शुक्रवार, 21 अगस्त 2015

फ्रिज में रखा हुआ आटा

भूत-प्रेतो को निमंत्रण देता है घर के
फ्रिज में रखा हुआ आटा ।

वर्तमान में बहुत सी गृहिणियां खाना
बनाते समय रात को बचा हुआ अतिरिक्त
आटा गोल लोई बनाकर उसे फ्रिज में रख
देती है और उसका प्रयोग अगले दिन करती
है। कई बार सुबह के समय भी आटा बचने पर
ऎसा ही किया जाता है। धर्मशास्त्रों
के अनुसार गूंथा हुआ आटा पिण्ड माना
जाता है जिसे मृतात्मा के भक्षण के
लिए अर्पित किया जाता है।
जिन भी घरों में लगातार या अक्सर
गूंथा हुआ आटा फ्रिज में रखने की
परंपरा बन जाती है वहां पर भूत, प्रेत
तथा अन्य ऊपरी हवाएं भोजन करने के लिए
आने लग जाती है। इनमें अधिकतर वे
आत्माएं होती है जिन्हें उनके
घरवालों ने भुला दिया या जिनकी अब
तक मुक्ति नहीं हो सकी है। ऎसी
आत्माओं के घर में आने के साथ ही घर
में अनेकों समस्याएं भी आनी शुरू हो
जाती हैं।
बचे हुए आटे को इस तरह रखने वाले सभी
घरों में किसी न किसी प्रकार के
अनिष्ट देखने को मिलते हैं। वहां
अक्सर बीमारियां, क्रोध, आलस आदि बने
रहते हैं और घर में रहने वालों की भी
तरक्की नहीं हो पाती है।
शास्त्रों के अनुसार ऎसे किसी भी
चीज को घर में स्थान नहीं देना चाहिए
जो मृतात्माओं का भोजन हो अथवा
उन्हें किसी भी प्रकार से आमंत्रित
करने की क्षमता रखती हो। इसके ही रात
के बासी बचे आटे से रोटी बनाना शरीर
के लिए भी नुकसानदेह होता है। ऎसा
भोजन तामसिकता को तो बढ़ावा देता
ही है साथ में शरीर को भी रोगों का घर
बना देता है जबकि ताजा बना भोजन शरीर
को स्फूर्ति, शक्ति और स्वास्थ्य
देता है। इन सभी चीजों को देखते हुए
हमें घर में बासी आटा नही रखना चहिये ।

अगर अच्छा लगे तो आगे जरुर भेजे

इतना लो थाली में, व्यर्थ ना जाए नाली में.

मैंने पूछा- ‘‘गुरुदेव, कहा जाता है कि जूठन छोड़ना पाप है, फिर भी बहुत लोग जूठन छोड़ते हैं? ऐसा क्यों?’’

गुरुजी- ‘‘बेटा! आजकल, अन्न हम पैसे से खरीदते हैं।
इसलिये लोग उसकी तुलना पैसे से करते हैं।
जूठन छोड़ देते हैं और उसे फेंक देते हैं। किन्तु यह वास्तविकता नहीं है। पैसे से अन्न, खरीदा नहीं जा सकता।
अन्न धरती माता अपनी छाती चीर कर देती है।
कोई उसका अपमान करता है, तो धरती माँ दुःखी होती है और दूसरे जन्म में उसे अन्न के लिये तरसाती है।’’

अन्न का अपमान करने वालों को दंड देने के लिये प्रकृति उनके शरीर में रोग उत्पन्न कर देती है ।

पैसे होते हुए भी विभिन्न प्रकार के पेट के रोगों के कारण अन्न न खा पाते है न पचा पाते है ।

जर्मनी जैसे पश्चिमी देशों में यदि कोई जूठन छोड़ता है तो उसे 50$ फाइन देना पड़ता है ।

आज से हम संकल्प लेते क़ि हम थाली में जूठन नहीं छोड़ेंगे और अपने परिवार, मित्रों और रिश्तेदारों को अन्न बचाओ अभियान के लिए प्रेरित करेंगे ।

अन्न ही जीवन है ।

क्या आप अन्न के सम्मान में अन्न बचाओं अभियान का यह सन्देश कम से कम 10 लोगों को भेजकर धरती माता को श्रद्धांजली दें सकते हैं ?

बहूत बढीआ संदेश है।अनुकरन करने योग्य है।धन्यवाद।

जीवन मंत्र 
१) धीरे बोलिये    शांति मिलेगी
२) अहम छोडिये  बड़े बनेंगे
३) भक्ति कीजिए    मुक्ति मिलेगी
४) विचार कीजिए  ज्ञान मिलेगा
५) सेवा कीजिए    शक्ति मिलेगी
६) सहन कीजिए   देवत्व मिलेगा
७) संतोषी बनिए    सुख मिलेगा.                                                                                     "इतना छोटा कद रखिए कि सभी आपके साथ बैठ सकें और इतना बडा मन रखिए कि जब आप खडे हो जाऐं तो कोई बैठा न रह सके।।
    

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