसका ये शरीर कयामत के दिन उठेगा इसलिए वह शरीर को जलाकर समाप्त नही करना चाहता। 

हिन्दु मानता है कि उसकी आत्मा फिर से नया शरीर धारण करेगी
इसलिए
उसे मृत शरीर से
एक क्षंण भी मोह नही होता।

"फैज अलि ने पूछा
कि,
"एक मुसलमान के शव को जलाया जाए और एक हिन्दु के शव को दफनाया जाए
तो क्या
प्रभु नाराज नही होंगे?

"स्वामी जी ने कहा," प्रकृति के नियम ही प्रभु का आदेश हैं।
वैसे
प्रभु कभी रुष्ट नही होते
वे प्रेमसागर हैं,
करुणा सागर है।

"फैज अलि ने पूछा
तो हमें
उनसे डरना नही चाहिए?

स्वामी जी बोले, "नही!
हमें तो
ईश्वर से प्रेम करना चाहिए
वो तो पिता समान है,
दया का सागर है
फिर उससे भय कैसा। 

डरते तो उससे हैं हम
जिससे हम प्यार नही करते।

"फैज अलि ने हाँथ जोङकर स्वामी विवेकानंद जी से पूछा, "तो फिर
मजहबों के कठघरों से
मुक्त कैसे हुआ जा सकता है?

"स्वामी जी ने फैज अलि की तरफ देखते हुए
मुस्कराकर कहा,
"क्या तुम सचमुच
कठघरों से मुक्त होना चाहते हो?" 

फैज अलि ने स्वीकार करने की स्थिति में
अपना सर हिला दिया।

स्वामी जी ने आगे समझाते हुए कहा,
"फल की दुकान पर जाओ,
तुम देखोगे
वहाँ
आम, नारियल, केले, संतरे,अंगूर आदि अनेक फल बिकते हैं; किंतु वो दुकान तो फल की दुकान ही कहलाती है।

वहाँ अलग-अलग नाम से फल ही रखे होते हैं। 

" फैज अलि ने
हाँ में सर हिला दिया।

स्वामी विवेकानंद जी ने आगे कहा कि ,"अंश से अंशी की ओर चलो। 
तुम पाओगे कि सब
उसी प्रभु के रूप हैं।

"फैज अलि
अविरल आश्चर्य से
स्वामी विवेकानंद जी को
देखते रहे और बोले
"स्वामी जी
मनुष्य
ये सब क्यों नही समझता?

"स्वामी विवेकानंद जी ने शांत स्वर में कहा, मित्र! प्रभु की माया को कोई नही समझता। 
मेरा मानना तो यही है कि, "सभी धर्मों का गंतव्य स्थान एक है।
जिस प्रकार विभिन्न मार्गो से बहती हुई नदियां समुंद्र में जाकर गिरती हैं,
उसी प्रकार
सब मतमतान्तर परमात्मा की ओर ले जाते हैं। 
मानव धर्म एक है, मानव जाति एक है।"...

शुक्रवार, 4 सितंबर 2015

शिक्षक की गोद में उत्थान पलता है।

Dedicated to Our  all Worthy Teachers. ....  शिक्षक की गोद में उत्थान पलता है।
सारा जहां शिक्षक के पीछे ही चलता है।

शिक्षक का बोया हुआ पेड़ बनता है।
वही पेड़ हजारों बीज जनता है।

शिक्षक काल की गति को मोड़ सकता है।
शिक्षक धरा से अम्बर को जोड़ सकता है।

शिक्षक की महिमा महान होती है।
शिक्षक बिन अधूरी हूँ वसुन्धरा कहती है।

याद रखो चाणक्य ने इतिहास बना डाला था।
क्रूर मगध राजा को मिट्टी में मिला डाला था।

बालक चन्द्रगुप्त को चक्रवर्ती सम्राट बनाया था।
एक शिक्षक ने अपना लोहा मनवाया था।

संदीपनी से गुरु सदियों से होते आये है।
कृष्ण जैसे नन्हे नन्हे बीज बोते आये है।

शिक्षक से ही अर्जुन और युधिष्ठिर जैसे नाम है।
शिक्षक की निंदा करने से दुर्योधन बदनाम है।

शिक्षक की ही दया दृष्टि से बालक राम बन जाते है।
शिक्षक की अनदेखी से वो रावण भी कहलाते है।

हम सब ने भी शिक्षक बनने का सुअवसर पाया है।
बहुत बड़ी जिम्मेदारी को हमने गले लगाया है।

आओ हम संकल्प करे की अपना फ़र्ज निभायेगे।
अपने प्यारे भारत को हम जगतगुरु बनायेंगे।

अपने शिक्षक होने का हरपल अभिमान करेगे।
इस समाज में हम भी अपना शिक्षा दान करेगे।

शिक्षको को समर्पित कविता।

मन की बात highlights

शिक्षक दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां बच्चों को संबोधित किया, वहीं दिल्ली और दूसरे राज्यों के छात्रों के सवालों के जवाब भी दिए। उनसे पूछे गए सभी सवाल और उसके जवाब....

1.सबसे कम उम्र में ऐवरेस्ट पर चढ़ने वाली मलावात पूर्णा (निजामाबाद, तेलंगाना) का सवाल: आपके जीवन पर किसका प्रभाव सबसे ज्यादा रहा है?

नरेंद्र मोदी: जीवन किसी एक व्यक्ति के कारण नहीं बनता है। अगर हम अच्छी चीजों को ग्रहण करने वाले होते हैं, तो हर जगह सीखते हैं। कई बार सफर के दौरान रेल के डिब्बे में भी कुछ न कुछ सीखते हैं। मेरे जीवन में भी शिक्षकों, मां और कई लोगों को प्रभाव रहा। बाद में स्वामी विवेकानंद को पढ़ने का मौका मिला। मुझे लगता है कि उनका प्रभाव काफी अधिक रहा।

2.इंग्लिश ओलिंपियाड में टॉप करने वाली शैली किपजेन ( मणिपुर) का सवाल: सफल नेता बनने के लिए क्या गुण हो? राजनीति में आने के लिए क्या करूं?

नरेंद्र मोदी: दुर्भाग्य से राजनीति आज बदनाम हो गई है। राजनीति में भी प्रतिभाशाली लोगों की जरूरत है। इसके लिए लीडरशिप का गुण होना चाहिए। यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि हम नेता क्यों बनना चाहते हैं। सिर्फ चुनाव लड़ने के लिए या समाज में बदलाव लाने के लिए।

3.जूनियर मास्टरशेफ का खिताब जीतने वाले सार्थक भारद्वाज (देहरादून, उत्तराखंड) का सवाल: डिजिटल इंडिया बहुत अच्छा कार्यक्रम है, लेकिन भारत में कई जगहों पर बिजली तक नहीं है, यह कैसे सफल होगा?

नरेंद्र मोदी: हमारे देश में 18 हजार गावों में बिजली नहीं है। मैं इस दिशा में काम कर रहा हूं और अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इन गांवों में एक हजार दिनों में बिजली चाहिए। दूसरी बात, डिजिटल क्रियाकलापों के लिए बिजली जरूरी नहीं है। सोलर एनर्जी विकल्प है और मोबाइल से भी यह भी संभव है। इसलिए बिजली कभी रुकावट नहीं बनेगी। मेरी कोशिश है कि 2022 तक सभी घरों को 24 घंटे बिजली मिले।

4.स्पेशल ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली सोनिया येलप्पा पाटिल (पणजी, गोवा) का सवाल: आपको कौन-सा खेल पसंद है?

नरेंद्र मोदी: लड़कियां खेल में आगे बढ़ती हैं, तो इसमें मां का खास योगदान होता है। मैं उनके टीचर को विशेष रूप से बधाई देता हूं, जिन्होंने सोनिया को आगे बढ़ाना के लिए कितना कुछ किया होगा। राजनीति वाले क्या खेलते हैं सबको पता है। बचपन में कबड्डी, खो-खो खेलता था और गांव में होने की वजह से तलाब में कपड़े धोने जाता था तो तैरना आ गया और बाद में तैराकी में आनंद आने लगा।

5.वेस्ट मैनेजमेंट पर ऐप बनाने वाली बेंगलुरु की 5 लड़कियों का पेंटागन ग्रुप का सवाल: स्वच्छ भारत की क्या चुनौतियां हैं?

नरेंद्र मोदी: स्वच्छ भारत अभियान हमारे स्वभाव से जुड़ा है। यह एक ऐसा कार्यक्रम है, जिस पर किसी ने सवाल नहीं उठाया है। इस अभियान का सबने समर्थन किया है। वेस्ट मैनेजमेंट आज बहुत बड़ा उद्योग बन रहा है और हम इसे लेकर कई योजनाएं चला रहे हैं।

6.विज्ञान कांग्रेस में असाधारण माने गए अनमोल काबरा (पटना, बिहार) का सवाल: तीन घंटे की प्रतियोगी परीक्षा में टॉप करना आज की शिक्षा व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य बन गया है। आप इस पर क्या कहना चाहते हैं?

नरेंद्र मोदी: यह बात सही है कि हमारे यहां मां-बाप का एक स्वभाव होता है कि जो वे खुद न कर पाए चाहते हैं कि उनके बच्चे वह हासिल करें। मैं इस संबंध में एक छोटा-सा बदलाव लाने की कोशिश कर रहा हूं। मैंने शिक्षा विभाग से कहा है कि स्कूलों को चरित्र प्रमाण पत्र के बजाय अभिरुचि प्रमाण पत्र देना चाहिए, जिसे हर तीन महीने अपडेट किया जाना चाहिए। इसे छात्र के दोस्तों और शिक्षकों आदि द्वारा लगातार दिए गए फीडबैक के आधार पर तैयार किया जाना चाहिए।

7.क्लाउड कम्प्यूटिंग में सराहनीय काम करने वाली के. विलासिनी ( तमिलनाडु) का सवाल: मैं देश सेवा के लिए क्या करूं?

नरेंद्र मोदी: तुम जो अभी कर रही हो, वह भी देश की सेवा है। लोग मानते हैं कि देश की सेवा सिर्फ फौज और राजनीति जैसे क्षेत्रों में जाकर की जा सकती है। आप खाना बर्बाद नहीं करते हैं, तो यह भी देश सेवा है। करोड़ों लोगों द्वारा किए जा रहे छोटे-छोटे काम भी देश सेवा है।

8. ई-वेस्ट प्रॉजेक्ट पर काम कर रहे आत्मिक अजॉय (बेंगलुरु, कर्नाटक) का सवाल: आज युवा शिक्षक बनने में रुचि क्यों नहीं ले रहे हैं? इसके लिए हमें क्या करना चाहिए?

नरेंद्र मोदी: ऐसा नहीं है कि देश में अच्छे शिक्षक नहीं हैं। मैं चाहता हूं कि जीवन में जिन्होंने विशिष्ट उपलब्धि हासिल की है, वे सप्ताह में एक घंटा या साल में 100 घंटे क्लास में बच्चों के साथ बिताएं। मैं चाहूंगा कि जो लोग मेरे विचार सुन रहे हैं, वे इस दिशा में पहल करें।

9. शराब मुक्ति के क्षेत्र में काम करने वाली अंशिका मिन्ज (बोकारो, झारखंड) का सवाल: किसी विद्यार्थी के सफलता का क्या मंत्र हो सकते हैं?

नरेंद्र मोदी: सफलता का कोई मंत्र नहीं हो सकता है। बस ठान लेना चाहिए कि विफल नहीं होंगे। दिक्कत यह होती है कि लोग एक-आध बार विफल हो जाते हैं तो उसे अपने सपनों की कब्रिस्तान बना लेते हैं। हर विफलता को सफलता के लिए सीख के तौर पर लेना चाहिए।

10.वनस्पति पर खोज करने वाली राबिया नज़ीर (श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर) का सवाल: छात्र के रूप में आपको कौन-सी बात उत्साहित करती थी, क्लास या क्लास से बाहर?

नरेंद्र मोदी: मैं पढ़ने में बहुत अच्छा नहीं था, लेकिन चीजों को मैं बारीकी से देखता था। क्लास रूम में हमें प्राथमिकता तय करने में मदद मिलती है और उससे कई बार आगे बढ़ने में सहायता होती है।

11.दिल्ली की छात्रा रिकी का सवाल: आपने अपनी कविताओं का संग्रह लिखा है। इस क्षेत्र में आपकी रुचि कैसे विकसित हुई?

नरेंद्र मोदी: हर किसी के अंदर कविता का वास होता है। मेरी रचना कविता के पैमाने पर फिट हो, ऐसा मैं नहीं मानता। जो भावनाएं आती थीं, उन्हें कागज पर व्यक्त कर देता था।

12.दिल्ली की छात्रा श्रेया सिंह का सवाल: देखा है कि आप बिना लिखा हुआ भाषण देते हैं। यह कला आपने कैसे विकसित की?

नरेंद्र मोदी: पहला, अच्छा भाषण देने के लिए अच्छा श्रोता होना जरूरी है। दूसरी बात, यह चिंता मत कीजिए कि आपकी बात पर और लोग क्या कहेंगे। तीसरा, नोट बनाने की आदत होनी चाहिए। जो बातें महत्वपूर्ण हैं, उसे रोचक ढंग से कहें ताकि सुनने वाले लोगों को ध्यान न भटके।

13.दिल्ली की छात्रा अनामिका दुबे का सवाल: आजकल विद्यार्थियों पर इंजिनियर या डॉक्टर बनने का बहुत दबाव रहता है। अभिभावकों को कैसे समझाया जाए? अगर आप पर भी ऐसा दबाव होता तो देश को इतना अच्छा प्रधानमंत्री नहीं मिल पाता?

नरेंद्र मोदी: मैं ऐसी स्थिति में नहीं था। मैं तो क्लर्क बन जाता तो भी मेरे परिवार में उत्सव का माहौल होता। ऐसे में डॉक्टर-इंजिनियर का सपना देखना तो संभव नहीं था, लेकिन मैं इससे सहमत हूं कि माता-पिता को अपने बच्चों पर अपनी इच्छा नहीं थोपनी चाहिए और मैं आपके माता-पिता को भी यहां से संदेश देना चाहता हूं कि वे आपके साथ ऐसा न करें।

14. जवाहर नवोदय विद्यालय की पूजा शर्मा का सवाला: विश्व योग दिवस का विचार आपके मन में कैसे आया?

नरेंद्र मोदी: जब मैं मुख्यमंत्री भी नहीं था, तो एक बार ऑस्ट्रेलिया गया था और वहां हर कोई मेरे से योग के बारे में सवाल कर रहा था। मैंने बाद में कई बार इसका प्रस्ताव रखा, लेकिन कोई सुनता नहीं था। बाद में जब मुझे मौका मिला तो मैंने संयुक्त राष्ट्र संघ में इसका प्रस्ताव रखा। 21 जून के दिन का प्रस्ताव रखने की वजह यह थी कि उस दिन हमारे भू-भाग पर सूर्य की रोशनी सबसे लंबे समय तक रहती है।

15. जवाहर नवोदय विद्यालय के दिव्यांश सिंह का सवाल: आपके दिमाग में भारतीय कपड़ों को प्रमोट करने का विचार कैसे आया? मोदी कुर्ता का राज़ क्या है?

नरेंद्र मोदी: लोगों में बहुत भ्रम है कि मोदी का फैशन डिजायनर है। कुछ लोग दावा भी करते हैं कि वे मेरे फैशन डिजाइनर हैं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। मेरी पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन शुरू से मेरा स्वाभाव ढंग से रहने का था। गुजरात में ठंड नहीं पड़ती थी, इस वजह से कुर्ता-पायजामा पहनता था। कपड़े खुद धोने पड़ते थे और कई बार लगता था कि कम कपड़े धोने पड़ें इसलिए कुर्ता को काटकर छोटा कर दिया।

गुरुवार, 3 सितंबर 2015

Cost Cutting .

Cost Cutting .

एक छोटे से शहर मे एक बहौत ही मश्हूर बनवारी लाल सामोसे बेचने वाला था। वो ठेला लगाकर रोज दिन में 500 समोसे खट्टी मीठी चटनी के साथ बेचता था रोज नया तैल इस्तमाल करता था और कभी अगर समोसे बच जाते तो उनको कुत्तो को खिला देता stale बासी समोसे या चटनी का प्रयोग बिलकुल नहीं करता था , उसकी चटनी भी ग्राहकों को बहोत पसंद थी जिससे समोसों का स्वाद और बढ़ जाता था। कुल मिलाकर उसकी क्वालिटी और सर्विस बहोत ही बढ़िया थी।

उसका लड़का अभी अभी शहर से अपनी MBA की पढाई पूरी करके आया था।
              एक दिन लड़का बोला पापा मैंने न्यूज़ में सुना है मंदी आने वाली है, हमे अपने लिए कुछ cost cutting करके कुछ पैसे बचने चाहिए, उस पैसे को हम मंदी के समय इस्तेमाल करेंगे।

समोसे वाला: बेटा में अनपढ़ आदमी हु मुझे ये cost cutting wost cutting नहीं आता ना मुझसे ये सब होगा, बेटा तुझे पढ़ाया लिखाया है अब ये सब तू ही सम्भाल।

बेटा: ठीक है पिताजी आप रोज रोज ये जो फ्रेश तेल इस्तमाल करते हो इसको हम 80% फ्रेश और 20%पिछले दिन का जला हुआ तेल इस्तेमाल करेंगे।

अगले दिन समोसों का टेस्ट हल्का सा चेंज था पर फिर भी उसके 500 समोसे बिक गए और शाम को बेटा बोलता है देखा पापा हमने आज 20%तेल के पैसे बचा लिए और बोला पापा इसे कहते है COST CUTTING

समोसे वाला: बेटा मुझ अनपढ़ से ये सब नहीं
होता ये तो सब तेरे पढाई लिखाई का कमाल है।

लड़का:पापा वो सब तो ठीक है पर अभी और पैसे बचाने चाहिए। कल से हम खट्टी चटनी नहीं देंगे और जले तैल की मात्र 30% प्रयोग में लेंगे।

अगले दिन उसके 400 समोसे बिक गए और स्वाद बदल जाने के कारन 100 समोसे नहीं बिके जो उसने जानवरो और कुत्तो को खिला दिए।

लड़का: देखा पापा मैंने बोला था ना मंदि आने वाली है आज सिर्फ 400 समोसे ही बीके है।

समोसे वाला: बेटा अब तुझे पढ़ाने लिखाने का कुछ फायदा मुझे होना ही चाहिए। अब आगे भी मंदी के दौर से तू ही बचा।

लड़का: पापा कल से हम मीठी चटनी भी नहीं देंगे और जले तैल की मात्रा हम 40% इस्तेमाल करेंगे और समोसे भी कल से 400 हीे बनाएंगे।

अगले दिन उसके 400 समोसे बिक गए पर सभी ग्राहकों को समोसे का स्वाद कुछ अजीब सा लगा और चटनी ना मिलने की वजह से स्वाद और बिगड़ा हुआ लगा।

शाम को लड़का अपने पिता से: देखा पाप आज हमे 40%तैल , चटनी और 100 समोसे के पैसे बचा लिए। पापा इसे कहते है cost कटाई और कल से जले तैल की मात्रा 50% करदो और साथ में tissue पेपर देना भी बंद करदो।

अगले दिन समोसों का स्वाद कुछ और बदल गया और उसके 300 समोसे ही बीके।

शाम को लड़का आपनै पिता से: पापा बोला था ना आपको की मंदी आने वाली है।

समोसे वाला: हा बेटा तू सही कहता है मंदी आगई है अब तू आगे देख क्या करना है कैसे इस मंदी से लड़े।

लड़का :पापा एक काम करते ह कल 200 समोसे ही बनाएंगे और जो आज 100 समोसे बचे है कल उन्ही को दोबारा तल कर मिलाकर बेचेंगे।

अगले दिन: समोसों का स्वाद और बिगड़ गया, कुछ ग्राहकों ने समोसे खाते वक़्त बनवारी लाल को बोला भी और कुछ चुप चाप खाकर चले गए। आज उसके 100 समोसे ही बीक और 100 बच गए।

शाम को लड़का बनवारी लाल से: पापा देखा मैंने बोला था आपको और जादा मंदी आएगी अब देखो कितनी मंदी आगई है।

समोसे वाला: हा बेटा तू सही बोलता है तू पढ़ा लिखा है समझदार है। अब् आगे कैसे करेगा?

लड़का: पापा कल हम आज के बचे हुए 100 समोसे दोबारा तल कर बेचेंगे और नए समोसे नहीं बनाएंगे।

अगले दिन उसके 50 समोसे ही बीके और 50 बच गए। ग्राहकों को समोसा का स्वाद बेहद ही ख़राब लगा और मन ही मन सोचने लगे बनवारी लाल आजकल कितने बेकार समोसे बनाने लगा है और चटनी भी नहीं देता कल से किसी और दुकान पर जाएंगे।

शाम को लड़का: पापा देखा मंदी आज हुमनै 50 समोसों के पैसे बचा लिए। अब कल फिर से 50 बचे हुए समोसे दोबारा तल कर गरम करके बचेंगे।

अगले दिन उसकी दुकान पर शाम तक एक भी ग्राहक नहीं आया

और बेटा बोला देखा पापा मैंने बोला था आपको और मंदी आएगी और देखो आज एक भी ग्राहक नहीं आया और हमने आज भी 50 समोसे के पैसा बचा लिए। इसे कहते है Cost Cutting.

बनवारी लाल समोसे वाला :
बेटा खुदा का शुक्र है तू पढ़ लिख लिया वरना इस मंदी का मुझ अनपढ़ को क्या पता की cost cutting क्या होता है।

और बनवारी लाल समोसे वाले की दूकान हमेशा हमेशा के लिए बंद होगई।..

M.B.A.
Muzhe Bahut Aata hai.. Ha ha ha