बैरम खां के पुत्र कवि रहीम न केवल उच्च कोटि के विद्वान थे अपितु कुशल योद्धा थे जिन्होंने अनेक वर्षों तक अकबर की सेना का नेतृत्व किया। यह कवि महान दानी प्रवृत्ति का था सैनिक अभियानों के दौरान खूब धन प्राप्त करता और उसे कवियों व पंडितों को भेंट कर देता था उनका रहन सहन अकबर से भी ज्यादा वैभवशाली था उदारमना रहीम की भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति भावना अलौकिक थी रहीम वीर विद्वान दानी सहिष्णु क्षमाशील व धैर्यशील व्यक्तित्व का धनी था तुलसीदास कवि गंग बीरबल व चारण कवि जाडा मेहङू उनके परम मित्र थे एक बार कवि गंग ने रहीम के दानी स्वभाव पर एक दोहा कहा
सीखे कहाँ नवाबजू, ऐसी देनी दैन।
ज्यों ज्यों कर ऊंचो करे, त्यों त्यों नीचे नैन।।
इस पर रहीम ने कहा...
देनदार कोउ और है, भेजत सो दिन रैन।
लोग भरम हम पर धरैं, याते नीचे नैन।।
ऐसा था कवि रहीम का चरित्र
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शनिवार, 22 अगस्त 2015
कवि रहीम
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