शनिवार, 16 अप्रैल 2016

कुछ रह  तो नहीं गया?

  कुछ रह  तो नहीं गया?

"अरे सब सामान ले लिया क्या? बस में किसी का कुछ रह तो नहीं गया?

"जी सर, सब ले लिया ।" स्कूल ट्रिप से वापिस आये सब बच्चे एक साथ चिल्लाये । और बस से उतरकर घरकी तरफ दौड़ गए ।

"सर, फिर भी बस में देख लेना ।"
हेडमास्टर जी का हुकुम होते ही सर वापिस बस में गए । बस में नजर घुमाते ही पता चला बहुत कुछ रह गया है पीछे । वेफर्स, चॉकलेट के रैपर्स और कोल्ड ड्रिंक पानी की खाली बोतले पड़ी थी । जबतक ये भरे थे, तबतक ये अपने थे । खाली होते ही ये अपने नहीं रहे । जितना हो सके, सर ने कैरी बैग में भर दिया और बस से उतरने लगे ,
"कुछ रह तो नहीं गया ?" हेडमास्टर के फिर से सवाल पूछने पर सर ने हँस के नहीं का इशारा किया ।
पर अब सर का मन "कुछ रह तो नहीं गया?" इस सवाल के इर्द गिर्द घूमने लगा । जिंदगी के हर मोड़पर अलग अलग रूप में यही सवाल परेशान करता है ।
इस सवाल की व्यापकता  इतनी बड़ी होगी ये सर को अभी पता चला ...
बचपन गुजरते गुजरते कुछ खेल खेलना रह तो नहीं  गया?

जवानी में किसी को चाहा पर जताने की हिम्मत नहीं हुई... कुछ रह तो नहीं  गया?

जिंदगी के सफ़र में चलते चलते हर मुकाम पर यही सवाल परेशान करता रहा.... कुछ रह तो नहीं गया?

3 महीने के बच्चे को दाई के पास रखकर जॉब पर जानेवाली माँ को दाई ने पूछा... कुछ रह तो नहीं  गया? पर्स, चाबी सब ले लिया ना?
अब वो कैसे हाँ कहे? पैसे के पीछे भागते भागते... सब कुछ पाने की ख्वाईश में वो जिसके लिये सब कुछ कर रही है ,वह ही रह गया है.....

शादी में दुल्हन को बिदा करते ही
शादी का हॉल खाली करते हुए दुल्हन की बुआ ने पूछा..."भैया, कुछ रह तो नहीं गया ना? चेक करो ठीकसे ।.. बाप चेक करने गया तो दुल्हन के रूम में कुछ फूल सूखे पड़े थे ।  सब कुछ तो पीछे रह गया... 25 साल जो नाम लेकर जिसको आवाज देता था लाड से... वो नाम पीछे रह गया और उस नाम के आगे गर्व से जो नाम लगाता था वो नाम भी पीछे रह गया अब ...

"भैया, देखा? कुछ पीछे तो नहीं रह गया?" बुआ के इस सवाल पर आँखों में आये आंसू छुपाते बाप जुबाँ से तो नहीं बोला....  पर दिल में एक ही आवाज थी... सब कुछ तो यही  रह गया...
बडी तमन्नाओ के साथ बेटे को पढ़ाई के लिए विदेश भेजा था और वह पढ़कर वही सैटल हो गया , पौत्र जन्म पर बमुश्किल 3  माह का वीजा मिला था और चलते वक्त बेटे ने प्रश्न किया सब कुछ चैक कर लिया कुछ रह तो नही गया ? क्या जबाब देते कि अब छूटने को बचा ही क्या है ....
60 वर्ष पूर्ण कर सेवानिवृत्ति  की शाम पी ए ने याद दिलाया चेक कर ले सर कुछ रह तो नही गया ; थोडा रूका और सोचा पूरी जिन्दगी तो यही आने- जाने मे बीत गई ; अब और क्या रह गया होगा ।
"कुछ रह तो नहीं गया?" शमशान से लौटते वक्त किसी ने पूछा । नहीं कहते हुए वो आगे बढ़ा... पर नजर फेर ली, एक बार पीछे देखने के लिए....पिता  की चिता की सुलगती आग देखकर मन भर आया । भागते हुए गया ,पिता के चेहरे की झलक तलाशने की असफल कोशिश की और वापिस लौट आया ।।
दोस्त ने पूछा... कुछ रह गया था क्या?
भरी आँखों से बोला...नहीं कुछ भी नहीं रहा अब...और जो कुछ भी रह गया है वह सदा मेरे साथ रहेगा ।।
एक बार समय निकालकर सौचे , शायद पुराना समय याद आ जाए, आंखें भर आएं और आज को जी भर जीने का मकसद मिल जाए।।

बुधवार, 6 अप्रैल 2016

निगेटिव में पॉजिटिव सोच

निगेटिव में पॉजिटिव सोच

एक युवा महिला अपनी डाइनिंग टेबल पर बैठी थी और चिंतित थी, इस बात से परेशान थी कि, इनकमटैक्स देना पड़ता है। घर का ढेरों काम करना होता है और ऊपर से कल त्यौहार के दिन लंच पर बहुत से रिश्तेदार भी आने वाले हैं।
कुल मिलाकर वो बहुत परेशान थी।

करीब ही उसकी 10 साल की बिटिया अपनी स्कूल नोटबुक लिए बैठी थी।माँ के पूछने पर वो बोली---" टीचर ने होमवर्क दिया है (Negative Thanks giving) और कहा है कि, उन चीजों पर एक पैरेग्राफ लिखो जो प्रारम्भ में हमें अच्छी नहीं लगतीं, लेकिन बाद में वो अच्छी ही होती हैं। मैंने एक पैरेग्राफ लिख लिया है। "

उत्सुकतावश माँ ने बेटी से नोटबुक ली और पढ़ने लगी कि, उसकी बेटी ने क्या लिखा है।
बेटी ने लिखा था,

“ मैं अपनी फाइनल एग्जाम को धन्यवाद देती हूँ क्योंकि इसके बाद स्कूल बंद होकर छुट्टियाँ लग जाती हैं। "

" मैं उन कड़वी खराब स्वाद वाली दवाइयों को धन्यवाद देती हूँ जो मेरे स्वस्थ होने में सहायक होती हैं। "

" मैं सुबह सुबह जगाने वाली उस अलार्म क्लॉक को धन्यवाद देती हूँ जो सबसे पहले मुझे बताती है कि, मैं अभी जीवित हूँ। "

पढ़ते पढ़ते माँ ने महसूस किया कि, उसके खुद के पास भी तो बहुत कुछ ऐंसा है जिसके लिए वो भी धन्यवाद कह सकती है।

उसने फिर सोचा,

" उसे इनकमटैक्स देना होता है, इसका मतलब है कि वो सौभाग्यशाली है कि, उसके पास एक अच्छी सैलरी वाली बढ़िया नौकरी है। "

" उसे घर का बहुत काम करना पड़ता है, इसका मतलब है कि उसके पास एक घर है, एक आश्रय है। "

" उसे परिवार के बहुत से सदस्यों के लिए खाना बनाना होगा, इसका मतलब है कि उसके पास एक बड़ा परिवार है जिनके साथ वो त्योहारों पर सेलिब्रेट करती है। "

मॉरल :

हम निगेटिव बातों या चीजों को लेकर बहुत शिकायतें करते हैं लेकिन उनके पॉजिटिव पक्ष को समझने, देखने में असमर्थ रहते हैं।
आपके निगेटिव में क्या पॉजिटिव है, उसे समझिए और अपने हर दिन को एक बेहतरीन दिन बना लीजिए।

जय जय श्री राधे

सोच को बदलना है ख़ुद को नहीं....

रविवार, 3 अप्रैल 2016

वसीयत से नसीयत

वसीयत  से नसीयत

एक दौलतमंद इंसान ने अपने बेटे को वसीयत करते हुवे कहा "बेटा मेरे मरने के बाद मेरे पैर मे ये फटे हुवे मोज़े (शॉक्स) पहना देना, मेरी यह ख्वाहिश जरूर पूरी करना ! बाप के मरते ही गुस्ल देने के बाद बेटे ने आलिम से बाप की ख़ाहिश बताई, आलिम ने कहा हमारे दीन मैं सिर्फ कफ़न पहनाने की इज़ाज़त है, पर बेटे की ज़िद थी की बाप की आखरी ख़ाहिश पूरी हो, बहस इतनी बढ़ गई की शहर के उलमाओं को जमा किया गया लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला, इसी माहोल मे एक शक़्स आया और आकर बेटे के हाथ मे बाप का लिखा हुवा खत दिया जिस मे बाप की नसीयत लिखी थी

"मेरे प्यारे बेटे"
देख रहे हो ? कसीर माल और दौलत, बंगलो, गाडी और बड़ी बड़ी फैक्ट्री और फॉर्म हाउस के बाद भी मैं एक फटा हुवा मोजा तक नहीं ले जा सकता, एक रोज़ तुम्हे भी मौत आएगी, आगाह हो जाओ तुम्हे भी एक कफ़न मे ही जाना पड़ेगा, लेहाज़ा कोशिश करना दौलत का सही इस्तेमाल करना, नेक राह मैं ख़र्च करना, बेसहाराओं को सहारा बनना क्युकी क़ब्र में सिर्फ तुम्हारे आमाल ही जाएंगे"

गुरुवार, 10 मार्च 2016

कवर

एक लड़की को उसके पिता ने iphone भेंट किया।

दूसरे दिन उसको पुछा iphone मिलने
के बाद सबसे पहले तुमने क्या किया?

लड़की - मैंने स्क्रेच गार्ड और कवर का आर्डर दिया।

पिता - तुम्हें ऐसा करने के लिये किसी ने बाध्य किया क्या?

लड़की - नहीं किसी ने नहीं।

पिता - तुम्हें ऐसा नही लगता कि तुमने  iPhone निर्माता की तौहिन की हैं?

बेटी- नहीं बल्कि निर्माता ने स्वयं कवर  व स्क्रेच गार्ड लगाने के लिये सलाह दी है।

पिता - अच्छा तब तो iphone खुद ही  दिखने मे खराब दिखता होगा तभी
तुमने उसके लिये कवर मंगवाया है?

लड़की - नहीं.... बल्कि वो खराब ना हो
ईसलिये कवर मंगवाया है।

पिता - कवर लगाने से उसकी सुन्दरता में कमी आई क्या?

लड़की - नहीं ... इसके विपरीत कवर  लगाने के बाद iPhone ज्यादा सुन्दर  दिखता है।

पिता ने बेटी की ओर स्नेह से देखते
कहा....

बेटी iPhone से भी ज्यादा किमती और
सुन्दर तुम्हारा शरीर है .. उसके अंगों  को कपड़ों से कवर करने पर उसकी सुन्दरता और निखरेगी।

बेटी के पास पिता की इस बात का कोई जवाब नहीं।


भगवान बहुत महान हैं।

एक प्रसिद्ध कैंसर स्पैश्लिस्ट था|
नाम था मार्क,
एक बार किसी सम्मेलन में
भाग लेने लिए किसी दूर के शहर जा रहे थे।
वहां उनको उनकी नई मैडिकल रिसर्च के महान कार्य  के लिए पुरुस्कृत किया जाना था।
वे बड़े उत्साहित थे,
व जल्दी से जल्दी वहां पहुंचना चाहते थे। उन्होंने इस शोध के लिए बहुत मेहनत की थी।

बड़ा उतावलापन था,
उनका उस पुरुस्कार को पाने के लिए।

जहाज उड़ने के लगभग दो घण्टे बाद उनके जहाज़ में तकनीकी खराबी आ गई,
जिसके कारण उनके हवाई जहाज को आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी।
डा. मार्क को लगा कि वे अपने सम्मेलन में सही समय पर नहीं पहुंच पाएंगे,

इसलिए उन्होंने स्थानीय कर्मचारियों से रास्ता पता किया और एक टैक्सी कर ली, सम्मेलन वाले शहर जाने के लिए।
उनको पता था की अगली प्लाईट 10 घण्टे बाद है।
टैक्सी तो मिली लेकिन ड्राइवर के बिना इसलिए उन्होंने खुद ही टैक्सी चलाने का निर्णय लिया।

जैसे ही उन्होंने यात्रा शुरु की कुछ देर बाद बहुत तेज, आंधी-तूफान शुरु हो गया।
रास्ता लगभग दिखना बंद सा हो गया। इस आपा-धापी में वे गलत रास्ते की ओर मुड़ गए।
लगभग दो घंटे भटकने के बाद उनको समझ आ गया कि वे रास्ता भटक गए हैं। थक तो वे गए ही थे,
भूख भी उन्हें बहुत ज़ोर से लग गई थी। उस सुनसान सड़क पर भोजन की तलाश में वे गाड़ी इधर-उधर चलाने लगे।
कुछ दूरी पर उनको एक झोंपड़ी दिखी।

झोंपड़ी के बिल्कुल नजदीक उन्होंने अपनी गाड़ी रोकी।
परेशान से होकर गाड़ी से उतरे और उस छोटे से घर का दरवाज़ा खटखटाया।

एक स्त्री ने दरवाज़ा खोला।
डा. मार्क ने उन्हें अपनी स्थिति बताई और एक फोन करने की इजाजत मांगी। उस स्त्री ने बताया कि उसके यहां फोन नहीं है।
फिर भी उसने उनसे कहा कि आप अंदर आइए और चाय पीजिए।
मौसम थोड़ा ठीक हो जाने पर,
आगे चले जाना।

भूखे,
भीगे
और
थके हुए डाक्टर ने तुरंत हामी भर दी।

उस औरत ने उन्हें बिठाया,
बड़े सम्मान के साथ चाय दी व कुछ खाने को दिया।
साथ ही उसने कहा, "आइए, खाने से पहले भगवान से प्रार्थना करें
और उनका धन्यवाद कर दें।"

डाक्टर उस स्त्री की बात सुन कर मुस्कुरा दिेए और बोले,

"मैं इन बातों पर विश्वास नहीं करता।
मैं मेहनत पर विश्वास करता हूं।
आप अपनी प्रार्थना कर लें।"

टेबल से चाय की चुस्कियां लेते हुए डाक्टर उस स्त्री को देखने लगे जो अपने छोटे से बच्चे के साथ प्रार्थना कर रही थी।
उसने कई प्रकार की प्रार्थनाएं की। डाक्टर मार्क को लगा कि हो न हो,
इस स्त्री को कुछ समस्या है।

जैसे ही वह औरत
अपने पूजा के स्थान से उठी,
तो डाक्टर ने पूछा,

"आपको भगवान से क्या चाहिेए?
क्या आपको लगता है कि भगवान आपकी प्रार्थनाएं सुनेंगे?"

उस औरत ने धीमे से उदासी भरी मुस्कुराहट बिखेरते हुए कहा,

"ये मेरा लड़का है
और इसको कैंसर रोग है
जिसका इलाज डाक्टर मार्क नामक व्यक्ति के पास है
परंतु मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं
कि मैं उन तक,
उनके शहर जा सकूं
क्योंकि वे दूर किसी शहर में रहते हैं।

यह सच है की कि भगवान ने अभी तक मेरी किसी प्रार्थना का जवाब नहीं दिया किंतु मुझे विश्वास है
कि भगवान एक न एक दिन कोई रास्ता बना ही देंगे।
वे मेरा विश्वास टूटने नहीं देंगे।
वे अवश्य ही मेरे बच्चे का इलाज डा. मार्क से करवा कर इसे स्वस्थ कर देंगे।

डाक्टर मार्क तो सन्न रह गए।
वे कुछ पल बोल ही नहीं पाए।
आंखों में आंसू लिए धीरे से बोले,
"भगवान बहुत महान हैं।"

(उन्हें सारा घटनाक्रम याद आने लगा। कैसे उन्हें सम्मेलन में जाना था।
कैसे उनके जहाज को इस अंजान शहर में आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी।
कैसे टैक्सी के लिए ड्राइवर नहीं मिला और वे तूफान की वजह से रास्ता भटक गए और यहां आ गए।)

वे समझ गए कि यह सब इसलिए नहीं हुआ कि भगवान को केवल इस औरत की प्रार्थना का उत्तर देना था

बल्कि भगवान उन्हें भी एक मौका देना चाहते थे
कि वे भौतिक जीवन में
धन कमाने,
प्रतिष्ठा कमाने, इत्यादि
से ऊपर उठें और असहाय लोगों की सहायता करें।
    
वे समझ गए की भगवान चाहते हैं
कि मैं उन लोगों का इलाज करूं जिनके पास धन तो नहीं है
किंतु जिन्हें भगवान पर विश्वास है।
         

हर इंसान को ये ग़लतफहमी होती है
की जो हो रहा है,
उस पर उसका कण्ट्रोल है
और वह इन्सान ही
सब कुछ कर रहा है ।

पर अचानक ही कोई
अनजानी ताकत सबकुछ बदल देती है
कुछ ही सेकण्ड्स लगते हैं
सबकुछ बदल जाने में
फिर हम याद करते हैं
परमपिता परमात्मा  को।

या ईश्वर को छोड़ दो...
             या ईश्वर के ऊपर छोड़ दो....

ॐ शांति

बुधवार, 27 जनवरी 2016

Bullet train

जैसे ही ट्रेन रवाना होने को हुई, एक औरत और उसका पति एक ट्रंक लिए डिब्बे में घुस पडे़।दरवाजे के पास ही औरत तो बैठ गई पर आदमी चिंतातुर खड़ा था।जानता था कि उसके पास जनरल टिकट है और ये रिज़र्वेशन डिब्बा है।टीसी को टिकट दिखाते उसने हाथ जोड़ दिए।
" ये जनरल टिकट है।अगले स्टेशन पर जनरल डिब्बे में चले जाना।वरना आठ सौ की रसीद बनेगी।" कह टीसी आगे चला गया।
पति-पत्नी दोनों बेटी को पहला बेटा होने पर उसे देखने जा रहे थे।सेठ ने बड़ी मुश्किल से दो दिन की छुट्टी और सात सौ रुपये एडवांस दिए थे। बीबी व लोहे की पेटी के साथ जनरल बोगी में बहुत कोशिश की पर घुस नहीं पाए थे। लाचार हो स्लिपर क्लास में आ गए थे। " साब, बीबी और सामान के साथ जनरल डिब्बे में चढ़ नहीं सकते।हम यहीं कोने में खड़े रहेंगे।बड़ी मेहरबानी होगी।" टीसी की ओर सौ का नोट बढ़ाते हुए कहा।
" सौ में कुछ नहीं होता।आठ सौ निकालो वरना उतर जाओ।"
" आठ सौ तो गुड्डो की डिलिवरी में भी नहीं लगे साब।नाती को देखने जा रहे हैं।गरीब लोग हैं, जाने दो न साब।" अबकि बार पत्नी ने कहा।
" तो फिर ऐसा करो, चार सौ निकालो।एक की रसीद बना देता हूँ, दोनों बैठे रहो।"
" ये लो साब, रसीद रहने दो।दो सौ रुपये बढ़ाते हुए आदमी बोला।
" नहीं-नहीं रसीद दो बनानी ही पड़ेगी।देश में बुलेट ट्रेन जो आ रही है।एक लाख करोड़ का खर्च है।कहाँ से आयेगा इतना पैसा ? रसीद बना-बनाकर ही तो जमा करना है।ऊपर से आर्डर है।रसीद तो बनेगी ही।
चलो, जल्दी चार सौ निकालो।वरना स्टेशन आ रहा है, उतरकर जनरल बोगी में चले जाओ।" इस बार कुछ डांटते हुए टीसी बोला।
आदमी ने चार सौ रुपए ऐसे दिए मानो अपना कलेजा निकालकर दे रहा हो। पास ही खड़े दो यात्री बतिया रहे थे।" ये बुलेट ट्रेन क्या बला है ? "
" बला नहीं जादू है जादू।बिना पासपोर्ट के जापान की सैर। जमीन पर चलने वाला हवाई जहाज है, और इसका किराया भी हबाई सफ़र के बराबर होगा, बिना रिजर्वेशन उसे देख भी लो तो चालान हो जाएगा। एक लाख करोड़ का प्रोजेक्ट है। राजा हरिश्चंद्र को भी ठेका मिले तो बिना एक पैसा खाये खाते में करोड़ों जमा हो जाए।
सुना है, "अच्छे दिन " इसी ट्रेन में बैठकर आनेवाले हैं। "
उनकी इन बातों पर आसपास के लोग मजा ले रहे थे। मगर वे दोनों पति-पत्नी उदास रुआंसे
ऐसे बैठे थे मानो नाती के पैदा होने पर नहीं उसके सोग में जा रहे हो। कैसे एडजस्ट करेंगे ये चार सौ रुपए? क्या वापसी की टिकट के लिए समधी से पैसे मांगना होगा? नहीं-नहीं। आखिर में पति बोला- " सौ- डेढ़ सौ तो मैं ज्यादा लाया ही था। गुड्डो के घर पैदल ही चलेंगे। शाम को खाना नहीं खायेंगे। दो सौ तो एडजस्ट हो गए। और हाँ, आते वक्त पैसिंजर से आयेंगे। सौ रूपए बचेंगे। एक दिन जरूर ज्यादा लगेगा। सेठ भी चिल्लायेगा। मगर मुन्ने के लिए सब सह लूंगा।मगर फिर भी ये तो तीन सौ ही हुए।"
" ऐसा करते हैं, नाना-नानी की तरफ से जो हम सौ-सौ देनेवाले थे न, अब दोनों मिलकर सौ देंगे। हम अलग थोड़े ही हैं। हो गए न चार सौ एडजस्ट।" पत्नी के कहा। " मगर मुन्ने के कम करना....""
और पति की आँख छलक पड़ी।
" मन क्यूँ भारी करते हो जी। गुड्डो जब मुन्ना को लेकर घर आयेंगी; तब दो सौ ज्यादा दे देंगे। "कहते हुए उसकी आँख भी छलक उठी।
फिर आँख पोंछते हुए बोली-" अगर मुझे कहीं मोदीजी मिले तो कहूंगी-" इतने पैसों की बुलेट ट्रेन चलाने के बजाय, इतने पैसों से हर ट्रेन में चार-चार जनरल बोगी लगा दो, जिससे न तो हम जैसों को टिकट होते हुए भी जलील होना पड़े और ना ही हमारे मुन्ने के सौ रुपये कम हो।" उसकी आँख फिर छलके पड़ी।
" अरी पगली, हम गरीब आदमी हैं, हमें
मोदीजी को वोट देने का तो अधिकार है, पर सलाह देने का नहीं। रो मत
विनम्र प्राथना है जो भी इस कहानी को पढ चूका है उसने इस घटना से शायद ही इत्तिफ़ाक़ हो पर अगर ये कहानी शेयर करे कॉपी पेस्ट करे पर रुकने न दे शायद रेल मंत्रालय जनरल बोगी की भी परिस्थितियों को समझ सके। उसमे सफर करने वाला एक गरीब तबका है जिसका शोषण चिर कालीन से होता आया है।

सोमवार, 25 जनवरी 2016

मेडिकल दिसम्बर या जनवरी में नहीं जुड़ते हैं ये जोइनिंग डेट से जुड़ते है

⏩ मेडिकल दिसम्बर या जनवरी में नहीं जुड़ते हैं ये जोइनिंग डेट से जुड़ते है संस्थाप्रधान चाहे तो एडवांस में दे सकते हैं लेकिन एक साथ 60 दिन का नहीं मिलेगा 45 दिन से अधिक के मेडिकल के लिए मेडिकल बोर्ड का रोग प्रमाण पत्र चाहिए Hpl जोइनिंग डेट से जोड़ी जाती। Pl 31 दिसम्बर को जोड़ी जाती। आप 15 दिन के टुकड़ों में ले लीजिये
⏩मेडिकल अग्रिम भी ले सकते है
फिर माईनस मे प्रविष्टी होगी अग्रिम hpl ले सकते हो संस्थाप्रधान पर काफी कुछ डिपेंड करता है Ddo स्वीकृत कर सकता है।
⏩फिक्स pay से पूर्व के लोगों को जोइनिंग डेट से मिलती आई है। चाहे उनका स्थाईकरण 5 वर्ष बाद हो
⏩ अग्रिम HPL लीव नॉट ड्यू के नियमानुसार स्वीकृत हो सकती है.बशर्ते कि CL /PL बकाया न हो.
     

RTI लिखने का तरीका


RTI लिखने का तरीका -
RTI मलतब है सूचना का अधिकार - ये कानून हमारे देश में 2005 में लागू हुआ।जिसका उपयोग करके आप सरकार और
किसी भी विभाग से सूचना मांग सकते है। आमतौर पर लोगो को इतना ही पता होता है।परंतु आज मैं आप को इस के बारे में कुछ और रोचक जानकारी देता हूँ -
RTI से आप सरकार से कोई भी सवाल पूछकर सूचना ले सकते है।
RTI से आप सरकार के किसी भी दस्तावेज़ की जांच कर सकते है।
RTI से आप दस्तावेज़ की प्रमाणित कापी ले सकते है।
RTI से आप सरकारी कामकाज में इस्तेमाल सामग्री का नमूना ले सकते है।
RTI से आप किसी भी कामकाज का निरीक्षण कर सकते हैं।
RTI में कौन- कौन सी धारा हमारे काम की है।
धारा 6 (1) - RTI का आवेदन लिखने का धारा है।
धारा 6 (3) - अगर आपका आवेदन गलत विभाग में चला गया है। तो वह विभाग
इस को 6 (3) धारा के अंतर्गत सही विभाग मे 5 दिन के अंदर भेज देगा।
धारा 7(5) - इस धारा के अनुसार BPL कार्ड वालों को कोई आरटीआई शुल्क नही देना होता।
धारा 7 (6) - इस धारा के अनुसार अगर आरटीआई का जवाब 30 दिन में नहीं आता है
तो सूचना निशुल्क में दी जाएगी।
धारा 18 - अगर कोई अधिकारी जवाब नही देता तो उसकी शिकायत सूचना अधिकारी को दी जाए।
धारा 8 - इस के अनुसार वो सूचना RTI में नहीं दी जाएगी जो देश की अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा हो या विभाग की आंतरिक जांच को प्रभावित करती हो।
धारा 19 (1) - अगर आप
की RTI का जवाब 30 दिन में नहीं आता है।तो इस
धारा के अनुसार आप प्रथम अपील अधिकारी को प्रथम अपील कर सकते हो।
धारा 19 (3) - अगर आपकी प्रथम अपील का भी जवाब नही आता है तो आप इस धारा की मदद से 90 दिन के अंदर दूसरी
अपील अधिकारी को अपील कर सकते हो।
RTIकैसे लिखे?
इसके लिए आप एक सादा पेपर लें और उसमे 1 इंच की कोने से जगह छोड़े और नीचे दिए गए प्रारूप में अपने RTI लिख लें
...................................
सूचना का अधिकार 2005 की धारा 6(1) और 6(3) के अंतर्गत आवेदन।
सेवा में,
(अधिकारी का पद)/
जनसूचना अधिकारी
विभाग का नाम.............
विषय - RTI Act 2005 के अंतर्गत .................. से संबधित सूचनाऐं।
अपने सवाल यहाँ लिखें।
1-..............................
2-...............................
3-..............................
4-..............................
मैं आवेदन फीस के रूप में 10रू का पोस्टलऑर्डर ........ संख्या अलग से जमा कर रहा /रही हूं।
या
मैं बी.पी.एल. कार्डधारी हूं। इसलिए सभी देय शुल्कों से मुक्त हूं। मेरा बी.पी.एल.कार्ड नं..............है।
यदि मांगी गई सूचना आपके विभाग/कार्यालय से सम्बंधित
नहीं हो तो सूचना का अधिकार अधिनियम,2005 की धारा 6 (3) का संज्ञान लेते हुए मेरा आवेदन सम्बंधित लोकसूचना अधिकारी को पांच दिनों के
समयावधि के अन्तर्गत हस्तान्तरित करें। साथ ही अधिनियम के प्रावधानों के तहत
सूचना उपलब्ध् कराते समय प्रथम अपील अधिकारी का नाम व पता अवश्य बतायें।
भवदीय
नाम:....................
पता:.....................
फोन नं:..................
हस्ताक्षर...................
ये सब लिखने के बाद अपने हस्ताक्षर कर दें।
अब मित्रो केंद्र से सूचना मांगने के लिए आप 10 रु देते है और एक पेपर की कॉपी मांगने के 2 रु देते है।
हर राज्य का RTI शुल्क अगल अलग है जिस का पता आप कर सकते हैं।
जनजागृति के लिए जनहित में शेयर करे।
RTI का सदउपयोग करें और भ्रष्टाचारियों की सच्चाई /पोल दुनिया के सामने लाईए

पासपोर्ट बनवाने के लिए विभाग की अनुमति लेने का आवेदन पत्र होता है क्या?


पासपोर्ट बनवाने के लिए विभाग की अनुमति लेने का आवेदन पत्र होता है क्या

पासपोर्ट बनवाने के लिए विभागीय स्वीकृति आवश्यक है. यात्रा करने पर सूचना व अनुमति भी आवश्यक है.
Passport office से प्रपत्र लेकर उनसे consult कर लें. आवेदन पत्र संस्था प्रधान के माध्यम से थ्रू चैनल नियुक्ति अधिकारी तक जायेगा.वहाँ से अनुमति पत्र आयेगा.उसके बाद ऑनलाईन आवेदन करना होगा.निर्धारित तिथि को पासपोर्ट बनवाने पासपोर्ट कार्यालय में उपस्थित होना होगा.नियुक्ति अधिकारी की स्वीकृति व जन्म तिथि , निवास आदि के मूल प्रमाण पत्र व फोटे कॉपी ले जाने होंगे.

छुट्टी नकदीकरण पूरी तरह से कर योग्य है?

वेतन

छुट्टी नकदीकरण पूरी तरह से कर योग्य है?

सेवा के दौरान (i) छुट्टी नकदीकरण सभी मामलों में पूरी तरह से कर योग्य है, राहत यू / एस 89 (1) लागू उसी के लिए दावा किया जा सकता है।

(Ii) केंद्र और राज्य सरकार द्वारा प्राप्त छुट्टी नकदीकरण के माध्यम से किसी भी भुगतान। क्रेडिट पर अर्जित अवकाश की अवधि के संबंध में सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारियों को पूरी तरह से छूट दी गई है।

(Iii) अन्य कर्मचारियों के मामले में छूट निम्न में से कम से कम करने के लिए सीमित किया जा रहा है:

(वास्तविक सेवा के हर साल के लिए 30 दिन से अधिक नहीं कर सकते हैं अर्जित अवकाश पात्रता) अप्रयुक्त अर्जित अवकाश (क) नकद समतुल्य

(ख) 10 महीने के औसत वेतन

(ग) नकदीकरण वास्तव में प्राप्त छोड़ दें। यह 1998/02/04 के बाद सेवानिवृत्ति के लिए 3,00,000 रुपये की सीमा के आगे का विषय है।

(Iv) के विशेषाधिकार के संबंध में एक मृतक कर्मचारी के कानूनी वारिसों को भुगतान वेतन छोड़ दो मौत के समय में ऐसे कर्मचारी के ऋण के लिए खड़े छोड़ कर योग्य नहीं है।

शनिवार, 16 जनवरी 2016

मेडिक्लेम पालिसी - Mediclaim policy

मेडिक्लेम पालिसी कैसे ली जाती ह
और लेने के बाद बीमार होने पर क्या करना पड़ता है ❓

    जवाब

मेडिक्लेम पालिसी की सुविधा राज्य कर्मचारियों के लिए राज्य सरकार द्वारा दी जा रही है।
निर्देशानुसार कुछ हॉस्पिटल तो कैशलेस पॉलिसी में है जहां इलाज का पैसा नही लगेगा पर राशि की सीमा निर्धारित है।
एवम् सूची में वर्णित हॉस्पिटल में इलाज कराने पर प्रारम्भ में तो भुगतान स्वयं को करना होता है उसके बाद TPA यानी इसके ऑफिस में प्रपत्रानुसार फ़ाइल बनाकर आवेदन करना होता है फिर रोग के अनुसार पुनर्भरण राशि का चेक आ जाता है।
सम्भवतया अगले साले 2016 में प्रत्येक जिला स्तर पर इसके आवेदन और पुनर्भरण हेतु एकल खिलाड़ी स्थापित हो जायेगी।
इस प्रक्रिया हेतु मेडिक्लेम कार्ड की आवश्यकता विशेष रूप से रहेगी। जिसे पूर्व में तो हर 2 साल में Renew का प्रावधान था परन्तु संसाधनों के अभाव में SIPF द्वारा इसे यथावत स्वीकार किया जा रहा है। सदस्यों की संख्या में परिवर्तन की दशा में renew आवश्यक है।

Jaipur  के  प्राइवेट अस्पतालों में आउटडोर फीस राज्य कार्मिकों के लिए 1/3 हो गयी है बिना कार्ड के ही।

आप संस्थाप्रधान से लिखवाकर ले जाये की आप राज्यसरकार के कर्मचारी है। साथ में अपनी फोटोयुक्त id काफी है।

मेडिक्लेम कार्ड कैसे बनता ह❓

मेडिक्लेम कार्ड हेतु निर्धारित प्रारूप में आवेदन पत्र भरकर सदस्यों की फ़ोटो लगाकर सम्बंधित GPF ऑफिस में DDO से प्रमाणित कराकर देना होता है। यदि माता पिता का नाम भी जोड़ना है तो शपथ पत्र जिसमे वर्णित हो की उनकी आय 2000 से कम हो और वे आवेदन कर्ता पर आश्रित है।
मेडिक्लेम से सम्बंधित एक और जानकारी

जैसा कि आपको पता है कि यह indoor एडमिट होने पर क्लेम मिलता है।
लेकिन इसका उपयोग आउटडोर में भी कर सकते है।आप जब भी हॉस्पिटल में दिखाने जाय तो कार्ड साथ लेकर जाय।बशर्ते हॉस्पिटल अपनी लिस्ट में हो।कार्ड से आउटडोर में दिखाने पर आपकी फीस और टेस्ट CGHS RATE(जो कि जनरल रेट से लगभग आधी होती है)से ही चार्ज किये जायेंगे।
कृपया यह जानकारी अन्य साथियो और 2004 के बाद नियुक्त सभी कर्मचारियों को देवे।