रविवार, 24 जून 2018

ऐसे हैक हो सकता है आपका बैंक एकाउण्ट-

ऐसे हैक हो सकता है आपका बैंक एकाउण्ट-

1= Hacker Facebook से आपका नाम और जन्म तारीख प्राप्त कर लेता है।

2 = इस जानकारी को इनकम टैक्स विभाग की साइट पर जाकर update करता हैं और वहां से pancard व मोबाईल नम्बर प्राप्त कर लेता हैं.

3 = उसके बाद duplicate pancard बनवा लेता है।

4 = फिर police ठाने में mobile चोरी हो जानेकी सूचना देता है ।

5= duplicate pancard लेजाकर mobile company से आपके number का simcard निकलवा लेता हैं.

6 = internet banking के माध्यम से आपके बैंक account में छेडछाड करता हैं.

7 = बैंक की साइट पर जाकर forgot my password इस option पर जाता हैं.

8 =आगे के options आसानी से पार करते हुए simcard पर Internet banking का pin प्राप्त कर लेता है ।

सोमवार, 22 जनवरी 2018

NPS and tax benefits

NPS

Section 80C also provides tax benefits on a retirement planning investment scheme known as NPS. Just like EPF, you get a tax deduction on both yours as well as your employer’s contribution (under Section 80CCD) in NPS. Your funds are also managed at comparatively lower charges as compared to most of the MFs or ULIPs. If you have already exhausted your 80C bracket of Rs 1.5 lakh, you can claim additional deduction of up to Rs. 50K u/s 80CCD(1B) for your contribution in NPS scheme.

To top it, 40% of your maturity corpus is exempt from tax, and the remaining 60% becomes tax-free if invested in an annuity plan.

2018 के लिए वित्तीय युक्तियां

2018 के लिए वित्तीय युक्तियां

1. ऋण पर संपत्ति खरीदने से बचें, क्योंकि यह आपकी अधिकांश कमाई खाती है, जब तक आपके पास पुनर्भुगतान के लिए कोई स्पष्ट योजना नहीं है। कैश फ्लो की निगरानी करना महत्वपूर्ण है हालांकि, यह घर आपकी संपत्ति होगी, आपकी देयता बहुत अधिक होगी।

2. बहुत कम उम्र में एसआईपी शुरू करें। अपनी आय का कम से कम 15-25% बचत करने का प्रयास करें

3. कार खरीदने से बचें, जब तक आप इसे हर रोज नहीं इस्तेमाल करते हैं

4. इस वाक्य को डरा नहीं दें। _म्यूच्यूअल फण्ड निवेश बाज़ार के खतरों के अधीन हैं_। निवेश करने से पहले कृपया दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें। ज्यादातर लोग इस एक चेतावनी के कारण म्युचुअल फंड में निवेश करने से बचते हैं। हां, एक बाजार जोखिम है, लेकिन म्युचुअल फंडों के इतिहास और विकास को देखो।

5. एक साधारण शादी की कोशिश करो।

6. आपके कम से कम 20% धन तरल होना चाहिए ताकि आवश्यक हो जब आप इसे उपयोग कर सकें।

7. मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए, यदि आप बचत बैंक खाते में हैं तो आप वास्तव में पैसे खो रहे हैं। अपने बचत बैंक खाते में भारी धन न रखें।

8. यदि आप शेयरों में निवेश करते हैं, तो ध्यान दें

9. यदि आप शेयरों में निवेश करते हैं तो डिलीवरी निवेश और इन्ट्राडे निवेश के लिए एक अलग खाता है। इस तरह की निगरानी करना आसान है और यह भी कर गणना आसान बनाता है

10. विश्वास नहीं है कि संपत्ति और कार आपको समृद्ध बनाते हैं। आप जो बचाते हैं और निवेश करते हैं, वह महत्वपूर्ण है

11. कभी रिटर्न के लिए बीमा में निवेश न करें बीमा एक निवेश विकल्प नहीं है यह एक जोखिम प्रबंधन उपकरण है

12. भव्य खर्च के लिए कभी भी क्रेडिट कार्ड का उपयोग न करें। क्रेडिट कार्ड का उपयोग बुद्धिमानी से करें और जरूरतों के लिए नहीं।

13. मरने से पहले सभी क्रेडिट कार्ड रद्द करें। या अपने सभी खातों, क्रेडिट कार्ड, ऋण और बचत के बारे में परिवार को सूचित करें, अब स्वयं। यहां तक ​​कि एक छोटे से अवशेष आपके परिवार को ज्यादा खर्च होंगे

14. अपने आप पर निवेश करें और फिर अन्य निवेशों पर।

15. हमेशा अपनी आय को अपनी बचत के साथ पहले संतुलन रखने की कोशिश करें, फिर खर्च और ऋण पर। अनावश्यक ऋण न लें हमेशा भंडार और उनका उपयोग करें और जब तक कोई दूसरा न जाए, ऋण न ले।

16. अपने करियर, जीवन, खर्च और वित्त पर भविष्य की घटनाओं के लिए हमेशा एक योजना बनाएं।

17. आकस्मिक और तत्काल स्थितियों के लिए आपकी बचत पर हमेशा एक आरक्षित रखिए।

18. आपकी व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण निवेश हैं नियमित स्वास्थ्य की जांच करें और हर दिन स्वस्थ कसरत करें स्वस्थ रहें और खुशी से रहें

19. हमेशा याद रखें कि मृत्यु किसी भी समय हो सकती है ..... तो कृपया यदि आप आश्रित हैं तो पर्याप्त अवधि बीमा खरीद लें।

20. एक * विल * तैयार करें आपके मरने के बाद यह अनावश्यक लड़ाई से बच सकता है

रविवार, 24 दिसंबर 2017

Income Tax Rebate on House Rent

*मकान किराया भत्‍ते (एचआरए) पर कर-छूट का प्रावधान,*
*Income Tax Rebate on House Rent*

बड़ी संख्‍या में नौकरीपेशा लोग अपने सैलरी पैकेज के एक हिस्से के रूप में हर माह ही मकान किराया भत्‍ता (एचआरए) हासिल करते हैं। यहां तक कि बड़े-बड़े पदों पर रहने वाले कंपनियों के डायरेक्टर्स भी एचआरए प्राप्त करते हैं, जिससे उन्हें इनकम टैक्स बचाने में मदद मिलती है। आयकर अधिनियम की धारा 10(13ए) और नियम 2ए में मकान किराया भत्‍ते (एचआरए) पर कर-छूट का प्रावधान किया गया है।

*व्याख्या-1*

इसके तहत नियोक्ता द्वारा दिए गए एचआरए पर वह कोई भी आयकरदाता कर-छूट का लाभ हासिल कर सकता है, जो किराये के मकान में रह रहा है। हालांकि इसकी अपनी कुछ सीमाएं भी हैं। अगर कोई कर्मचारी अपने स्वयं के मकान में रह रहा हो तो उसे एचआरए में इनकम टैक्स का लाभ नहीं मिलेगा।

कर-छूट का लाभ प्राप्त करने के लिए रसीद कब जरूरी है।? 
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस के अनुसार कर-छूट का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने नियोक्ता को किराये की रसीद प्रस्तुत करना तभी अनिवार्य होता है, जब कर्मचारी को प्रति माह तीन हजार रुपए से अधिक का एचआरए मिल रहा हो।

*यह एक बड़ी भ्रांति है कि कर्मचारियों को जितना मकान किराया भत्‍ता (एचआरए) मिलता है, उतना पूरा का पूरा ही इनकम टैक्स में डिडक्ट हो जाता है। ऐसा नहीं है। इसके भी कुछ नियम हैं, जिन्हें समझना जरूरी है।*
क्या हैं नियम ? 

एचआरए पर छूट का लाभ लेने के कुछ नियम हैं। यह छूट उतनी ही राशि पर मिलेगी, जो निम्‍न में से न्यूनतम होगी :

असल मकान किराया भत्‍ता, कुल वेतन की 10 फीसदी राशि को वास्तविक किराये में से घटाने के बाद शेष राशि।

मुंबई, दिल्ली, चैन्नई और कोलकाता में रहने वाले व्यक्ति के वेतन की 50 फीसदी और अन्य शहरों में रहने वाले व्यक्ति के वेतन की 40 फीसदी राशि। (वेतन में बेसिक और डीए भी शामिल रहता है।)

इसे ऐसे समझें 
भोपाल निवासी XYZ का मासिक वेतन 30 हजार रु. है। मासिक एचआरए 6 हजार, मकान का किराया 5 हजार रु.।
वास्तविक एचआरए : 6000 रुपए।
मकान किराये के रूप में संजय 5000 रु. चुका रहा है। कुल वेतन (30,000) की 10 फीसदी राशि यानी 3000 को वास्तविक किराये में से घटाने के बाद शेष राशि आएगी 2000 रुपए।

चूंकि संजय भोपाल में रह रहा है तो उसके कुल वेतन (30,000) का 40 फीसदी 12,000 रुपए होगा।

नियमानुसार इन तीनों में से जो न्यूनतम होगा, उतनी ही राशि की कर में छूट मिलेगी। न्यूनतम राशि 2000 रु. है, यानी XYZ को कर योग्य आय में से 24 हजार रुपए की ही वार्षिक छूट मिलेगी। उसे प्रति माह एचआरए के रूप में 6 हजार रुपए मिलते हैं, अर्थात प्रति माह 4 हजार रुपए या वार्षिक 48 हजार रु. कर योग्य आय में जुड़ जाएंगे।
*पैन नंबर कब जरूरी ?* 

अगर कोई कर्मचारी साल में एक लाख रुपए या उससे अधिक राशि किराये के रूप में दे रहा है तो उसे अपने मकान मालिक के पैन नंबर की जानकारी भी अपने नियोक्ता को देनी होगी। मकान मालिक के पास पैन नंबर नहीं होने पर उसे मकान मालिक से एक डिक्लेरेशन लेकर उसे नियोक्ता को देना होगा। 10 (13 ए) इनकम टैक्स की इस धारा में एचआरए से संबंधित प्रावधान दिए गए हैं।

व्याख्या-2

 मकान किराया भत्ते (HRA) के सम्बन्ध में अक्सर भ्रम की स्थिति रहती है कि इसकी छूट आयकर में मिलेगी या नहीं यदि हाँ तो कितनी? किराये की रसीद प्रस्तुत करनी होगी या नहीं? क्या इसके साथ मकान स्वामी के PAN no. को भी प्रस्तुत करना होगा? इन बिंदुओं का क्रमशः स्पष्टीकरण —

*किसको मिलेगी HRA की कटौती?* —-

यदि कोई व्यक्ति किराये के मकान मेँ रहता है तो उसे HRA की कटौती मिलेगी।

किस सीमा तक मिलेगी HRA की कटौती?
  
निम्न तीन बिंदुओं में से जो राशि सबसे कम होगी वह आयकर मुक्त (income tax free) होगी —-

1- HRA की वास्तविक प्राप्त राशि
2- भुगतान किराया – वेतन का 10%
3- वेतन का 40%
      यहाँ वेतन से आशय — basic salary + D.A. से है।
       उपर्युक्त सभी गणना वार्षिक आधार पर होगी।

*किराये की रसीद  व मकान स्वामी के PAN no. को उपलब्ध कराना कब आवश्यक?* —-

1- यदि प्राप्त HRA की राशि 3000 ₹ से कम व् आपके द्वारा भुगतान की गयी किराए की राशि 8333₹ मासिक से कम है तो न किराये की रसीद और न मकान स्वामी के पैन नं को उपलब्ध करना आवश्यक होता है।( सभी अध्यापक बन्धु सामान्यतः इसी श्रेणी में आते है।)

2- यदि HRA की प्राप्त राशि 3000 ₹ या इससे ज्यादा और भुगतान किये किराये की राशि 8333₹ से कम है तो सिर्फ किराये की रसीद(revenue स्टाम्प सहित) प्रस्तुत करनी होगी पैन नं. नहीं ।

3- यदि प्राप्त HRA और भुगतान किराए की राशि दोनोँ ही क्रमशः 3000₹ व् 8333₹ से अधिक है तो किराये की रसीद व मकान स्वामी के PAN no. दोनोँ को ही उपलब्ध करना होगा।

 नोट— किराया भुगतान की राशि में बिजली या मरम्मत व्यय को सम्मलित नहीं किया जाता है।

उदाहरण द्वारा स्पष्टीकरण——

माना mr. X  ब्लाक के किसी स्कूल में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत  है और ललितपुर शहर में 4000 ₹ मासिक किराए के मकान में रहते है। उनका अन्य विवरण निम्न है—

(वार्षिक आधार पर ) 
Basic salary              201720 ₹
D. A.               229162 ₹
HRA (920×12)     11040 ₹

Solution—-निम्न बिंदुओं में जो सबसे कम राशि होगी वह आयकर से मुक्त होगी–
1- HRA की वास्तविक प्राप्त राशि= 11040 ₹

2- किराए की रकम – वेतन का 10%
    4000×12 – (201720+229162)×10%
  48000 – 43088 = 4912 ₹

3- वेतन का 40% 
    430882×10% = 172353 ₹
     
    उपर्युक्त तीनों में सबसे कम राशि 4912 ₹ है जो कि आयकर से मुक्त होगी। अतः प्राप्त HRA की 11040 ₹ की राशि में से 4912 टैक्स से फ्री होंगे व 11040 – 4912 = 6128₹ पर टैक्स लगेगा।
   हाँ, यदि Mr. X को संपूर्ण HRA की राशि आयकर से बचानी है तो उन्हें और अधिक महँगे किराये के मकान में रहना होगा। अर्थात उपरोक्त द्वतीय बिंदु की गणना का अंतर 4912 ₹ की जगह 11040 ₹ न्यूनतम करना होगा।
उपरोक्त केस में Mr. X को न तो किराए की रसीद और न तो मकान स्वामी के PAN no. को उपलब्ध कराना आवश्यक है।

बुधवार, 6 दिसंबर 2017

ग्रेच्युटी क्या है, कैसे की जाती है कैलकुलेट

ग्रेच्युटी क्या है, कैसे की जाती है कैलकुलेट – सब कुछ जानें
ग्रेच्युटी ऐसी रकम है, जिसके बारे में बहुत नौकरीपेशा लोग बहुत कुछ नहीं जानते, सो आइए, आज हम ग्रेच्युटी से जुड़े आपके सभी सवालों का जवाब लेकर आए
नई दिल्ली: ग्रेच्युटी क्या है...? ग्रेच्युटी कैसे कैलकुलेट की जाती है...? मैं कब ग्रेच्युटी का हकदार बनूंगा...? ग्रेच्युटी के तौर पर मिली कितनी रकम टैक्स-फ्री होगी, और कितनी ग्रेच्युटी पर इनकम टैक्स देना होगा...? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जो लगभग हर नौकरीपेशा इंसान के दिमाग में घूमते रहते हैं... रिटायरमेंट (या नौकरी बदलने पर) पर मिलने वाली इस रकम का इंतज़ार आमतौर पर इसलिए किया जाता है, ताकि तब तक पूरे न हो पाए सपनें पूरे किए जा सकें, या उस रकम के ज़रिये अपने खर्चे चलाने का इंतज़ाम किया जा सके. ग्रेच्युटी ऐसी रकम है, जिसके बारे में बहुत ज़्यादा नौकरीपेशा लोग बहुत कुछ नहीं जानते, और अक्सर अपने साथियों, अपने ऑफिस के एकाउंट्स डिपार्टमेंट या कभी-कभी चार्टर्ड एकाउंटेंटों से भी सवाल करते देखे जाते हैं, सो आइए, आज हम ग्रेच्युटी से जुड़े आपके सभी सवालों का जवाब लेकर आए हैं.
*क्या है ग्रेच्युटी...?
ग्रेच्युटी आपके वेतन, यानी आपकी सैलरी का वह हिस्सा है, जो कंपनी या आपका नियोक्ता, यानी एम्प्लॉयर आपकी सालों की सेवाओं के बदले देता है. ग्रेच्युटी वह लाभकारी योजना है, जो रिटायरमेंट लाभों का हिस्सा है, और नौकरी छोड़ने या खत्म हो जाने पर कर्मचारी को नियोक्ता द्वारा दिया जाता है.
*कब मैं ग्रेच्युटी का हकदार बनूंगा...?
ग्रेच्युटी किसी भी ऐसे कर्मचारी को दी जानी होती है, जो नौकरी में लगातार 4 साल, 10 महीने, 11 दिन तक काम कर चुका हो. ऐसे कर्मचारी की सेवा को पांच साल की अनवरत सेवा माना जाता है, और आमतौर पर पांच साल की सेवाओं के बाद ही कोई भी कर्मचारी ग्रेच्युटी का हकदार बनता है. यानी अगर आप जल्दी-जल्दी, यानी साल-दो-साल में नौकरी बदलने का शौक या आदत रखते हैं, तो ग्रेच्युटी आपके हिस्से कभी नहीं आएगी.
*ग्रेच्युटी कैसे कैलकुलेट की जाती है...?
ग्रेच्युटी कैलकुलेट करने का फॉर्मूला ज़्यादा मुश्किल नहीं है. पांच साल की सेवा के बाद सेवा में पूरे किए गए हर साल के बदले अंतिम महीने के बेसिक वेतन और महंगाई भत्ते को जोड़कर उसे पहले 15 से गुणा किया जाता है, फिर सेवा में दिए गए सालों की संख्या से, और इसके बाद हासिल होने वाली रकम को 26 से भाग दे दिया जाता है, और वही आपकी ग्रेच्युटी है. यानी फॉर्मूला हुआ...
[(अंतिम माह का बेसिक वेतन + महंगाई भत्ता) x 15 x सेवा में दिए गए साल] / 26
मान लीजिए, आपने किसी संस्थान में 21 साल 11 महीने नौकरी की है, और आपकी अंतिम बेसिक सैलरी 22,000 रुपये थी, जिस पर आपको 24,000 रुपये महंगाई भत्ता मिलता था... सबसे पहले यह समझिए, यहां आपकी नौकरी 22 साल की मानी जाएगी... इसके बाद आप 22,000 और 24,000 की रकमों को जोड़ेंगे, जिनसे आपके पास 46,000 की रकम आएगी. इस रकम को 15 से गुणा करने पर 6,90,000 मिलेगा. फिर इस रकम को आपको अपनी सेवा के साल, यानी 22 से गुणा करना होगा, और अब आपको 1,51,80,000 की रकम हासिल होगी. अब अंत में इस रकम को आप 26 से भाग देंगे, तो आपको मिलेगा 5,83,846, और बस, यही आपकी ग्रेच्युटी है.
*ग्रेच्युटी का कितना हिस्सा टैक्स-फ्री है...?
अगर आपकी ग्रेच्युटी ऊपर बताए गए फॉर्मूले से ही कैलकुलेट की गई है, और आपके एम्प्लॉयर ने आपको अपनी तरफ से कोई रकम उपहार में नहीं दी है, तो 20,00,000 रुपये, यानी 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी के तौर पर मिलने वाली पूरी रकम टैक्स-फ्री होगी, यानी उस पर आपको किसी भी तरह का कोई टैक्स नहीं देना होगा.

गुरुवार, 2 नवंबर 2017

बिहेवियरल इकोनॉमिक्स

*क्या बला है बिहेवियरल इकोनॉमिक्स !!*

पैसों के मामले में लोग सिर्फ दिमाग से फैसले नहीं लेते. अक्सर इंसानी जज्बात दिमाग पर हावी हो जाते हैं , इसलिए आर्थिक मामलों को समझने के लिए अर्थशास्त्र के साथ मनोविज्ञान को समझने की भी जरूरत है .यही बिहेवियरल इकोनॉमिक्स कहलाता है ,जिसके लिए इस साल *रिचर्ड  एच थेलर  को नोबेल पुरस्कार दिया गया है*

पैसे के साथ इंसान का रिश्ता उलझा हुआ है.  लालच,  भविष्य का डर और खर्च करने से पैदा होने वाला अपराधबोध ऐसे जज्बात हैं जो इस उलझन को और बढ़ाते हैं  .बिहेवियरल इकोनॉमिक्स के जरिए हम पैसे से जुड़ी आदतों को समझने की कोशिश करते हैं इनमे से कुछ आदतों के बारे में आप भी जानिए.

1. *'पेन ऑफ  पेइंग'*.
विद्वान मानते हैं कि पैसे को जब हम अपनी जेब से जुदा करते हैं ,तो हमें  तकलीफ होती है .यह तकलीफ तब ज्यादा होती है ,जब हम नोटों की शक्ल में पैसा दे रहे हों.क्रेडिट कार्ड या उधार माल खरीदते वक्त यह तकलीफ कम हो जाती है. यही कारण है किस्तों में उधार सामान खरीदते या क्रेडिट कार्ड के जरिए खर्च करते  वक्त लोग कई बार गैर जरूरी चीजें खरीद लेते हैं . मतलब कि यदि  टाइम ऑफ पेमेंट और टाइम आप परचेस को अलग कर दिया जाए  तो यह तकलीफ कम हो जाती है . इंसानी स्वभाव की इसी कमजोरी का फायदा उठाकर कंपनियां, 'अभी खरीदो बाद चुकाओ' का लालच देती हैं . तो यदि आप अपने खर्च को कंट्रोल करना चाहते हैं तो क्रेडिट कार्ड का उपयोग ना करें और जिस वक्त जो सामान खरीदें उसी समय उसका पेमेंट करें.

2. *खर्च से जुड़ा अपराधबोध* -
पैसा खर्च करना अपराधबोध लाता है .कई लोग सक्षम होते हुए भी पैसा खर्च नहीं कर पाते क्योंकि उनका दिमाग खर्च को लेकर ज्यादा अपराधबोध महसूस करता है . मान लीजिए किसी महिला को एक साड़ी पसंद आती है ,पर उसे लगता है दुकानदार उसकी कुछ ज्यादा कीमत बता रहा है . वह उसे नहीं खरीदती . उसका पति यह देख कर अगले दिन वही साड़ी खरीद लाता है और उसे तोहफे में देता है  .सिर्फ आर्थिक दृष्टि से समझे तो पत्नी को नाराज होना चाहिए क्योंकि साड़ी असल कीमत से ऊंचे दाम पर खरीदी गई है और इस तरह नुकसान हुआ है. लेकिन वह खुश हो जाती है .साड़ी की कीमत रुपयों में उतनी ही है लेकिन किसी दूसरे के द्वारा लाए जाने की वजह से पेन  आफ पेइंग  महसूस नहीं हो रहा है .और इसलिए आर्थिक कीमत वही होते हुए भी मनोवैज्ञानिक कीमत बदल गई है . इसी अपराध बोध से निपटने के लिए कई कंपनियां अपने विज्ञापन में बताती हैं कि वह आप की खरीदी से मिले रुपयों का एक हिस्सा किसी अच्छे काम में जैसे बच्चों की शिक्षा आदि में लगाएंगे . सीख यह है कि विज्ञापनों के बहकावे में ना आएं कंपनियों का उद्देश्य समाज की सेवा करना नहीं बस आपको अपराध बोध से मुक्त कर आपकी जेब हल्की करना है.

3. *पैसे की कीमत एक सी नहीं होती* .
बिहेवियर इकोनॉमिक्स हमें बताता है  कि  इंसानों के लिए हर पैसे का रंग अलग होता है . तनख्वाह में मिले पैसे किफायत से खर्च किए जाते हैं , जबकि बोनस के मामले में  फिजूलखर्ची चल जाती है  .

4. *नज थ्योरी* (Nudge Theory) -
बिहेवियर इकोनॉमिक्स की नज थ्योरी  कहती है कि लोगों के फैसलों को सिर्फ कानून या सजा का डर दिखाकर नहीं बल्कि 'नज ' यानी कि सुझाव या प्रोत्साहन के जरिए भी बदला जा  सकता  है. मान लीजिए क्रेडिट कार्ड से पैसा चुकाते वक्त हर बार मोबाइल  पर एक संदेश आए कि क्या आप सचमुच में खर्च करना चाहते हैं ? तो आप कुछ कुछ खरीदारी स्थगित कर देंगे. (यह और बात है क्रेडिट कंपनियां कभी ऐसा नहीं करतीं बल्कि वह चाहती हैं कि आप बेवजह खर्च करें, डिफ़ॉल्ट करें ताकि आप पर पैनल्टी लगाकर वे प्रॉफिट कमा सकें) किसी बुफे में लोग वहीं डिश उठाएंगे जो उनके आंखों के ऊंचाई पर रखी हो . नज थ्योरी के मुताबिक यदि किसी फार्म को भरते वक्त आप लोगों से  किसी खास बात के लिए 'हां ' करवाना चाहते हैं तो उनसे पूछने के बजाय पहले आप उनकी 'हां ' को मान लीजिए (डिफ़ॉल्ट चॉइस) और फिर पूछिए यदि आप इस योजना में शामिल 'नहीं' होना चाहें तो बॉक्स में टिक लगाएं .इंसानी स्वभाव है कि वह कुछ नहीं करना चाहता .इस तरह अधिक लोग 'हां' कर बैठेंगे.
इन दिनों सरकारें इस नज का इस्तेमाल  लोगों के बैंक खातों से बीमा की रकम काटने में कर रही हैं. बीमा करवाने के लिए अलग से हां नहीं करवाई जाती .उसे डिफॉल्ट चॉइस मान लिया जाता है. इस तरह के 'नज' के इस्तेमाल को कई लोग गलत भी मानते हैं. यह लोगों की मानवीय कमजोरी का फायदा उठा कर उनके चुनने के अधिकार का हनन करने जैसा है .

*मीडिया में   नोबेल पुरस्कार को लेकर नज थ्योरी की बात है क्यूंकि थेलर को " फादर ऑफ नज थ्योरी" कहा जाता है पर असल मे यह  थ्योरी पुरानी है . इस बार का नोबल रिचर्ड को नज थ्योरी पर नहीं बल्कि एंडोमेंट इफेक्ट ,डिक्टेटर गेम और लॉस ऑफ अवर्शन पर मिला है.*

5. *एंडोमेंट इफेक्ट* .
थेलर अपनी मशहूर थ्योरी एंडोमेंट इफेक्ट के जरिए समझाते हैं कि लोग किसी चीज की कीमत सिर्फ इसलिए ज्यादा आंकते हैं  क्योंकि  वह उनकी है  .इसे समझाने के लिए एक प्रयोग किया गया .लोगों को एक कॉफी का मग दिया गया फिर उनसे कहा गया तो आप इसे चॉकलेट के बदले एक्सचेंज करना पसंद करेंगे ? सभी ने मना किया क्योंकि उन्हें लगा कॉफी मग अधिक कीमती है . अब एक दूसरे समूह को चॉकलेट दिया गया और पूछा आप उसके बदले कॉफी मग लेंगे ?उन्होंने भी मना किया क्योंकि उन्हें चॉकलेट अधिक कीमती लगा . यही वजह है कि लोग अपना पुराना और बेकार सामान नहीं बेच पाते और घरों में कबाड़ इकट्ठा हो जाता है .

6. *डिक्टेटर गेम*
थेलर  की इस   थ्योरी  के मुताबिक इंसान पैसों का बंटवारा इस तरह करते हैं कि उन्हें ज्यादा भी मिल जाए और उन  पर लालची होने का इल्जाम भी ना आए. मान लीजिए आपको दस   हजार रुपये दिए जाएं और अपने एक साथी के साथ बांटने के लिए कहा जाए . सिर्फ आर्थिक दृष्टि से देखें तो या तो आप दोनों को पांच हजार देंगे या फिर पूरे दस   हजार खुद रख लेंगे पर असल में लोग ऐसा नहीं करते . ज्यादातर लोग 7 से 8 हजार रुपए खुद रख लेंगे और दो या तीन हजार  साथी को देंगे ताकि उनका लालच भी पूरा हो जाए और वह खुद अपनी नजरों में भी ना गिरे.

7. *लॉस ऑफ अवर्शन* .
लोग फायदे के लिए नहीं बल्कि नुकसान से बचने के लिए काम करते हैं सौ रुपए कमाने मे जितनी खुशी होती है उस से दो गुना दुख सौ रुपए गंवाने  में होता है .
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बुधवार, 18 अक्तूबर 2017

Teacher's transfer form- Govt of Rajasthan

Govt of Rajasthan
Teacher's transfer form



*विधायक अनुशंसा से होने वाले स्थानान्तरण हेतु आवेदन पत्र* ⬇⬇