रविवार, 27 अगस्त 2017

IFMS पर अपने विधालय का बजट कैसे चेक किया जाता है

*ifms पर अपने विधालय का बजट कैसे चेक किया जाता है*
*उत्तर*
⬇IFMS.RAJ.NIC. IN पर क्लिक करें।
⬇बजट पर क्लिक करें।
⏬लोगिन  पर guest डाले
⏬पासवर्ड मेंGuest@321डाले।
⬇कैप्चा में संख्या भरें।तथा लोग इन करें।
⬇Welcome to IFMS pr OK kren.एक नई स्क्रीन खुलेगी ।इसमें ऊपर बाई साइड में Finance पर क्लिक करें।
⬇ Finance
➡Budget Distribution
➡Report
➡Latest Budget Balance in Passbook Format.
⬇नई स्क्रीन पर Financial Year me 2017-18का चुनाव करें।
⬇Enter office ID daalkar सीधे ही show रिपोर्ट पर क्लिक करें। कभी कभी नेटवर्क या साइट की प्रॉब्लम के कारण error while show reporting Report bhi aa skta hai.ऐसी स्थिति में x पर क्लिक करें तथा report type में Summary With Expentire का चुनाव करें।इसका चुनाव करने पर आपको एक नई स्क्रीन दिखाई देगी।
➡इसमें आपको बजट हेड 2202 02 109 01 00 भरें।शेष सभी कॉलम खली छोड़ें और शो रिपोर्ट पर क्लिक करें तो  पूर्व मे जारी Plan  का विवरण आ जाएगा।SF की राशि आ जाएगी। वेतन टी ए या ऑफिस खर्च लैब खर्च वर्दी के पैसे।यदि इसमें आपको वर्दी के पैसे नही दिखा रहा है तो इसका अर्थ है कि आपकी स्कूल को वर्दी के पैसे स्वीकृत नही हुआ है।यही स्थिति कार्यालय व्यय तथा टी ए के लिए भी है।इसमें आपको प्राप्त राशि निदेशालय द्वारा आपके खाते से निकली गई राशि(Distributed Amount),AFD मतलब जो राशि आप प्रयोग कर सकते है।Expenditure मतलब अब तक आपके द्वारा खर्च की गई राशि और अंत में बैलेंस मतलब कितनी राशि शेष है।
⬇यदि आप बजट हेड में 2202 02 109 07 01 का प्रयोग करते है तो ये राशि SF या CA की की होगी।
➡इसमें आपको बजट हेड 2202 02 109 27 01 भरें।शेष सभी कॉलम खली छोड़ें और शो रिपोर्ट पर क्लिक करें तो  पूर्व मे जारी नॉन Plan  का विवरण आ जाएगा।SF की राशि आ
⬇⬇⬇⬇⬇⬇
Detail
डिटेल में जाने के बाद बजट हेड भरने पर आपको datewise अब तक आपको प्राप्त कुल राशि बतायेगा
*इसमें आने वाले कुछ टर्म्स का अर्थ निम्न है*
⏬received amount का मतलब है कि आपने वित्तीय वर्ष में कुल कितनी अमाउंट प्राप्त की।
⏬Distributed Amount का अर्थ है कि आपकी office को यदि ज्यादा अमाउंट प्राप्त हो गई हो या आपने उस बजट की राशि का उपयोग लंबे समय से नही किया है तो वह अमाउंट पुनः निदेशालय बीकानेर के द्वारा निकल कर अन्य office या स्कूल को दे दी जाती है।अतः यह राशि आपको प्राप्त कुल राशि में से कम हो जाती है।
⏬A F D की फुल फॉर्म है Amount for distribution मतलब यह राशि आपकी स्कूल के लिए है यह राशि received amount और distributed अमाउंट को घटाने पर प्राप्त होती है इसी राशि का उपयोग हम really में उपयोग कर सकते है।
⏬Expentire इसमें स्कूल का खर्च आता है जैसे सैलरी बिल की कुल राशि जितने का आपने पेमेंट क्र लिया।
⏬Balance भविष्य में आगामी बिल के लिए शेष राशि।इसी के आधार पर निर्धारण किया जाता है कि बिल के लिए बजट है या नही।

शुक्रवार, 4 अगस्त 2017

श्री मद्-भगवत गीता

एक हिन्दू को इन जैसी बातों की जानकारी,
जबानी रखनी चाहिए :       
  "श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में-

ॐ . किसको किसने सुनाई?
उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई।

ॐ . कब सुनाई?
उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई।

ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई?
उ.- रविवार के दिन।

ॐ. कोनसी तिथि को?
उ.- एकादशी

ॐ. कहा सुनाई?
उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।

ॐ. कितनी देर में सुनाई?
उ.- लगभग 45 मिनट में

ॐ. क्यू सुनाई?
उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य
सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को
धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए।

ॐ. कितने अध्याय है?
उ.- कुल 18 अध्याय

ॐ. कितने श्लोक है?
उ.- 700 श्लोक

ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है?
उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत
व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से
व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है।

ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा
और किन किन लोगो ने सुना?
उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने

ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान
किन्हें मिला था?
उ.- भगवान सूर्यदेव को

ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है?
उ.- उपनिषदों में

ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....?
उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-
पर्व का एक हिस्सा है।

ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है?
उ.- गीतोपनिषद

ॐ. गीता का सार क्या है?
उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना

ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है?
उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574
अर्जुन ने- 85
धृतराष्ट्र ने- 1
संजय ने- 40.

अपनी युवा-पीढ़ी को गीता जी के बारे में
जानकारी पहुचाने हेतु इसे ज्यादा से ज्यादा
शेअर करे। धन्यवाद

अधूरा ज्ञान खतरना होता है।

33 करोड नहीँ  33 कोटी देवी देवता हैँ हिँदू
धर्म मेँ।

कोटि = प्रकार।
देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है,

कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक
अर्थ करोड़ भी होता।

हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात
उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं
और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की
हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं...

कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे :-

12 प्रकार हैँ
आदित्य , धाता, मित, आर्यमा,
शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष,
सविता, तवास्था, और विष्णु...!

8 प्रकार हे :-
वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।

11 प्रकार है :-
रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक,
अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी,
रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली।

एवँ
दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार।

कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी

अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है
तो इस जानकारी को अधिक से अधिक
लोगो तक पहुचाएं। ।

१ हिन्दु हाेने के नाते जानना ज़रूरी है

This is very good information for all of us ...
जय श्रीकृष्ण ...

अब आपकी बारी है कि इस जानकारी को आगे
बढ़ाएँ  तो आपको भी आनंद होगा.....⛳

थाईलैंड क्या है ये जाने

#थाईलैंड क्या है ये जाने।
भारत के बाहर थाईलेंड में आज भी संवैधानिक रूप में राम राज्य है l वहां भगवान राम के छोटे पुत्र कुश के वंशज सम्राट “भूमिबल अतुल्य तेज ” राज्य कर रहे हैं , जिन्हें नौवां राम कहा जाता है l

-भगवान राम का संक्षिप्त इतिहास-
वाल्मीकि रामायण एक धार्मिक ग्रन्थ होने के साथ एक ऐतिहासिक ग्रन्थ भी है , क्योंकि महर्षि वाल्मीकि राम के समकालीन थे , रामायण के बालकाण्ड के सर्ग ,70 . 71 और 73 में राम और उनके तीनों भाइयों के विवाह का वर्णन है , जिसका सारांश है।

मिथिला के राजा सीरध्वज थे , जिन्हें लोग विदेह भी कहते थे उनकी पत्नी का नाम सुनेत्रा ( सुनयना ) था , जिनकी पुत्री सीता जी थीं , जिनका विवाह राम से हुआ था l
राजा जनक के कुशध्वज नामके भाई थे l इनकी राजधानी सांकाश्य नगर थी जो इक्षुमती नदी के किनारे थी l इन्होंने अपनी बेटी
उर्मिला लक्षमण से, मांडवी भरत से, और श्रुतिकीति का विवाह शत्रुघ्न से करा दी थीl

केशव दास रचित ” रामचन्द्रिका “-पृष्ठ 354 ( प्रकाशन संवत 1715 ) .के अनुसार, राम और सीता के पुत्र लव और कुश, लक्ष्मण और उर्मिला के पुत्र अंगद और चन्द्रकेतु , भरत और मांडवी के पुत्र पुष्कर और तक्ष, शत्रुघ्न और श्रुतिकीर्ति के पुत्र सुबाहु और शत्रुघात हुए थे l

भगवान राम के समय ही राज्यों बँटवारा इस प्रकार हुआ था —
पश्चिम में लव को लवपुर (लाहौर ), पूर्व में कुश को कुशावती, तक्ष को तक्षशिला, अंगद को अंगद नगर, चन्द्रकेतु को चंद्रावतीl कुश ने अपना राज्य पूर्व की तरफ फैलाया और एक नाग वंशी कन्या से विवाह किया था l थाईलैंड के राजा उसी कुश के वंशज हैंl इस वंश को “चक्री वंश कहा जाता है l चूँकि राम को विष्णु का अवतार माना जाता है , और विष्णु का आयुध चक्र है इसी लिए थाईलेंड के लॉग चक्री वंश के हर राजा को “राम ” की उपाधि देकर नाम के साथ संख्या दे देते हैं l जैसे अभी राम (9 th ) राजा हैं जिनका नाम “भूमिबल अतुल्य तेज ” है।

थाईलैंड की अयोध्या–
लोग थाईलैंड की राजधानी को अंग्रेजी में बैंगकॉक ( Bangkok ) कहते हैं , क्योंकि इसका सरकारी नाम इतना बड़ा है , की इसे विश्व का सबसे बडा नाम माना जाता है , इसका नाम संस्कृत शब्दों से मिल कर बना है, देवनागरी लिपि में पूरा नाम इस प्रकार है –

“क्रुंग देव महानगर अमर रत्न कोसिन्द्र महिन्द्रायुध्या महा तिलक भव नवरत्न रजधानी पुरी रम्य उत्तम राज निवेशन महास्थान अमर विमान अवतार स्थित शक्रदत्तिय विष्णु कर्म प्रसिद्धि ”

थाई भाषा में इस पूरे नाम में कुल 163 अक्षरों का प्रयोग किया गया हैl इस नाम की एक और विशेषता ह l इसे बोला नहीं बल्कि गा कर कहा जाता हैl कुछ लोग आसानी के लिए इसे “महेंद्र अयोध्या ” भी कहते है l अर्थात इंद्र द्वारा निर्मित महान अयोध्या l थाई लैंड के जितने भी राम ( राजा ) हुए हैं सभी इसी अयोध्या में रहते आये हैं l

असली राम राज्य थाईलैंड में है-
बौद्ध होने के बावजूद थाईलैंड के लोग अपने राजा को राम का वंशज होने से विष्णु का अवतार मानते हैं , इसलिए, थाईलैंड में एक तरह से राम राज्य है l वहां के राजा को भगवान श्रीराम का वंशज माना जाता है, थाईलैंड में संवैधानिक लोकतंत्र की स्थापना 1932 में हुई।

भगवान राम के वंशजों की यह स्थिति है कि उन्हें निजी अथवा सार्वजनिक तौर पर कभी भी विवाद या आलोचना के घेरे में नहीं लाया जा सकता है वे पूजनीय हैं। थाई शाही परिवार के सदस्यों के सम्मुख थाई जनता उनके सम्मानार्थ सीधे खड़ी नहीं हो सकती है बल्कि उन्हें झुक कर खडे़ होना पड़ता है. उनकी तीन पुत्रियों में से एक हिन्दू धर्म की मर्मज्ञ मानी जाती हैं।

थाईलैंड का राष्ट्रीय ग्रन्थ रामायण है
यद्यपि थाईलैंड में थेरावाद बौद्ध के लोग बहुसंख्यक हैं , फिर भी वहां का राष्ट्रीय ग्रन्थ रामायण है l जिसे थाई भाषा में ” राम-कियेन ” कहते हैं l जिसका अर्थ राम-कीर्ति होता है , जो वाल्मीकि रामायण पर आधारित है l इस ग्रन्थ की मूल प्रति सन 1767 में नष्ट हो गयी थी , जिससे चक्री राजा प्रथम राम (1736–1809), ने अपनी स्मरण शक्ति से फिर से लिख लिया था l थाईलैंड में रामायण को राष्ट्रिय ग्रन्थ घोषित करना इसलिए संभव हुआ ,क्योंकि वहां भारत की तरह दोगले हिन्दू नहीं है ,जो नाम के हिन्दू हैं, हिन्दुओं के दुश्मन यही लोग हैं l

थाई लैंड में राम कियेन पर आधारित नाटक और कठपुतलियों का प्रदर्शन देखना धार्मिक कार्य माना जाता है l राम कियेन के मुख्य पात्रों के नाम इस प्रकार हैं-

राम (राम), 2 लक (लक्ष्मण), 3 पाली (बाली), 4 सुक्रीप (सुग्रीव), 5 ओन्कोट (अंगद), 6 खोम्पून ( जाम्बवन्त ) ,7 बिपेक ( विभीषण ), 8 तोतस कन ( दशकण्ठ ) रावण, 9 सदायु ( जटायु ), 10 सुपन मच्छा ( शूर्पणखा ) 11मारित ( मारीच ),12इन्द्रचित ( इंद्रजीत )मेघनाद , 13 फ्र पाई( वायुदेव ), इत्यादि l थाई राम कियेन में हनुमान की पुत्री और विभीषण की पत्नी का नाम भी है, जो यहाँ के लोग नहीं जानते l

थाईलैंड में हिन्दू देवी देवता
थाईलैंड में बौद्ध बहुसंख्यक और हिन्दू अल्प संख्यक हैं l वहां कभी सम्प्रदायवादी दंगे नहीं हुए l थाई लैंड में बौद्ध भी जिन हिन्दू देवताओं की पूजा करते है , उनके नाम इस प्रकार हैं
1 . ईसुअन ( ईश्वन ) ईश्वर शिव , 2 नाराइ ( नारायण ) विष्णु , 3 फ्रॉम ( ब्रह्म ) ब्रह्मा, 4 . इन ( इंद्र ), 5 . आथित ( आदित्य ) सूर्य , 6 . पाय ( पवन ) वायु l

थाईलैंड का राष्ट्रीय चिन्ह गरुड़
गरुड़ एक बड़े आकार का पक्षी है , जो लगभग लुप्त हो गया है l अंगरेजी में इसे ब्राह्मणी पक्षी (The brahminy kite ) कहा जाता है , इसका वैज्ञानिक नाम “Haliastur indus ” है l फ्रैंच पक्षी विशेषज्ञ मथुरिन जैक्स ब्रिसन ने इसे सन 1760 में पहली बार देखा था, और इसका नाम Falco indus रख दिया था, इसने दक्षिण भारत के पाण्डिचेरी शहर के पहाड़ों में गरुड़ देखा थाl इस से सिद्ध होता है कि गरुड़ काल्पनिक पक्षी नहीं है l इसीलिए भारतीय पौराणिक ग्रंथों में गरुड़ को विष्णु का वाहन माना गया है l चूँकि राम विष्णु के अवतार हैं , और थाईलैंड के राजा राम के वंशज है , और बौद्ध होने पर भी हिन्दू धर्म पर अटूट आस्था रखते हैं , इसलिए उन्होंने ” गरुड़ ” को राष्ट्रीय चिन्ह घोषित किया है l यहां तक कि थाई संसद के सामने गरुड़ बना हुआ है।

सुवर्णभूमि हवाई अड्डा
हम इसे हिन्दुओं की कमजोरी समझें या दुर्भाग्य , क्योंकि हिन्दू बहुल देश होने पर भी देश के कई शहरों के नाम मुस्लिम हमलावरों या बादशाहों के नामों पर हैं l यहाँ ताकि राजधानी दिल्ली के मुख्य मार्गों के नाम तक मुग़ल शाशकों के नाम पार हैं l जैसे हुमायूँ रोड , अकबर रोड , औरंगजेब रोड इत्यादि , इसके विपरीत थाईलैंड की राजधानी के हवाई अड्डे का नाम सुवर्ण भूमि हैl यह आकार के मुताबिक दुनिया का दूसरे नंबर का एयर पोर्ट है l इसका क्षेत्रफल 563,000 स्क्वेअर मीटर है। इसके स्वागत हाल के अंदर समुद्र मंथन का दृश्य बना हुआ हैl पौराणिक कथा के अनुसार देवोँ और ससुरों ने अमृत निकालने के लिए समुद्र का मंथन किया था l इसके लिए रस्सी के लिए वासुकि नाग, मथानी के लिए मेरु पर्वत का प्रयोग किया था l नाग के फन की तरफ असुर और पुंछ की तरफ देवता थेl मथानी को स्थिर रखने के लिए कच्छप के रूप में विष्णु थेl जो भी व्यक्ति इस ऐयर पोर्ट के हॉल जाता है वह यह दृश्य देख कर मन्त्र मुग्ध हो जाता है।

इस लेख का उदेश्य लोगों को यह बताना है कि असली सेकुलरज्म क्या होता है, यह थाईलैंड से सीखो l

SOME IRONIES THAT  EXIST IN INDIA

*SOME IRONIES THAT  EXIST IN INDIA :*--

1. Politicians *Divide* us, Terrorists *Unite* us.
 
2. Everyone is in hurry , but *no one* reaches in time.

3. Priyanka Chopra earned more money playing *Mary Kom*, than the Mary Kom earned in her entire career.

4. Its dangerous to talk to a *strangers,* but it is perfectly ok to marry one.

5. Most people who fight over *Gita and Quran*, have probably never read any of them.

6. We rather spend more on our  daughter's *wedding* than on her *education*

7. The *shoes* that we wear are sold in air conditioned show rooms, the *vegetables* that we eat are sold on the footpaths.

8. *Most* of the guys who have been ignored by Girls in young age, possesses actually the nicest and better husband material.

9. We live in a country where seeing a *policeman* makes us nervous rather than feeling safe.

10. In IAS exam, a person writes a brilliant 1500 words essay about how Dowry is a social evil and *cracks the exam* by impressing everyone.
One year later same person demands a dowry in crores, because he is an IAS officer.

11. Indians are very *shy* and still are 128 Crores.

12. Indians are obsessed with screen guards on their smartphones even though most come with scratch proof Gorilla Glass but never bother wearing a *helmet* while riding bikes.

13. It is shallow to ask for *dowry* but prospective bride grooms should make six or seven figured salaries and *preferably* *settled* in USA.

14. *A porn-star* is accepted in society as a celebrity, but *a rape victim* is not even accepted as a normal human being.   
                     
*Best ever lines :*                                   
Try to understand people before trusting them ... *Because* we are living in such a world, where artificial lemon flavor is used for *"WELCOME DRINK"* and real lemon is used in *"FINGER BOWL"*...!!

रविवार, 30 जुलाई 2017

वीर सावरकर

वीर सावरकर कौन थे?
जिन्हें आज कांग्रेसी कोस रहे और क्यों?
सभी राष्ट्रवादी कांगियों को सीना ठोक कर जवाब जरूर दें॥

ये 25 बातें पढ़कर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो उठेगा,
इसको पढ़े बिना आजादी का ज्ञान अधूरा है!

आइए जानते है एक ऐसे महान क्रांतिकारी के बारें में जिनका नाम इतिहास के पन्नों से मिटा दिया गया। जिन्होंने
ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा इतनी यातनाएं झेली की उसके बारें में कल्पना करके ही इस देश के करोड़ो भारत माँ के कायर पुत्रों में सिहरन पैदा हो जायेगी।

जिनका नाम लेने मात्र से आज भी हमारे देश के राजनेता
भयभीत होते हैं क्योंकि उन्होंर माँ भारती की निस्वार्थ सेवा की थी। वो थे हमारे परम पूज्य वीर सावरकर।

1. वीर सावरकर पहले क्रांतिकारी देशभक्त थे जिन्होंने_

1901 में ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया की मृत्यु पर नासिक में शोक सभा का विरोध किया और कहा कि वो हमारे शत्रु देश की रानी थी, हम शोक क्यूँ करें?

क्या किसी भारतीय महापुरुष के निधन पर ब्रिटेन में शोक सभा हुई है.?

2. वीर सावरकर पहले देशभक्त थे जिन्होंने एडवर्ड सप्तम के राज्याभिषेक समारोह का उत्सव मनाने वालों को
त्र्यम्बकेश्वर में बड़े बड़े पोस्टर लगाकर कहा था कि गुलामी का उत्सव मत मनाओ !

3. विदेशी वस्त्रों की पहली होली पूना में 7 अक्तूबर 1905 को वीर सावरकर ने जलाई थी…।

4. वीर सावरकर पहले ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने विदेशी
वस्त्रों का दहन किया, तब बाल गंगाधर तिलक ने अपने पत्र केसरी में उनको शिवाजी के समान बताकर उनकी प्रशंसा की थी जबकि इस घटना की दक्षिण अफ्रीका के अपने पत्र ‘इन्डियन ओपीनियन’ में गाँधी ने निंदा की थी…।

5. सावरकर द्वारा विदेशी वस्त्र दहन की इस प्रथम घटना के 16 वर्ष बाद गाँधी उनके मार्ग पर चले और 11 जुलाई 1921 को मुंबई के परेल में विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया…।

6. सावरकर पहले भारतीय थे जिनको 1905 में विदेशी वस्त्र दहन के कारण पुणे के फर्म्युसन कॉलेज से निकाल दिया गया और दस रूपये जुरमाना किया… इसके विरोध में हड़ताल हुई… स्वयं तिलक जी ने ‘केसरी’ पत्र में सावरकर के पक्ष में सम्पादकीय लिखा…।

7. वीर सावरकर ऐसे पहले बैरिस्टर थे जिन्होंने 1909 में ब्रिटेन में ग्रेज-इन परीक्षा पास करने के बाद ब्रिटेन के राजा के प्रति वफादार होने की शपथ नही ली… इस कारण उन्हें बैरिस्टर होने की उपाधि का पत्र कभी नही दिया गया…।

8. वीर सावरकर पहले ऐसे लेखक थे जिन्होंने अंग्रेजों द्वारा ग़दर कहे जाने वाले संघर्ष को ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ नामक ग्रन्थ लिखकर सिद्ध कर दिया…।

9. सावरकर पहले ऐसे क्रांतिकारी लेखक थे जिनके लिखे ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ पुस्तक पर ब्रिटिश संसद ने प्रकाशित होने से पहले प्रतिबन्ध लगाया था…।

10. ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ विदेशों में छापा गया और भारत में भगत सिंह ने इसे छपवाया था जिसकी एक एक प्रति तीन-तीन सौ रूपये में बिकी थी… भारतीय क्रांतिकारियों के लिए यह पवित्र गीता थी… पुलिस छापों में देशभक्तों के घरों में यही पुस्तक मिलती थी…।

11. वीर सावरकर पहले क्रान्तिकारी थे जो समुद्री जहाज में बंदी बनाकर ब्रिटेन से भारत लाते समय आठ जुलाई 1910 को समुद्र में कूद पड़े थे और तैरकर फ्रांस पहुँच गए थे…।

12. सावरकर पहले क्रान्तिकारी थे जिनका मुकद्दमा
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय हेग में चला, मगर ब्रिटेन और फ्रांस की मिलीभगत के कारण उनको न्याय नही मिला और बंदी बनाकर भारत लाया गया…।

13. वीर सावरकर विश्व के पहले क्रांतिकारी और भारत के पहले राष्ट्रभक्त थे जिन्हें अंग्रेजी सरकार ने दो आजन्म कारावास की सजा सुनाई थी…।

14. सावरकर पहले ऐसे देशभक्त थे जो दो जन्म कारावास की सजा सुनते ही हंसकर बोले-“चलो, ईसाई सत्ता ने हिन्दू धर्म के पुनर्जन्म सिद्धांत को मान लिया.”…..।

15. वीर सावरकर पहले राजनैतिक बंदी थे जिन्होंने काला
पानी की सजा के समय 10 साल से भी अधिक समय तक आजादी के लिए कोल्हू चलाकर 30 पोंड तेल प्रतिदिन निकाला…।

16. वीर सावरकर काला पानी में पहले ऐसे कैदी थे जिन्होंने काल कोठरी की दीवारों पर कंकर कोयले से कवितायें लिखी और 6000 पंक्तियाँ याद रखी..।

17. वीर सावरकर पहले देशभक्त लेखक थे, जिनकी लिखी हुई पुस्तकों पर आजादी के बाद कई वर्षों तक प्रतिबन्ध लगा रहा…।

18. वीर सावरकर पहले विद्वान लेखक थे जिन्होंने हिन्दू को परिभाषित करते हुए लिखा कि

‘आसिन्धु सिन्धुपर्यन्ता यस्य भारत भूमिका,
पितृभू: पुण्यभूश्चैव स वै हिन्दुरितीस्मृतः.’

अर्थात समुद्र से हिमालय तक भारत भूमि जिसकी पितृभू है, जिसके पूर्वज यहीं पैदा हुए हैं व यही पुण्य भू है, जिसके तीर्थ भारत भूमि में ही हैं, वही हिन्दू है..।

19. वीर सावरकर प्रथम राष्ट्रभक्त थे जिन्हें अंग्रेजी सत्ता ने 30 वर्षों तक जेलों में रखा तथा आजादी के बाद 1948 में नेहरु सरकार ने गाँधी हत्या की आड़ में लाल किले में बंद रखा पर न्यायालय द्वारा आरोप झूठे पाए जाने के बाद ससम्मान रिहा कर दिया… देशी-विदेशी दोनों सरकारों को उनके राष्ट्रवादी विचारों से डर लगता था…।

20. वीर सावरकर पहले क्रांतिकारी थे जब उनका 26 फरवरी 1966 को उनका स्वर्गारोहण हुआ तब भारतीय संसद में कुछ सांसदों ने शोक प्रस्ताव रखा तो यह कहकर रोक दिया गया कि वे संसद सदस्य नही थे जबकि चर्चिल की मौत पर शोक मनाया गया था…।

21. वीर सावरकर पहले क्रांतिकारी राष्ट्रभक्त स्वातंत्र्य वीर
थे जिनके मरणोपरांत 26 फरवरी 2003 को उसी संसद में मूर्ति लगी जिसमे कभी उनके निधन पर शोक प्रस्ताव भी रोका गया था…।

22. वीर सावरकर ऐसे पहले राष्ट्रवादी विचारक थे जिनके
चित्र को संसद भवन में लगाने से रोकने के लिए कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा लेकिन
राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम ने सुझाव पत्र नकार दिया और वीर सावरकर के चित्र अनावरण राष्ट्रपति ने अपने कर-कमलों से किया…।

23. वीर सावरकर पहले ऐसे राष्ट्रभक्त हुए जिनके शिलालेख को अंडमान द्वीप की सेल्युलर जेल के कीर्ति स्तम्भ से UPA सरकार के मंत्री मणिशंकर अय्यर ने हटवा दिया था और उसकी जगह गांधी का शिलालेख लगवा दिया..।

24. वीर सावरकर ने दस साल आजादी के लिए काला पानी में कोल्हू चलाया था जबकि गाँधी ने काला पानी की उस जेल में कभी दस मिनट चरखा नही चलाया..?

25. वीर सावरकर माँ भारती के पहले सपूत थे जिन्हें जीते जी और मरने के बाद भी आगे बढ़ने से रोका गया… पर आश्चर्य की बात यह है कि इन सभी विरोधियों के घोर अँधेरे को चीरकर आज वीर सावरकर सभी मे लोकप्रिय और युवाओं के आदर्श बन रहे है।।

वन्दे मातरम्।।

ये पोस्ट कांगियो और वामियों को सपने में दिखाई दे और उठते बैठते उनके कानो में गूंजे, इसके लिए आप सभी का योगदान जरूरी है॥

बुधवार, 31 मई 2017

सुखमय वृद्धावस्था के लिए

45 वर्ष से अधिक उम्र वाले इस सन्देश को सावधानी पूर्वक पढ़ें, क्योंकि यह उनके आने वाले जीवन के लिए अत्यन्त ही महत्वपूर्ण है।_

*सुखमय वृद्धावस्था के लिए

*1* अपने स्वयं के स्थायी स्थान पर रहें ताकि स्वतंत्र जीवन जीने का आनंद ले सकें!

*2* अपना बैंक बेलेंस और भौतिक संपत्ति अपने पास रखें! अति प्रेम में पड़कर किसी के नाम करने की ना सोचें।

*3* अपने बच्चों के इस वादे पर निर्भर ना रहें कि वो वृद्धावस्था में आपकी सेवा करेंगे, क्योंकि समय बदलने के साथ उनकी प्राथमिकता भी बदल जाती है और कभी कभी चाहते हुए भी वे कुछ नहीं कर पाते।

*4* उन लोगों को अपने मित्र समूह में शामिल रखें जो आपके जीवन को प्रसन्न देखना चाहते हैं , यानी सच्चे हितैषी हों।

*5* किसी के साथ अपनी तुलना ना करें और ना ही किसी से कोई उम्मीद रखें!

*6* अपनी संतानों के जीवन में दखल अन्दाजी ना करें, उन्हें अपने तरीके से अपना जीवन जीने दें और आप अपने तरीके से अपना जीवन जीएँ!

*7* अपनी वृद्धावस्था को आधार बनाकर किसी से सेवा करवाने, सम्मान पाने का प्रयास कभी ना करें।

*8* लोगों की बातें सुनें लेकिन अपने स्वतंत्र विचारों के आधार पर निर्णय लें।

*9* प्रार्थना करें लेकिन भीख ना मांगे, यहाँ तक कि भगवान से भी नहीं। अगर भगवान से कुछ मांगे तो सिर्फ माफ़ी और हिम्मत!

*10* अपने स्वास्थ्य का स्वयं ध्यान रखें, चिकित्सीय परीक्षण के अलावा अपने आर्थिक सामर्थ्य अनुसार अच्छा पौष्टिक भोजन खाएं और यथा सम्भव अपना काम अपने हाथों से करें! छोटे कष्टों पर ध्यान ना दें, उम्र के साथ छोटी मोटी शारीरिक परेशानीयां चलती रहती हैं।

*11* अपने जीवन को उल्लास से जीने का प्रयत्न करें खुद प्रसन्न रहने की चेष्टा करें और दूसरों को प्रसन्न रखें।

*12* प्रति वर्ष  अपने जीवन  साथी केे साथ भ्रमण/ छोटी यात्रा पर एक या अधिक बार अवश्य जाएं,  इससे आपका जीने का नजरिया बदलेगा!

*13* किसी भी टकराव को टालें एवं तनाव रहित जीवन जिऐं!
  
*14* जीवन में स्थायी कुछ भी नहीं है चिंताएं भी नहीं इस बात का विश्वास करें !

*15* अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को रिटायरमेंट तक  पूरा कर लें, याद रखें जब तक आप अपने लिए जीना शुरू नहीं करते हैं तब तक आप जीवित नहीं हैं!

_*खुशनुमा जीवन की शुभकामनाओं के साथ*_

बुधवार, 17 मई 2017

How to feed in IHRMS (Integrated Human Resource Management System),


प्र.1   IHRMS क्या है ?
ऊ.
IHRMS (Integrated Human Resource Management System), राजस्थान सरकार, स्थानीय निकाय, स्वशासी संस्थान एवं पंचायती राज संस्थान के समस्त अधिकारी/कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका (Service Book) मे दर्ज सभी सूचनाए तथा पैंशनर्स की महत्वपूर्ण सूचनाओं को इलेक्ट्रोनिक रूप मे संधारित करने की एक महत्वपूर्ण परियोजना हैै

ऊ.
भारत सरकार के 13 वें वित्तीय आयोग की सिफ़ारिश पर तथा वर्तमान राज्य सरकार द्वारा, माननीय मुख्य मंत्री महोदया के सुराज संकल्प के बिन्दु संख्या 12.04 “कर्मचारियो के सेवा रिकॉर्ड का कंप्यूटरीकरण किया जाए“ की अनुपलना मे इस परियोजना को क्रियान्वित किया जा रहा है
प्र.3  राज्य नोडल अधिकारी के दायित्व क्या है ।
ऊ.
प्रत्येक विभाग मे एक राज्य नोडल अधिकारी होंगे, जिनके प्रमुख दायित्व निम्न है :-
राज्य सरकार (DoP) द्वारा इस परियोजना के सफल किर्यान्वयन हेतु जारी दिशा निर्देशों की अपने विभाग ने अनुपलना सुनिश्चित करना ।
तकनीकी समस्याओं हेतु NIC के अधिकारी जो IHRMS मे कार्यरत है, से संपर्क कर, उनका निराकरण करवाना ।
अपने विभाग के समस्त अधिकारी/कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका (Service Book) मे दर्ज सभी सूचनाओ को IHRMS मे दर्ज करवा कर इस परियोजना को सफल बनाना ।
प्र.4  इसमे किस प्रकार से कार्य किया जा सकता है ?
ऊ.

एक कम्प्युटर जिस पर इंटरनेट की सुविधा हो, पर http://ihrms.raj.nic.in, वैबसाइट के माध्यम से इसमे कार्य किया जा सकता है

प्र.5  यदि अधिकारी/कर्मचारी स्वयं अपना डाटा डालना चाहे, तो उसे क्या करना होगा ।
ऊ.

  SIPF विभाग के द्वारा हर अधिकारी/कर्मचारी को एक 16 अंको का ID दिया गया है, वही उनका User ID तथा पासवर्ड है
प्र.6  क्या DDO अपने अधीन अधिकारी/कर्मचारी का डाटा डाल सकते हैं ?
ऊ.

हाँ, DDO को Pay Manager (IFMS) मे दी गई ID का उपयोग User ID तथा पासवर्ड के रूप मे कर डाटा प्रविष्ठ किया जा सकता हैं
प्र.7  क्या डाटा एंट्री ऑपरेटर या अन्य किसी कम्प्युटर जानने वाले व्यक्ति के द्वारा विभाग के अधिकारी/कर्मचारीयों का डाटा डाला जा सकता   है ?
ऊ.

हाँ, DDO को Pay Manager (IFMS) मे दी गई ID के बाद deo शब्द का उपयोग User ID तथा पासवर्ड के रूप मे कर डाटा प्रविष्ठ किया जा सकता है । यथा 12345678 किसी DDO की ID है तो डाटा एंट्री ऑपरेटर की User ID 12345678deo होगी ।
प्र.8  पासवर्ड भूल जाने पर क्या किया जाए ?
ऊ.

पासवर्ड भूलने की स्थिति मे लॉगिन ऑप्शन का उपयोग करने पर रीसेट पासवर्ड पर क्लिक करे । पेज पर दिये हुए फील्ड्स को भर कर रीसेट पासवर्ड पर क्लिक करने से पासवर्ड रीसेट हो जाएगा ।
प्र.9  कर्मचारी को IHRMS से क्या सुविधा होगी ?
ऊ.

कर्मचारी को निम्न सुविधा होंगी :-
स्वयं से संबन्धित समस्त सूचनाए एक स्थान पर उपलब्ध होंगी, यथा पे-स्लिप, GA-55, SIPF की कटोती का विवरण, अवकाश, स्थानांतरण, पदोन्नति, वेतन परिलाभ आदि ।
ऑनलाइन सेवा सत्यापन ।
सेवा-निवृत्ति पर डिजिटल सेवा पुस्तिका (Service Book)
प्र.10  पैंशनर्स को IHRMS से क्या सुविधा होगी ?
ऊ.

पैंशनर्स को स्वयं से संबन्धित समस्त सूचनाए एक स्थान पर उपलब्ध होंगी, यथा पैंशन भुगतान, पैंशन पुनः निर्धारण, पैंशन वृद्धधी आदि । पैंशनर्स को कोष कार्यालय अथवा बैंक से संपर्क करने की आवश्यकता कम से कम रहेगी ।
प्र.11  क्या इसमे अधिकारी/कर्मचारियों का कुछ डाटा पहले से उपलब्ध है ?
ऊ.

जिन अधिकारी/कर्मचारियों का वेतन Pay Manager (IFMS) के माध्यम से दिया जा रहा है उन सभी अधिकारी/कर्मचारियों का कुछ डाटा इसमे उपलब्ध है ।
प्र.12  जिन अधिकारी/कर्मचारियों का कुछ डाटा पहले से उपलब्ध नहीं है, उन्हे क्या करना है ?
ऊ.

Pay Manager (IFMS) के अतिरिक्त वेतन पाने वाले अधिकारी/कर्मचारी अपने डाटा को IHRMS मे प्रविष्ट करने से पूर्व उन्हे IHRMS Help Desk पर संपर्क करना चाहिए, जो कमरा संख्या 7010, फूड बिल्डिंग, शासन सचिवालय, जयपुर, राजस्थान से संचालित की जा रही है ।
संपर्क करने हेतु support-ihrms-rj@nic.in पर eMail अथवा दूरभाष संख्या 0141-5153222-21914 पर बात की जा सकती है

प्र.13  क्या डाटा एन्ट्री हिन्दी भाषा मे की जा सकती है ?
ऊ.

हाँ, IHRMS वैबसाइट पर उपलब्ध हिन्दी टूल किट को अपने कम्प्युटर पर डाउनलोड कर हिन्दी फॉन्ट स्थापित किया जा सकता है । Alt+Shift keys के उपयोग से भाषा परिवर्तन किया जा सकता है
प्र.14  IHRMS मे क्या सूचनाए भरनी है ?
ऊ.

इसमे अधिकारी/कर्मचारी की सामान्य जानकारी के अतिरिक्त उसकी नियुक्ति, शारीरिक मापदंड, शेक्षणिक योग्यता, परिवार का विवरण, नामित सदस्य, अवकाश, पदोन्नति, वेतन परिलाभ, विभिन्न पदस्थान, पुरुस्कार, विभागीय जांच, न्यायायिक मामले, प्रशिक्षण, ACR/APR आदि से संबन्धित सूचनाए भरी जानी है
.15  क्या IHRMS मे चाही गयी समस्त सूचनाए भरना जरूरी है ?
ऊ.

हाँ, परंतु पुराने लिगेसी डाटा मे बहुत अधिक समय न लगा कर पहले सर्विस हिस्ट्री, अवकाश, विभगीय जाच तथा नॉमिनी की एन्ट्री जरूर करनी चाहिए
प्र.16  IHRMS मे भरी गयी सूचनाए, प्रमाणित (validate) मानी जाएंगी ?
ऊ.

सेवा पुस्तिका संधारित करने वाले अधिकारी, सूचनाओ को भरने के बाद, उन्हे प्रमाणित (validate) करेंगे, तभी वो सूचनाए मान्य होंगी ।
प्र.17  प्रविष्ठ की गयी सूचनाओ को कैसे प्रमाणित (validate) किया जाएगा ?
ऊ.

सूचनाओ को प्रमाणित (validate) करने की प्रक्रिया बहुत ही सरल है, इसमे सेवा पुस्तिका संधारित करने वाले अधिकारी (validator) को संबन्धित अधिकारी/कर्मचारी के डाटा के समक्ष बॉक्स पर  क्लिक करना
प्र.18  Photo, Palm, Sign, Thumb impression अपलोड नहीं हो रहे है।
ऊ.

अपलोड करते समय फ़ाइल का फॉर्मेट (JPEG, JPG, GIF) तथा साइज़ जांच लेवे. फोटो और पाम का अधिकतम साइज़ 30 KB एवं साइन और अंगूठे का अधिकतम साइज़15 KB होना चाहिए।
प्र.19  मास्टर डाटा मे उपलब्ध डाटा के अतिरिक्त यदि नया डाटा जुडवाना है, तब क्या करना होगा ?
ऊ.

मास्टर डाटा मे उपलब्ध डाटा के अतिरिक्त यदि नया डाटा जुडवाना है, तब IHRMS Help Desk पर संपर्क कर उसे जुड़वाया जा सकता है, जो कमरा संख्या 7010, फूड बिल्डिंग, शासन सचिवालय, जयपुर, राजस्थान से संचालित की जा रही है ।
संपर्क करने हेतु support-ihrms-rj@nic.in पर eMail अथवा दूरभाष संख्या 0141-5153222-21914 पर बात की जा सकती है ।
प्र.20  डाटा एंट्री के समय यदि तकनीकी कठिनाई महसूस हो तो क्या किया जाए ?
ऊ.

कमरा संख्या 7010, फूड बिल्डिंग, शासन सचिवालय, जयपुर, राजस्थान, मे IHRMS Help Desk पर स्वयं उपस्थित होकर या दूरभाष संख्या 0141-5153222-21914 पर संपर्क कर तकनीकी कठिनाई को दूर करने हेतु संपर्क किया जा सकता हैं

*Anil Malarampura*