रविवार, 31 अगस्त 2025

हॉकी के जादूगर : मेजर ध्यानचंद सिंह

हॉकी के जादूगर : मेजर ध्यानचंद सिंह और राष्ट्रीय खेल दिवस

मेजर ध्यानचंद सिंह भारतीय हॉकी के भूतपूर्व खिलाडी एवं कप्तान थे। उन्हें भारत एवं विश्व हॉकी के क्षेत्र में महानतम खिलाड़ी माना जाता है। वे तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे हैं जिनमें १९२८ का एम्सटर्डम ओलोम्पिक, १९३२ का लॉस एंजेल्स ओलोम्पिक एवं १९३६ का बर्लिन ओलम्पिक सम्मिलित है। उनकी जन्म तिथि को भारत में "राष्ट्रीय खेल दिवस" के तौर पर मनाया जाता है |
प्रारंभिक जीवन :

        मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त सन्‌ 1905 ई. को #प्रयागराज में हुआ था। उनके बाल्य-जीवन में खेल प्रतिभा के कोई विशेष लक्षण दिखाई नहीं देते थे। इसलिए कहा जा सकता है कि हॉकी के खेल की प्रतिभा जन्मजात नहीं थी, बल्कि उन्होंने सतत साधना, अभ्यास, लगन, संघर्ष और संकल्प के सहारे यह प्रतिष्ठा अर्जित की थी। साधारण शिक्षा प्राप्त करने के बाद 16 वर्ष की अवस्था में 1922 ई. में दिल्ली में प्रथम ब्राह्मण रेजीमेंट में सेना में एक साधारण सिपाही के रूप में भर्ती हो गए।

        जब 'फर्स्ट ब्राह्मण रेजीमेंट' में भर्ती हुए उस समय तक उनके मन में हॉकी के प्रति कोई विशेष रूचि नहीं थी। मेजर ध्यानचंद को हॉकी खेलने के लिए प्रेरित करने का श्रेय रेजीमेंट के एक सूबेदार मेजर तिवारी को है। मेजर तिवारी स्वंय भी हॉकी के खिलाड़ी थे। उनकी देख-रेख में ध्यानचंद हॉकी खेलने लगे देखते ही देखते वह विश्व के महान खिलाड़ी बन गए। सन्‌ 1927 ई. में लांस नायक बना दिए गए। सन्‌ 1932 ई. में लॉस ऐंजल्स जाने पर नायक नियुक्त हुए। सन्‌ 1937 ई. में जब भारतीय हॉकी दल के कप्तान थे तो उन्हें सूबेदार बना दिया गया।

        मेजर ध्यानचंद को फुटबॉल में पेले और क्रिकेट में ब्रैडमैन के समतुल्य माना जाता है। गेंद इस कदर उनकी स्टिक से चिपकी रहती कि प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी को आशंका होती कि वह जादुई स्टिक से खेल रहे हैं। यहाँ तक कि हॉलैंड में उनकी हॉकी स्टिक में चुंबक होने की आशंका में उनकी स्टिक तोड़ कर देखी गई। जापान में मेजर ध्यानचंद की हॉकी स्टिक से जिस तरह गेंद चिपकी रहती थी उसे देख कर उनकी हॉकी स्टिक में गोंद लगे होने की बात कही गई।

        मेजर ध्यानचंद की हॉकी की कलाकारी के जितने किस्से हैं उतने संभवतः ही विश्व के किसी अन्य खिलाड़ी के बारे में सुने गए हों। उनकी हॉकी की कलाकारी देखकर हॉकी के प्रसंशक तो वाह-वाह कह ही उठते थे बल्कि प्रतिद्वंद्वी टीम के खिलाड़ी भी अपनी सुधबुध खोकर उनकी कलाकारी को देखने में व्यस्त हो जाते थे। उनकी कलाकारी से मोहित होकर ही जर्मनी के रुडोल्फ हिटलर सरीखे तानाशाह ने उन्हें जर्मनी के लिए खेलने का निमंत्रण दिया था। किन्तु ध्यानचंद ने हमेशा भारत के लिए खेलना ही सबसे बड़ा गौरव समझा।

        1936 के बर्लिन ओलंपिक में उनके साथ खेले और बाद में पाकिस्तान के कप्तान बने आईएनएस दारा ने वर्ल्ड हॉकी मैगज़ीन के एक अंक में लिखा था, "ध्यान के पास कभी भी तेज़ गति नहीं थी बल्कि वो धीमा ही दौड़ते थे। लेकिन उनके पास गैप को पहचानने की गज़ब की क्षमता थी। बाएं फ्लैंक में उनके भाई #रूप_सिंह और दाएं फ़्लैंक में मुझे उनके बॉल डिस्ट्रीब्यूशन का बहुत लाभ मिला। डी में घुसने के बाद वो इतनी तेज़ी और शक्ति से शॉट लगाते थे कि दुनिया के बेहतरीन से बेहतरीन गोलकीपर के लिए भी कोई मौका नहीं रहता था।" दो बार के ओलंपिक चैंपियन केशव दत्त ने हमें बताया कि बहुत से लोग उनकी मज़बूत कलाईयों ओर ड्रिब्लिंग के कायल थे।

        "किन्तु उनकी वास्तविक प्रतिभा उनके मस्तिष्क में थी। वो उस ढ़ंग से हॉकी के मैदान को देख सकते थे जैसे शतरंज का खिलाड़ी चेस बोर्ड को देखता है। उनको बिना देखे ही पता होता था कि मैदान के किस हिस्से में उनकी टीम के खिलाड़ी और प्रतिद्वंदी मूव कर रहे हैं।" 1947 के पूर्वी अफ़्रीका के दौरे के दौरान उन्होंने केडी सिंह बाबू को गेंद पास करने के बाद अपने ही गोल की तरफ़ अपना मुंह मोड़ लिया और बाबू की तरफ़ देखा तक नहीं। जब उनसे बाद में उनकी इस अजीब सी हरकत का कारण पूछा गया तो उनका जवाब था, "अगर उस पास पर भी बाबू गोल नहीं मार पाते तो उन्हें मेरी टीम में रहने का कोई अधिकार नहीं था।

 मेजर ध्यानचंद को तेजी से गोल करने और 3 बार Olympic से Gold Medal लाने के लिए जाना जाता हैं। ध्यानचंद का असली नाम ध्यान सिंह था लेकिन वह रात को चन्द्रमा की रोशनी में अभ्यास करते थे इसलिए उनके साथियों उनके नाम के पीछे चंद लगा दिया। ध्यानचंद 16 वर्ष की उम्र में “फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट” में एक साधारण सिपाही के रूप में भर्ती हुए थे। किन्तु वे भारतीय सेना में मेजर के पद तक गए। एक बार कुछ ऐसा हुआ कि नीदरलैंड में एक मैच के दौरान उनकी हॉकी स्टिक तोड़कर देखी गई, इस आशंका के साथ कहीं स्टिक में कोई चुम्बक तो नहीं लगी। किन्तु उनके हाथ कुछ नहीं लगा क्योंकि जादू हॉकी स्टिक में नहीं ध्यानचंद के हाथों में था।

        एक बार मेजर साहब ने शाॅट मारा तो वह पोल पर जाकर लगा तो उन्होनें रेफरी से कहा की गोल पोस्ट की चौड़ाई कम है। जब गोलपोस्ट की चौड़ाई मापी गई तो सभी अचंभित रह गए वह वाकई कम थी। ऑस्ट्रेलिया के महान क्रिकेटर डोनाल्ड ब्रैडमैन ने 1935 में एडिलेड में एक हॉकी मैच देखने के बाद कहा था, “ध्यानचंद ऐसे गोल करते हैं जैसे क्रिकेट में रन बनते है।” ब्रैडमैन हॉकी के जादूगर से आयु में तीन वर्ष छोटे थे। अपने-अपने खेल में सिद्धहस्त ये दोनों हस्तियां केवल एक बार एक-दूसरे से मिलें। 1936 में जर्मन गोलकीपर ने ध्यानचंद को जानबूझ कर गिरा दिया था। इससे मेजर का एक दाँत टूट गया था।

        1933 में एक बार वह रावलपिण्डी में मैच खेलने गए। इस घटना का उल्लेख यहाँ इसलिए किया जा रहा है कि आज के खिलाड़ियों में अनुशासनहीनता की भावना बढ़ती जा रही है और खेल के मैदान में खिलाड़ियों के बीच अत्यधिक कटुता आ जाती है। 14 पंजाब रेजिमेंट (जिसमें ध्यानचंद भी सम्मिलित थे) और सैपर्स एण्ड माइनर्स टीम के बीच मैच खेला जा रहा था। ध्यानचंद उस समय ख्याति की चरम सीमा पर पहुँच चुके थे। उन्होंने अपने चमत्कारिक खेल से विरोधियों की रक्षापंक्ति को छिन्न-भिन्न कर दिया और दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

        इस पर विरोधी टीम का सेंटर-हाफ अपना संतुलन खो बैठा और असावधानी में उसके हाथों ध्यानचंद की नाक पर चोट लग गई। खेल तुरंत रोक दिया गया। प्राथमिक चिकित्सा के बाद ध्यानचंद अपनी नाक पर पट्टी बंधवाकर मैदान में लौटे। उन्होंने चोट मारने वाले प्रतिद्वंदी की पीठ थपथपाई और मुस्कराकर कहा-"सावधानी से खेलो ताकि मुझे दोबारा चोट न लगे।" उसके बाद ध्यानचंद प्रतिशोध पर उतर आए। उनका प्रतिशोध कितना आर्दश है, इसकी बस कल्पना ही की जा सकती है। उन्होंने एक साथ 6 गोल कर दिए। ये सचमुच एक महान खिलाड़ी का गुण है। इससे खेल-खिलाड़ी का स्तर और प्रतिष्ठा ऊँची होती है।

*स्वर्ण पदक :*

        ध्यानचंद ने तीन ओलिम्पिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया तथा तीनों बार देश को स्वर्ण पदक दिलाया। भारत ने 1932 में 37 मैच में 338 गोल किए, जिसमें 133 गोल ध्यानचंद ने किए थे। दूसरे विश्व युद्ध से पहले ध्यानचंद ने 1928 (एम्सटर्डम), 1932 (लॉस एंजिल्स) और 1936 (बर्लिन) में लगातार तीन ओलिंपिक में भारत को हॉकी में गोल्ड मेडल दिलाए।

*रोचक तथ्य :*

■ ध्यान चंद ने 16 वर्ष की आयु में भारतीय सेना जॉइन की। भर्ती होने के बाद उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया। ध्यान चंद अत्यधिक अभ्यास किया करते थे। रात को उनके प्रैक्टिस सेशन को चांद निकलने से जोड़कर देखा जाता। इसलिए उनके साथी खिलाड़ियों ने उन्हें 'चांद' नाम दे दिया।

■ 1928 में एम्सटर्डम में हुए ओलिंपिक खेलों में वह भारत की ओर से सबसे अधिक गोल करने वाले खिलाड़ी रहे। उस टूर्नमेंट में ध्यानचंद ने 14 गोल किए। एक स्थानीय समाचार पत्र में लिखा था, 'यह हॉकी नहीं बल्कि जादू था। और ध्यान चंद हॉकी के जादूगर हैं।'

■ हालांकि ध्यानचंद ने कई यादगार मैच खेले, लेकिन क्या आप जानते हैं कि व्यक्तिगत रूप से कौन सा मैच उन्हें सबसे ज्यादा पसंद था। ध्यान चंद ने बताया कि 1933 में कलकत्ता कस्टम्स और झांसी हीरोज के बीच खेला गया बिगटन क्लब फाइनल उनका सबसे अधिक पसंदीदा मैच था।

■ 1932 के ओलिंपिक फाइनल में भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका को 24-1 से हराया था। उस मैच में ध्यानचंद ने 8 गोल किए थे। उनके भाई रूप सिंह ने 10 गोल किए थे। उस टूर्नमेंट में भारत की ओर से किए गए 35 गोलों में से 25 ध्यानचंद और उनके भाई ने किए थे।

■ हिटलर ने स्वयं ध्यानचंद को जर्मन सेना में सम्मिलित कर एक बड़ा पद देने का प्रस्ताव दिया था, किन्तु न उन्होंने भारत में ही रहना पसंद किया।

■ अपनी आत्मकथा 'गोल' में उन्होंने लिखा था, आपको ज्ञात होना चाहिए कि मैं अत्यंत साधारण व्यक्ति हूँ।

■ एक मैच में ध्यानचंद गोल नहीं कर पा रहे थे तो उन्होंने मैच रेफरी से गोल पोस्ट के आकार के बारे में शिकायत की। अचरज की बात है कि पोस्ट की चौड़ाई अंतरराष्ट्रीय मापदंडों के अनुपात में कम थी।

स्वर्गवास :

        हॉकी के क्षेत्र में प्रतिष्ठित सेंटर-फॉरवर्ड खिलाड़ी ध्यानचंद ने 42 वर्ष की आयु तक हॉकी खेलने के बाद वर्ष 1948 में हॉकी से संन्यास ग्रहण कर लिया। कैंसर जैसी लंबी बीमारी को झेलते हुए वर्ष 1979 में मेजर ध्यान चंद का स्वर्गवास हो गया।

सोमवार, 25 अगस्त 2025

लिपिड प्रोफाइल

लिपिड प्रोफाइल 
एक  डॉक्टर ने लिपिड प्रोफाइल को बहुत ही बेहतरीन ढंग से समझाया और अनोखे तरीके से समझाने वाली एक खूबसूरत कहानी साझा की।
कल्पना कीजिए कि हमारा शरीर एक छोटा-सा कस्बा है। इस कस्बे में सबसे बड़े उपद्रवी हैं - कोलेस्ट्रॉल
इनके कुछ साथी भी हैं। इनका मुख्य अपराध में भागीदार है - ट्राइग्लिसराइड
इनका काम है - गलियों में घूमते रहना, अफरा-तफरी मचाना और रास्तों को ब्लॉक करना।
दिल इस कस्बे का सिटी सेंटर है। सारी सड़कें दिल की ओर जाती हैं।
जब ये उपद्रवी बढ़ने लगते हैं तो आप समझ ही सकते हैं क्या होता है। ये दिल के काम में रुकावट डालने की कोशिश करते हैं।
लेकिन हमारे शरीर-कस्बे के पास एक पुलिस बल भी तैनात है -
HDL 
 वो अच्छा पुलिसवाला इन उपद्रवियों को पकड़कर जेल (लिवर) में डाल देता है।
फिर लिवर इनको शरीर से बाहर निकाल देता है – हमारे ड्रेनेज सिस्टम के ज़रिए।
लेकिन एक बुरा पुलिसवाला भी है - LDL जो सत्ता का भूखा है।
LDL इन उपद्रवियों को जेल से निकालकर फिर से सड़कों पर छोड़ देता है।
जब अच्छा पुलिसवाला HDL कम हो जाता है तो पूरा कस्बा अस्त-व्यस्त हो जाता है।
ऐसे कस्बे में कौन रहना चाहेगा?
क्या आप इन उपद्रवियों को कम करना और अच्छे पुलिसवालों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं?
चलना शुरू कीजिए!
हर कदम के साथ HDL बढ़ेगा, और कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड और LDL जैसे उपद्रवी कम होंगे।
आपका शरीर (कस्बा) फिर से जीवंत हो उठेगा।
आपका दिल – सिटी सेंटर – उपद्रवियों की ब्लॉकेज (हार्ट ब्लॉक) से सुरक्षित रहेगा।
और जब दिल स्वस्थ होगा तो आप भी स्वस्थ रहेंगे।
इसलिए जब भी मौका मिले – चलना शुरू कीजिए!

यह लेख HDL (अच्छा कोलेस्ट्रॉल) बढ़ाने और LDL (खराब कोलेस्ट्रॉल) कम करने का बेहतरीन तरीका बताता है यानी चलना।
हर कदम HDL को बढ़ाता है।
इसलिए – चलो, चलो और चलते रहो।

हैप्पी सीनियर सिटिज़न्स वीक
यह चीजें कम करें:-
1. नमक
2. चीनी
3. ब्लीच किया हुआ मैदा
4. डेयरी उत्पाद
5. प्रोसेस्ड फूड्स
यह सब रोज खाएं:-
1. सब्जियां
2. दालें
3. बीन्स
4. मेवे
5. अंडे
6. कोल्ड प्रेस्ड तेल 
तीन चीजें जिन्हें भूलने की कोशिश करें:
1. अपनी उम्र
2. अपना अतीत
3. अपनी शिकायतें
चार जरूरी चीजें जिन्हें अपनाएं:
1. अपना परिवार
2. अपने दोस्त
3. सकारात्मक सोच
4. स्वच्छ और स्वागत भरा घर 
तीन मूलभूत बातें जिन्हें अपनाना चाहिए:
1. हमेशा मुस्कराएं 
2. अपनी गति से नियमित शारीरिक गतिविधि करें
3. अपने वजन की जांच और नियंत्रण करें
छः आवश्यक जीवन-शैली जो आपको अपनानी चाहिए:
1. पानी पीने के लिए तब तक प्रतीक्षा न करें जब तक आप प्यासे न हों।
2. आराम करने के लिए तब तक प्रतीक्षा न करें जब तक आप थके नहीं।
3. चिकित्सीय परीक्षणों के लिए तब तक प्रतीक्षा न करें जब तक आप बीमार न हों।
4. चमत्कारों की प्रतीक्षा न करें, भगवान पर भरोसा रखें।
5. कभी भी अपने आप पर से विश्वास न खोएं।
6. सकारात्मक रहें और हमेशा एक बेहतर कल की आशा रखें।



 

रविवार, 24 अगस्त 2025

वर चाहिए पर : कौन सा पति खरीदूँ...?

वर चाहिए पर : कौन सा पति खरीदूँ...?
शहर के बाज़ार में एक बड़ी दुकान खुली जिस पर लिखा था - “यहाँ आप पतियों को ख़रीद सकती है |”
देखते ही देखते औरतों का एक हुजूम वहां जमा होने लगा. सभी दुकान में दाख़िल होने के लिए बेचैन थी, लंबी क़तारें लग गयी.

दुकान के मैन गेट पर लिखा था -
पति ख़रीदने के लिए निम्न शर्ते लागू

✡ इस दुकान में कोई भी औरत सिर्फ एक बार ही दाख़िल हो सकती है, आधार कार्ड लाना आवश्यक है ...
✡ दुकान की 6 मंज़िले है, और प्रत्येक मंजिल पर पतियों के प्रकार के बारे में लिखा है....
✡ ख़रीदार औरत किसी भी मंजिल से अपना पति चुन सकती है....
✡ लेकिन एक बार ऊपर जाने के बाद दोबारा नीचे नहीं आ सकती, सिवाय बाहर जाने के...
एक खुबसूरत लड़की को दूकान में दाख़िल होने का मौक़ा मिला...
पहली मंजिल के दरवाज़े पर लिखा था -  “इस मंजिल के पति अच्छे रोज़गार वाले है और नेक है."लड़की आगे बढ़ी ..
दूसरी मंजिल
पर लिखा था - “इस मंजिल के पति अच्छे रोज़गार वाले है, नेक है और बच्चों को पसंद करते है.”लड़की फिर आगे बढ़ी ...
तीसरी मंजिल के दरवाजे पर लिखा था - “इस मंजिल के पति अच्छे रोज़गार वाले है, नेक है और खुबसूरत भी है.”यह पढ़कर लड़की कुछ देर के लिए रुक गयी मगर यह सोचकर कि चलो ऊपर की मंजिल पर भी जाकर देखते है,  वह आगे बढ़ी...
चौथी मंजिल के दरवाज़े पर लिखा था - “इस मंजिल के पति अच्छे रोज़गार वाले है, नेक है, खुबसूरत भी है और घर के कामों में मदद भी करते है.”
यह पढ़कर लड़की को चक्कर आने लगे और सोचने लगी “क्या ऐसे पति अब भी इस दुनिया में होते है ?
यहीं से एक पति ख़रीद लेती हूँ...लेकिन दिल ना माना तो एक और मंजिल ऊपर चली गयी...
पांचवीं मंजिल पर लिखा था - “इस मंजिल के पति अच्छे रोज़गार वाले है , नेक है और खुबसूरत है , घर के कामों में मदद करते है और अपनी बीबियों से प्यार करते है.”
अब इसकी अक़ल जवाब देने लगी वो सोचने लगी इससे बेहतर  और भला क्या हो सकता है ? मगर फिर भी उसका दिल नहीं माना और आखरी मंजिल की तरफ क़दम बढाने लगी...
आखरी मंजिल
 के दरवाज़े पर लिखा था  - “आप इस मंजिल पर आने वाली 3339 वीं औरत है , इस मंजिल पर कोई भी पति नहीं है , ये मंजिल सिर्फ इसलिए बनाई गयी है ताकि इस बात का सबूत सुप्रीम कोर्ट को दिया जा सके कि महिलाओं को पूर्णत संतुष्ट करना नामुमकिन है.
हमारे स्टोर पर आने का धन्यवाद !  बांयी ओर 8सीढियाँ है जो बाहर की तरफ जाती है !

सांराश - आज समाज की सभी कन्याओं और वर पक्ष के  माता पिता यह सब कर रहे है एवं 'अच्छा' और "अच्छा" ... के चक्कर में शादी की सही उम्र तो खत्म ही हो रही है...

मंगलवार, 24 जून 2025

What and why to worry

Eventually, everyone gets forgotten. 

In just a few
generations, no one will remember your name,
your struggles, your achievements, or your
failures. 

Whatever feels so important now will disappear completely. 

So, why spend your
precious time taking everything so seriously? 

Why
worry about what others think? 

Why stress over
small problems? 

Why care about mistakes that no
one will remember? 
Think about it.


You're living a temporary life on a tiny planet in an endless universe. 

Your biggest disasters and most
embarrassing moments won't even register in the grand scheme of things. 

Instead of creating more
problems for yourself, go find some joy. 

Instead of overthinking, go experience something new.


Instead of worrying about your reputation, go
make some memories worth having. 

Life is too
short and too temporary to spend it stressed and
serious. 

Your problems aren't as big as they feel Your mistakes aren't as important as you think,
Let go of that heaviness. 

Find reasons to laugh.


Create moments of happiness. Make peace with
imperfection. 

No one will remember anyway, so you might as well enjoy the ride.

शनिवार, 1 फ़रवरी 2025

What is CL


             CL क्या है
          

CL = आकस्मिक अवकाश

CL - कार्मिक का अधिकारी नहीं हे। संस्था प्रधान की स्वीकृति से ही ले सकते हे विशेष परिस्थिति (बीमारी, अस्पताल, अंत्येष्टि) को छोड़ कर ।

CL - अस्थाई कार्मिक को एक वर्ष में 12
CL - स्थाई कार्मिक को एक वर्ष में 15
एक साथ में 10 CL से ज्यादा नहीं ले सकते और अगर 3 दिन आप विद्यालय जाने में 1 घण्टे से कम समय  लेट हो जाते हे तो 1 CL और 1 घण्टे के बाद आधी CL कटेगी।
अगर कार्मिक बिना सुचना विद्यालय में नहीं आता हे तो संस्था प्रधान उसके कॉलम में ? मार्क लगाएगा ।
जब कार्मिक विद्यालय में उपस्थित होगा तब कारन बताओ नोटिस जारी होगा फिर कार्मिक संस्था प्रधान को कारण बताएगा ।
संस्था प्रधान को लगे तो वो उसकी CL स्वीकृत करे नहीं तो PL या HPL की भी स्वीकृति लेनी होगी ।

ये होती हे CL अब बोलो


ज्वाइन से एक साल तक जैसे - 10 दिसम्बर 2015 को किया तो 9 दिसम्बर 2016 तक 12 CL मिलेगी
इसका कोई नियम लेखविज्ञ में हो तो बताइये

जब स्थाईकरण फॉर्म भरा जाता हे 2 वर्ष की समाप्ति पर तो उसमे CL की गणना वर्ष के अनुसार ही होती हे
प्रथम वर्ष की CL
द्वितीय वर्ष की CL
न की जुलाई से जून

बहुत से अध्यापक जानकारी के अभाव में परिवीक्षा काल की CL की गणना भी जुलाई से जून कर लेते हे
फिर जब स्थाईकरण फॉर्म के समय समस्या आती हे
क्योकि मेरे कुछ साथियो ने भी ऐसा किया था बाद में DEO ने उनके फॉर्म पर नोट लगा के वापस लोटा दिए की CL की गणना नियुक्ति तिथि से करो न की जुलाई से जून
फिर जब उन्होंने नियुक्ति तिथि से गणना की तो किसी के 15 CL किसी 14 CL हो गयी
उन अध्यापको को 12 CL से ज्यादा होने वाले दिनों का वेतन चालान से वापस जमा करवाना पडा था
इसलिए सुझाव हे की परिवीक्षा कॉल में CL की गणना नियुक्ति तिथि से ही करे
ताकि आगे आपको परेशानी न हो


प्रोबेशन में CL के नियम का 12 CL की गणना कब से कब होगी

परिवीक्षा काल में नियुक्ति तिथि से गणना की जाती हे
परिविक्षा काल में CL की गणना नियुक्ति तिथि  से की जाती
CL वर्ष में 12 मिलती हे और आप कभी भी ले सकते हो
बस एक साथ 10 से ज्यादा नहीं इसको लेकर काफी भ्रान्ति हे की 1 महीने की एक मिलती हे ये गलत हे वर्ष की 12 मिलती है


परिवीक्षा काल में कितनी छुटियाँ मिलती है

परीवीक्षा काल आगे नही बढाना है तो 30 दिन ही अवैतनिक रहे !!!
90 दिन तक नियुक्त अधिकारी उससे ज्यादा का एडमिनिस्ट्रेशन और उससे अधिक वित्त विभाग स्वीकृति देगा
नोट= सभी स्थिति में (केवल 30 दिवस को छोड़कर) परीवीक्षा काल आगे बढेगा।

पहले 22/5/09 के अनुसार 90 दिन से अधिक पर  प्रोबेशनर ट्रेनी में कार्यकाल बढा सकते है जो अधिकतम एक साल होगी।
प्रोबेशनर ट्रेनी 11/6/14 के बाद 30  दिवस तक ही अवैतनिक रह सकते हैं ।ये नये आदेश है पहले 90 दिन तक के लिए मान्य था ।
अतः अब 30 दिन ही मान्य है ।।

इनकम टैक्स रियायतें : 2025 बजट

वित्त मंत्री के बजट भाषण की प्रमुख बातें 2025

- New Tax Regime में बड़ा बदलाव, 12 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं; स्टैंडर्ड डिडक्‍शन को 75000 रुपये ही रखा गया, पिछले 4 साल का आईटी रिटर्न एकसाथ कर सकेंगे दाखिए 
0-12 Lakh : Nil
12-15 Lakh : 15%
15-20 Lakh : 20%
20-25 Lakh : 25%
25+ Lakh : 30%
- अगले हफ्ते नया इनकम टैक्स बिल आएगा
- कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जुड़ी 36 दवाइयां पूरी तरह से ड्यूटी फ्री, टीवी-मोबाइल, दवाएं, भारत में‌ बने कपड़े, चमड़े के सामान और इलेक्ट्रिक कार होंगी सस्ती*
- MSME सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए लोन 5 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़, स्टार्टअप के लिए लोन 10 करोड़ से बढ़ाकर 20 करोड़, लोन देने के लिए कार्ड जारी होंगे
- TCS की सीमा 7 लाख से बढ़ाकर 10 लाख की गई
- सीनियर सिटीजन के लिए बड़ा ऐलान, टैक्स छूट दोगुनी, ब्याज पर छूट 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख की गई
- दो घर के मालिकों को भी टैक्स में राहत, रेंट पर टीडीएस की सीमा 2.4 लाख से बढ़ाकर 6 लाख रुपये की गई
- 'किसानों के लिए 'प्रधानमंत्री धनधान्य योजना' का ऐलान, किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़कर 5 लाख हुई, बिहार में मखाना बोर्ड बनेगा
- राजकोषीय घाटा GDP का 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान; 12 महत्वपूर्ण खनिजों को बुनियादी सीमा शुल्क से छूट
- अगले 5 वर्षों में 75000 नई मेडिकल सीटें, AI सेंटर को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ की सहायता
- खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता के लिए 6 साल का मिशन, लेदर उद्योग स्कीम में 22 लाख नई नौकरी पैदा करने का लक्ष्य, भारत को टॉयज का ग्लोबल हब बनाएंगे
- IITs में टेक्नोलॉजिकल रिसर्च के लिए 10 हजार पीएम स्कॉलरशिप, अगले 5 वर्षों में 50,000 अटल टिंकरिंग लैब, सभी सरकारी स्कूलों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी
- सभी जिला अस्पतालों में डेकेयर कैंसर सेंटर स्थापना होगी, जल जीवन मिशन का बजट आउटले 100 प्रतिशत कवरेज हासिल करने के लिए बढ़ाया गया
- 120 गंतव्यों को जोड़ने के लिए संशोधित उड़ान योजना शुरू होगी, 4 करोड़ अतिरिक्त यात्रियों को मदद मिलेगी
- इंश्योरेंस सेक्टर के लिए 100 एफडीआई की मंजूरी

शनिवार, 18 जनवरी 2025

8th Pay Commission : केंद्र ने 8वें वेतन आयोग के गठन की मंजूरी दी

 8th Pay Commission  : केंद्र ने 8वें वेतन आयोग के गठन की मंजूरी दी : 2026 से इसकी सिफारिशें लागू होंगी; केंद्रीय कर्मचारियों को लाभ मिलेगा

केंद्रीय कर्मचारियों के लिए केंद्र सरकार ने गुरुवार को आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। इस आयोग की सिफारिशें साल 2026 से लागू होगा। यह जानकारी कैबिनेट बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने दी। उन्होंने कहा- सातवां वेतन आयोग 2016 में लागू हुआ था, इसकी सिफारिशें 2026 तक जारी रहेंगी।

8वें वेतन आयोग के आने से सैलरी पर क्या फर्क पड़ेगा?

केंद्र सरकार हर 10 साल में नया वेतन आयोग लाती है। अभी 7वां वेतन आयोग चल रहा है, इसका कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को खत्म होगा। उम्मीद की जा रही है कि साल 2026 से 8वां वेतन आयोग लागू हो जाएगा।

8वें वेतन आयोग का वेतन मैट्रिक्स 1.92 के फिटमेंट फैक्टर का इस्तेमाल करके तैयार किया जाएगा। इसे ऐसे समझिए- केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सैलरी के 18 लेवल हैं। लेवल-1 कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 1800 रुपए ग्रेड पे के साथ 18,000 रुपए है। इसे 8वें वेतन आयोग के तहत बढ़ाकर 34,560 रुपए किया जा सकता है। इसी तरह केंद्र सरकार में कैबिनेट सचिव स्तर के अधिकारियों को लेवल-18 के तहत अधिकतम 2.5 लाख रुपए की बेसिक सैलरी मिलती है। यह बढ़कर तकरीबन 4.8 लाख रुपए हो सकती है।


8वें वेतन आयोग के तहत सैलरी बढ़ने से पेंशन कितनी बढ़ेगी?

अगर जनवरी 2026 में 8वां वेतन आयोग लागू हुआ तो केंद्रीय कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 34,560 रुपए होने का अनुमान है। साल 2004 से जोड़ें तो नौकरी में 25 साल पूरे करने वाले कर्मचारियों का पहला बैच 2029 में रिटायर होगा।

अब मान लीजिए 8वां वेतन आयोग लागू होने के बाद लेवल-1 के एक कर्मचारी की बेसिक सैलरी 34,560 रुपए हो गई है तो इसकी 50% रकम 17,280 रुपए होती है। इस हिसाब से कर्मचारी को 17,280 रुपए+DR की धनराशि पेंशन के तौर पर मिलेगी। हालांकि, यह रेयर केस में ही होगा कि कोई कर्मचारी लेवल-1 पर नौकरी ज्वाइन करने के बाद रिटायरमेंट तक उसी लेवल पर रहे। प्रमोशन और अन्य नियमानुसार समय-समय पर इस लेवल में बढ़ोतरी होती रहती है। इसलिए कर्मचारी को इससे कहीं ज्यादा धनराशि पेंशन के रूप में मिलेगी।

वहीं, लेवल-18 के कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 4.80 लाख रुपए होगी। इसका 50% कुल 2.40 लाख रुपए+DR की धनराशि पेंशन के तौर पर मिलेगी।

नए वेतन आयोग में कैसे तय होगी सैलरी?

8वें वेतन आयोग के अप्रैल 2025 से लागू होने की उम्मीद कम ही दिखाई दे रही है, क्योंकि अभी तक सरकार ने इस पर कोई बड़ा निर्णय नहीं लिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि यह शायद एक जनवरी 2026 से लागू हो सकता है।

8वां वेतन आयोग लागू होने पर विशेष फिटमेंट फैक्टर के आधार पर सरकारी कर्मचारियों की सैलरी संशोधित की जाएगी। मान लीजिए कि मौजूदा 7वें वेतन आयोग के तहत वेतन संशोधन के लिए 2.57 का फिटमेंट फैक्टर लागू किया गया था। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर सरकार 8वें वेतन आयोग के तहत 1.92 के फैक्टर पर समझौता कर सकती है। वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार कम से कम 2.86 के उच्च फिटमेंट फैक्टर का विकल्प चुनेगी।

वेतन आयोग का फार्मूला निम्नलिखित है:

"वेतन = (बेसिक पे x 2.57) + डीए + एनपीए"

इस फार्मूले में:

- बेसिक पे: कर्मचारी का मूल वेतन
- 2.57: वेतन गुणक
- डीए (डियरनेस अलाउंस): महंगाई भत्ता
- एनपीए (नॉन-प्रैक्टिसिंग अलाउंस): गैर-अभ्यास भत्ता (केवल डॉक्टरों और अन्य विशेषज्ञों के लिए)

यह फार्मूला ७वें वेतन आयोग द्वारा निर्धारित किया गया था और इसका उपयोग सरकारी कर्मचारियों के वेतन की गणना के लिए किया जाता है।

पहला वेतन आयोग 1947 -      40 % वृद्धि(कांग्रेस सरकार)
दूसरा वेतन आयोग 1959  -     50 % वृद्धि(काँग्रेस सरकार)
तीसरा वेतन आयोग 1973  -     25 % वृद्धि(कांग्रेस सरकार)
चौथा वेतन आयोग 1986  -     40 % वृद्धि(कांग्रेस सरकार)
पाँचवां वेतन आयोग 1996  -    35 % वृद्धि(कांग्रेस सरकार)
छठा वेतन आयोग    2006  -     40 % वृद्धि(कांग्रेस सरकार  )                                                                                  अब आया अच्छे दिन वालो का वेतन आयोग  मतलब,                                                       सातवाँ वेतन आयोग 2016 -  14% वृद्धि