जीवन में मेहनत से ही सफलता प्राप्त होती है। हमें जिन्दगी में कुछ भी स्वतः नहीं मिलता है। उसके लिए लक्ष्य बनाकर तद्अनुरूप कड़ी मेहनत और प्रयास करना पड़ता है । मेहनत से ही सब कुछ सम्भव है। तभी तो गीता में कहा गया है कि कार्य ही पूजा है। प्रयत्न करने से ही सफलता मिलती है। बैठे-बिठाये भाग्य भी बैठ जाता है। सफलता की कहानियां वे लोग गढ़ते हैं जिनमें ऐसा करने का माद्दा होता है, संकल्प होता है और जो अपने जीवन को सफल बनाना चाहते हैं। सफलता पाने के लिए प्रमाद छोड़कर निर्णय करने पड़ते है। कठोर रास्तों पर संघर्ष करना पड़ता है। यह पहाड़ी पर चढ़ने के समान है। मेहनत से बढ़ कर कुछ भी नहीं है।
कोई भी अच्छी चीज आसानी से नहीं मिलती। जिन्दगी में सर्वोत्तम या तो मुफ्त मिलता है अथवा बहुत महंगा, वह सस्ता तो कदापि नहीं होता। नेपोलियन ने जैसा कि लिखा है कि असंभव शब्द मेरे शब्द कोष में नहीं है। क्योंकि वह युद्ध भूमि में जहाँ सेना कमजोर पड़ रही हो। वहाँ से लड़ता था। कभी उसने कार्य से पलायन नहीं किया। विवेकानन्द ने एक जगह कहाँ है कि मेहनत से सब कुछ पाया जा सकता है। तभी प्रमोद बत्रा ने गाय दूध नहीं देती के नाम से एक अच्छी पुस्तक लिखी है।
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